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Monday, April 28, 2025, 3:18 am

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बुद्धिजीवी बोले- पहलगाम आतंकी हमला नहीं, सांप्रदायिक हमला है, हमारा धर्म पूछकर मारा है, भारत सरकार कड़ा उत्तर दें

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स्टील भवन में आतंकवाद पर आयोजित संगोष्ठी में शहर के प्रबुद्धजीवियों ने मुखर होकर विचार व्यक्त किए

डीके पुरोहित. जोधपुर

पहलगाम हमले के बाद आतंकवाद की चुनौतियों को लेकर शहर के शास्त्री नगर स्थित स्टील भवन में संगोष्ठी आयोजित हुई। इसमें बुद्धिजीवियों ने मुखर होकर अपने विचार व्यक्त किए। जस्टिस विनीत कोठारी ने कहा कि पहलगाम की घटना के बाद दिल के किसी कोने में गुस्सा है, पर सरकार अपना काम कर रही है। हमें संयम रखने की जरूरत है। हमें इस बात का ध्यान रखना है कि देश में नफरत का माहौल पैदा नहीं हो। इस तरह की गोष्ठियों की जरूरत है।

जस्टिस कोठारी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता और फ्रीडम स्पीच को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। धर्म इंसान के भीतर तक पैठा हुआ है। आतंकवाद धर्म के चरम का ही एक रूप है। आतंकवाद के नाम पर खून खराबा करना उचित नहीं है। जस्टिस विनीत कोठारी ने कहा कि आज राइट टू वोट को एजुकेशन से जोड़ना जरूरी है। आज पंक्चर निकालने वाले को भी पीएचडी किए व्यक्ति के बराबर वोट देने का अधिकार है। इस परंपरा को बदलने की जरूरत है। वोट तंत्र को भीड़ तंत्र से हटकर उचित नीति बनानी होगी। समान अधिकारों की यहां बात नहीं है। एजुकेशन से जोड़कर ही इलेक्शन की नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि आज अच्छे नागरिक बनने की जरूरत है। मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है? यह हम सबसे छुपा हुआ नहीं है। हमें धर्म से पहले देश से प्रेम करना होगा। हमारा एक ही संदेश है भारत से प्यार करो। देश से प्यार करो। कोई भी धर्म हत्या और हिंसा नहीं सिखाता। इसलिए अच्छे इंसान बनना जरूरी है।

आतंकवाद दृश्य नहीं होता, उसका एजेंडा पता नहीं चलता : एयर मार्शल जगदीशचंद्र

इस मौके पर एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) जगदीशचंद्र ने कहा कि आतंकवाद दृश्य नहीं होता। आतंकवाद के एजेंडे का भी पता नहीं चलता। जिस तरह अभिमन्यु गर्भ में शस्त्र चलाना सीख लेता है, उसी तरह धर्म की कट्‌टरता बच्चों में भर दी जाती है, जिसकी परिणति इस रूप में सामने आती है। आज के समय में आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती है। आतंकवाद की परिभाषा समय के साथ बदलती गई। अब साइबर टेटेरेरिज्म का जमाना है। हमारे हीरो भी बदल गए हैं। जो असली हीरो है वो अब हमारे बच्चों के हीरो नहीं रह गए बल्कि विलेन को ही हमारे बच्चे हीरो मानते हैं। राजनीतिक पार्टियां अपना हित साधती है। उन्होंने कहा कि देश को घबराने की जरूरत नहीं है। सेना और पेरामिलिट्री एजेंसिंया आतंकवाद से निपटने में सक्षम है। भारत में आतंकवाद को मिटाने में सेना तैयार है। दुश्मन को हजार बार सोचना होगा। पाकिस्तान को हजार बार सोचना होगा। जगदीशचंद्र ने कहा कि आतंकवाद खेतों में खरपतवार की तरह है। यह कहीं भी जन्म ले सकता है। मान लीजिए रामदेवरा मेला चल रहा है और कहीं मामूली पटाखा भी छूट जाता है तो अफवाह फैलकर आतंकवाद का नाम दे दिया जा सकता है और जन हानि हो सकती है। आतंकवाद से लड़ने के लिए हमें खुद तैयार रहना होगा। संगठन में शक्ति है। हमारे मोहल्ले वालों को जिम्मेदारी उठानी होगी। हमारी महिलाएं यह काम अच्छे ढंग से कर सकती है। मोहल्ले में जब भी कोई नया व्यक्ति आए तो उसके बारे में तहकीकात करें। हाे सकता है कि हमारे मोहल्ले में ही दुश्मन बैठा हो। उन्होंने कहा कि पहलगाम का उदाहरण हमारे सामने हैं। हमारी खुफिया एजेंसियां नाकाम रही। रॉ और अन्य इंटेलिजेंसी एजेंसियों के बीव समन्वय नहीं है। हमारी सरकार की भी लापरवाही रही। खुफिया सूचनाओं को सरकार मौसम विभाग की भविष्वाणी की तरह लेती है, यही वजह है कि गंभीर नहीं होने की परिणति पहलगाम के रूप में सामने आती है। उन्होंने कहा कि हमें भड़काऊ चीजों से बचने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि आतंकवाद कभी भी लोकल सपोर्ट के बगैर संभव नहीं है। लोग भय या प्रलोभन में आकर अपने ही देश से गद्दारी कर बैठते हैं। आतंकवाद को रोकने के लिए कठोर कानून की जरूरत है। पहले टाडा और पोटा जैसे कानून थे, मगर इसका दुरुपयोग अधिक हुआ। डर्टी पॉलिटिक्स की वजह से ऐसे कानून प्रभावी नहीं रहे। हमारे लिए नेशन फर्स्ट होना चाहिए। धर्म को मुद्दा बनाकर युद्ध नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गद्दार हमारे देश में ही है। आप धन के लालच में आकर देश से गद्दारी ना करें। धन तो फिर से कमाया जा सकता है मगर सम्मान फिर से नहीं मिल सकता। देश क्या है? राष्ट्रभक्ति क्या है? आज की पीढ़ी यह भूलती जा रही है। लड़ने वाला ही योद्धा नहीं होता, बचाने वाला और मदद करने वाला भी योद्धा होता है।

सांप्रदायिक आतंकवाद का कोई इलाज नहीं : डॉ. हरीदास व्यास

वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हरीदास व्यास ने कहा कि आतंकवाद के दो चहरे दुनिया के सामने है। नक्सलवाद और सांप्रदायिक आतंकवाद। नक्सलवाद सभी देशों में लगभग समाप्ति की ओर है, मगर सांप्रदायिक आतंकवाद का कोई इलाज नहीं है। एक शब्द प्रचलित किया गया- हिंदू आतंकवाद। यह प्रायोजित शब्द था। साध्वी प्रज्ञा को हिंदू आतंकवादी बताकर जेल में डाल दिया गया। जब सत्ता बदली और पुन: सुनवाई हुई तो सच्चाई सामने आई और साध्वी प्रज्ञा की सच्चाई सामने आई। दरअसल न्यूटन का नियम है कि जहां क्रिया होगी तो उसकी प्रतिक्रिया भी होगी। यह स्वाभाविक चरण होता है। हमें कहा जाता है कि सहिष्णु बनिए। मगर मैं कहता हूं नहीं असहिष्णु बनिए। तुष्टिकरण की नीतियों ने हमारा लंबे समय तक शोषण किया। यह प्रायोजित तुष्टिकरण था। उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान सेना के हाथों की कठपुतली है। वहां की सेना मादक पदार्थों का उत्पादन करती है, बेचती है। आर्थिक स्थिति की ऑडिट पाक की मिल्ट्री आतंकवादी गिरोहों से सांठगांठ है। उन्होंने विभिन्न संदर्भों का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू जितना सहिष्णु कोई नहीं है। हमारी कूटनीति अलग हो सकती है। मगर हिंदू असहिष्णु कभी नहीं हो सकता। कांग्रेस की नीतियां तुष्टिकरण से प्रेरित रही। इससे हिंदू अंदर-ही-अंदर जलता रहा। बेशक कुछ लोग भड़काने को तैयार रहते हैं, मगर हमें इस पर अपनी ऊर्जा खत्म करने की जरूरत नहीं है। बाबरी मस्जिद मामले में बांग्लादेश और पाकिस्तान में प्रतिक्रिया हुई। तसलीमा नसरीन जैसी लेखिका को प्रोग्रेसिव राइटर होने का दंश झेलना पड़ा। सारी घटनाएं एकतरफा है। सनातनी के डीएनए में हिंसा नहीं है। सनातनी सौहार्द रखता है। सनातनी डरपोक हो सकता है मगर हिंसक नहीं हाे सकता। डॉ. व्यास ने कहा कि मंगोल और मुस्लिम के डीएनए में हिंसा और नृंशसंता है। नृंशसता घर में सिखाई जाती है। उनके डीएनए में हिंसा है। उन्हें सिखाया जाता है कि हमारा ईश्वर एक है या तो उसके आगे सिर झुका लो नहीं तो मार डालो। कुछ देशों ने कुरान की 26 आयतें हटा दी। इसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई और फिर से आयतें रखनी पड़ी। मगर चीन ने ऐसा नहीं किया। चीन ने 26 आयतें हटा दीं। मुसलमानों को सिखाया जाता है कि सबकुछ अल्लाह है बाकी सब काफिर। अंग्रेजों का भी यही लक्ष्य था। वे व्यापार करने आए थे और अपने धर्म का प्रचार करना चाहते थे, मगर पहला और दूसरा वर्ल्ड वार होने से उनके मंसूबे पूरे नहीं हुए। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हम अपने बच्चों को राष्ट्र प्रेम की कहानियां सुनाएं। हमारे हीरो देशभक्त हाेने चाहिए।

अराजगता आतंक पैदा करती है : त्रिभुवन सिंह भंडारी

त्रिभुवन सिंह भंडारी ने कहा कि अराजगता आतंक पैदा करती है। आतंकवाद की जड़ें कहीं भी हो सकती है। जो भी एकेश्वरवाद को मानता है वहां आतंकवाद है। यानी हम-तुम या तो हमारे जैसे हो जाओ नहीं तो तुम्हें खत्म कर देंगे। मुस्लिम धर्म नहीं समूह रह गया है। 56 देश तलवार के बल पर बने हैं। भारत में मुस्लिमों को सत्ताच्युत होने की पीड़ा है। भारत के मुसलमान सनातनियों से घिरे रहे। अगर हिंदू अधिक कट्‌टर हो गए तो सिविल वार छिड़ सकती है। इसलिए हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा। हमें संयम बरतने की जरूरत है। लंबे समय तक सत्ता में रहने की सोच भी घातक सिद्ध हाे सकती है। इस बार धर्म पूछ पूछकर मारा गया। इसलिए इस समय संयम रखने की जरूरत है। इमोशन पर काबू रखने की जरूरत है।

आतंकवादियों का कोई धर्म-जात नहीं होती : कर्नल बलदेव चौधरी

कर्नल (सेवानिवृत्त) बलदेव चौधरी ने कहा कि आतंकवादियों का कोई धर्म या जात नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को अच्छी एजुकेशन देनी चाहिए। संस्कारित करना चाहिए। देशप्रेम की सीख देनी चाहिए। ताकि नफरत और घृणा को दूर किया जा सके। शिक्षा की अचूक दवा है जिससे समाज और देश की सारी बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। वैज्ञानिक सोचा जागेगी तभी आतंकवाद को भगाया जा सकेगा। दिमाग को प्रदूषित होने से बचाने की जरूरत है।

अंकुश विद्रोह को जन्म देता है : योगाचार्य मुक्ता

इस मौके पर योगाचार्य मुक्ता ने कहा कि अंकुश विद्रोह को जन्म देता है। इसलिए जरूरत है कि अंकुश कम से कम लगाया जाए। हमें अपने बच्चों को संस्कारित फ्रीडम देनी होगी।

कविता और साहित्य से आतंकवाद मिटाया जा सकता है : दशरथ सोलंकी

कार्यक्रम में साहित्यकार दशरथ सोलंकी ने कहा कि कविता और साहित्य से आतंकवाद को मिटाया जा सकता है। उन्होंने तानाशाह को उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो मानवता का निर्माण कर सके। साहित्य ही आतंकवाद को मिटा सकता है। लॉन्ग टर्म समस्या साहित्य और कविता से ही मिट सकती है।

वेदस्थली से जुड़ें, आज ऐसे मिशन की जरूरत : अयोध्याप्रसाद गौड़

वरिष्ठ चिंतक और पत्रकार अयोध्याप्रसाद गौड़ ने कहा कि वेदस्थली मिशन हमने शुरू किया है। हमारा लक्ष्य 2028 तक हर राज्य तक पहुंचना है। प्राचीन समय से दैत्य और देवताओं में द्वंद्व चलता रहा है। जब राम ने रावण का वध किया तो राम ने कहा कि कि रावण प्रवृत्ति दुनिया से खत्म हो नहीं सकती और राम फिर आएंगे नहीं ऐसा भी कभी होगा नहीं। आतंकवाद को मिटाने के लिए भी हमें राम की तरह बच्चों को शिक्षित करना होगा। संस्कारित करना होगा। इसी उद्देश्य से वेदस्थली अभियान शुरू किया है। इसके माध्यम से कहानी लेखन, उपनिषद गंगा के एपिसोड छोटे-छोटे बच्चों को एक-एक कर दिखाएंगे। बचपन से संस्कार देंगे तो बच्चे संस्कारित होंगे।

हमें जो पढ़ाया जाता है, वो पाठ्यक्रम ही दूृषित है : जूही

युवा वर्ग से बोलते हुए जूही ने कहा कि हमें जो पढ़ाया जा रहा है वो पाठ्यक्रम ही दूषित है। हमें ऐसे ऐसे पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं जो भेदभाव करते हैं। शुरू से लेकर सारी किताबों में नेहरू और गांधी के अलावा कुछ पढ़ाया ही नहीं जाता जबकि भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस की कहानियां चार लाइन में खत्म कर दी जाती है। जब पाठ्यक्रम ही सही नहीं होगा तो भावी पीढ़ी कैसे तैयार होगी?

एजुकेशन का अतिक्रमण हो गया है : अजय त्रिवेदी

अजय त्रिवेदी ने कहा कि आज एजुकेशन का अतिक्रमण हो गया है। एजुकेशन को एज यू केश कर दिया है। यही कारण है कि हमारी शिक्षा दूषित हो गई है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद को खत्म करने के लिए इच्छा शक्ति की जरूरत है। हमें कठोर कदम उठाकर ही आतंकवाद खत्म करना होगा।

आतंकवाद सांप है : कैलाश कौशल

इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश कौशल ने कहा कि आतंकवाद सांप है। सांप का इलाज होना ही चाहिए। सांप की मानसिकता और बुनावट ही ऐसी होती है। उसके भीतर जहर ही भरा होता है। फिर चाहे उसे दूध पिलाओ या पुचकारो। वो तो फन ही मारेगा। इसलिए सबसे पहले सांप का इलाज करना जरूरी है।

शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का प्रचार करें : सरोज कौशल

इस मौके पर सरोज कौशल ने कहा कि हमें शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा का प्रचार करना होगा। संस्कारित शिक्षा का प्रचार करके और देशभक्ति की कहानियां सुनाकर ही हम आतंकवाद से लड़ने के लिए देशप्रेम का माहौल बना सकते हैं। एक मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि वो सारी कलुशिता से लड़ सकता है। इसलिए बच्चों को संस्कारित शिक्षा देनी होगी। ऐसी संगोष्ठियां स्कूलों में आयोजित करने की जरूरत है।

सांप्रदायिक हमले का सरकार जवाब देगी : एनडी निंबावत

सीनियर एडवोकेट और साहित्यकार एनडी निंबावत ने कहा कि पहलगाम का हमला आतंकवादी हमला नहीं होकर यह सांप्रदायिक हमला था। इससे निपटने के लिए सरकार तैयारी कर रही है। कुछ ही दिनों में एक्शन हो भी जाएगा। देश देखेगा कि सरकार किस तरह आतंकवाद से निपटती है। धर्म पूछकर मारना साफ है कि यह सांप्रदायिक हमला था। सरकारी तंत्र काम कर रहा है। इसका बदला लिया जाएगा। हमारा देश राम-कृष्ण का देश है। यहां राम ने आदर्श का पाठ पढ़ाया तो कृष्ण ने कर्म का। अब हमें मिलकर आतंकवाद से लड़ना होगा।

इन्होंने भी विचार व्यक्त किए 

प्रो. रतनलाल माथुर, अशोक माथुर, सुनील माथुर, डॉ. अमित व्यास, डॉ. राकेश श्रीवास्तव, प्रगति गुप्ता, मोहनदास वैष्णव ने भी विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में राइजिंग भास्कर की एडिटर इन चीफ राखी पुरोहित, ग्रुप एडिटर डीके पुरोहित सहित 40 से अधिक प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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