आज देखना तुम
आज देखना तुम
शरद पूर्णिमा के चांद को
कर देगी शीतल उसकी चांदनी
तुम्हारे तन-मन को ।
गायेगी हवा रागिनी
तब आयेगी याद प्रीतम की
नम कर जायेगी तब
तेरे दोनों नयन को ।
सितारों की महफ़िल में
चांद होगा तन्हा
बढ़ा देगा उसका गम
आशिकों की तड़फन को ।
जलते रहेंगे यादों के दिये
शम्मा की तरह
कौन समझेगा परवानों के
इस दर्दो जलन को
