अरुण माथुर. जोधपुर
6 दिसंबर 1992 की भोर में तीन-साढ़े तीन बजे से ही सरयू में डुबकियों का शोर, कंपकंपाते होठों से सिर्फ रामधुन और जय श्रीराम के नारे लग रहे थे। अरुणोदय की किरणें जैसे-जैसे सूर्योदय की ओर जा रही थीं, वैसे-वैसे लोगों के पग रामलला के दर्शन के लिए बढ़ रहे थे। साधु-संत, बूढ़े-जवान सब उस घट रहे इतिहास के साक्षी बनना चाह रहे थे। पुलिस भीड़ को तितर- बितर कर रही थी। इस बीच पता चला कि मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने प्रशासन को सरत निर्देश दिए थे कि चाहे जो हो, लेकिन कार सेवकों पर गोली नहीं चलेगी। डेढ़ से दो घंटे में तीनों गुंबद ढहा दिए गए। इसी बीच पुजारियों ने रामलला को गुलाबी चादरों में लपेटकर उन्हें उचित स्थान पर स्थापित कर दिया। इस बीच अनेक लोग घायल हुए, कई लोगों की मृत्यु भी हुई, लेकिन कारसेवक अपने काम से डिगे नहीं। आज से ठीक 32 साल पहले 6 दिसंबर 1992 की ही वह तारीख थी, जब देशभर से जुटे कार सेवकों ने बाबरी विध्वंस को अंजाम दिया था. इसकी वजह से लंबे समय तक तनाव रहा, लेकिन 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस ऐतिहासिक विवाद का निपटारा कर दिया. 6 दिसंबर की इसी तारीख पर देश भर से लाखों कार सेवक पहुंचे थे अयोध्या देशभर से लाखों कार सेवकों की भीड़ अयोध्या के बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ रही थी. इनमें हजारों लोग एक साथ नारे लगा रहे थे- जय श्री राम, राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, एक धक्का और दो… इस नारे की गूंज से पूरी अयोध्या नगरी गूंज रही थी. केंद्र की नरसिंह राव सरकार, राज्य की कल्याण सिंह सरकार और सुप्रीम कोर्ट देखते रह गए, लाखों लोगों की भीड़ मस्जिद के अंदर घुस गई और ढांचे को तोड़ दिया. हाथों में बल्लम, कुदाल, छैनी-हथौड़ा लिए उन पर वार पर वार करने लगे. जिसके हाथ में जो था, वही उस ढांचे को ध्वस्त करने का औजार बन गया. यह सब होने में महज दो घंटे लगे. इस सारे घटनाक्रम की जांच के लिए बाद में ‘लिब्रहान आयोग’ का गठन किया गया. हालात को समझ नहीं पाए थे मजिस्ट्रेट सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने ‘बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि परिसर’ का दौरा किया था. हालांकि वे हालात को भांप नहीं पाए थे. उन्हें यह पूरा आयोजन एक सामान्य कार सेवा का कार्यक्रम ही लगा. समय बीतने के साथ वहां लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी. दोपहर को अचानक भीड़ गुंबद पर पहुंचने में कामयाब हो गई. उसके बाद वहां होनेवाले घटनाक्रम पर किसी का भी नियंत्रण नहीं रहा. भीड़ बेकाबू हो चुकी थी और गुंबद ध्वस्त. बर्खास्त की गई थी राज्य की सरकार इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया. खबरें तो ऐसी भी थीं कि कल्याण सिंह बर्खास्तगी की सिफारिश से करीब तीन घंटे पहले ही इस्तीफा दे चुके थे. हालांकि अब ये बातें इतिहास हो चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि पुराने राम मंदिर पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी. अब वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है.