राइजिंग भास्कर डाॅट कॉम. जोधपुर
जोधपुर में मधुबन, भगत की कोठी, नई सड़क और कुछ अन्य जगहों पर एक ही नाम की कई चाय होटल संचालित हो रही है। इस चाय की होटल में मादक पदार्थों की तस्करी हो रही है। इसमें पुलिस के कुछ अधिकारी भी सहयोग कर रहे हैं।
यहां हर प्रकार के नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है। तस्करी के लिए ट्रासंसपोर्ट नगर मुफीद बना हुआ है। रोज राज तो ट्रकों में मादक पदार्थ देश भर में सप्लाई के लिए जाते हैं और इसमें पुलिस के आला अधिकारी भी मिले हुए हैं। दिल्ली ब्रांच की सीआईडी की खुफिया रिपोर्ट बताती है कि बगैर पुलिस के मिलीभगत के तस्करी हो ही नहीं सकती। रात के सन्नाते में सडकों की लाइटें बंद हो जाती है और सीसीटीवी कैमरों में ट्रक पकड़ में नहीं आते। ना ही उन पर नजर रखी जा सकती। आधी रात को कई ट्रक पाली, झालामंड और विभिन्न इलाकों पर रुकते हैं और पता पूछने के बहाने मादक पदार्थों की सप्लाई कर चले जाते हैं।
यह ताे हुई एक चाय वाले की बात। यह एक चाय वाले की कहानी नहीं है। पूरा ट्रांसपोर्ट नगर नशे और गोल्ड की तस्करी का अड्डा बना हुआ है। ट्रांसपोर्ट नगर के लगते पहले दैनिक भास्कर का ऑफिस हुआ करता था। वहां खुल्लेआम तस्करी होती थी, मगर इतने बड़े अखबार के नामी रिपोर्टरों को इसकी भनक तक नहीं लगती थी। रात को पुल से ट्रक और बड़ी गाडियां ओवरलोडेड निकलती है। ना कोई पुलिस वाला रोकने वाला और ना ही कोई कार्रवाई। पुलिस की गाड़ियां रात को वहां से निकलती और पुलिस के अधिकारी दैनिक भास्कर के संपादक अरविंद चोटिया से हाथ मिलाकर चले जाते। कितनी हैरानी की बात है कि इतने बड़े मीडिया के रिपोर्टराें को तस्करी की वारदातों का पता ही नहीं चलता। फोन पर थानों से क्राइम की खबरें करने वाले और प्रेस नोट पर अपनी नौकरी चलाने वाले क्राइम रिपोर्टरों ने कभी जान की रिस्क ली ही नहीं। राइजिंग भास्कर के इस रिपोर्टर ने पिछले दिनों एक ट्रक को रुके देखा तो वह भी वहां खड़ा हो गया। एक लड़का आया और कैबिन में चढ़ गया। उसने कुछ पैकेट उतारे और चलता बना। जब इस रिपोर्टर ने फोटो खींचने चाहे तो ट्रक ड्राइवर झगडा करने पर उतारू हो गया। यह रिपोर्टर किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई।
मधुबन में चाय की जो हाेटल चलाता है उसका एक आदमी कुछ दिनों पहल जेल से छूट कर आया है। इन हाेटल वालों का काम झगड़ा फसाद करना ही रहा है। मधुबन की इस होटल के मालिक को एक पड़ोसी समझा समझा कर थक चुका है कि अपनी होटल के पिछवाड़े की जगह पैक कर ले क्योंकि दिन भर लोग यहां चाय पीने आते हैं और सिगरेट आदि पीते हैं और गंदी गालियां देते हैं। मगर चाय होटल वाला झगड़ा करने पर उतारू हो गया। पुलिस वाले भी कोई सुनवाई नहीं करते। अशोक गहलोत के गृह नगर में तस्करी के इतने बिड़े कारोबार में खुद उनकी कम्युनिटी के लोग जुटे हुए हैं। कुछ विशेष जात के लोग तो तस्करी के लिए बदनाम है, वे अब छोटी मोटी तस्करी नहीं करते। करोड़ों-अरबों का कारोबार ट्रांसपोर्ट नगर के जरिए तस्करी का हो रहा है। ऐसा नहीं है कि पुलिस को पता नहीं है। मगर राजस्थान पुलिस के आला अधिकारी भी इसमें मिले हुए हैं।