राखी पुरोहित. जोधपुर
चिराग़े मुहब्बत जलाओ ज़मीं पर, अंधेरा न रह जाए यारो कहीं पर …जैसे खूबसूरत शेर कहने वाले मशहूर शायर रम्ज़ी इटावी के जीवन कृतित्व व व्यक्तित्व पर आधारित एक साहित्यिक संगोष्ठी का इटावा के मोहल्ला आज़ाद नगर में आयोजन किया गया। वरिष्ठ शायर सलीम वारसी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कहा कि रम्ज़ी इटावी का जन्म 1912 में इटावा में हुआ था और 2002 में जोधपुर में निधन हुआ। उन्होंने जोधपुर राजस्थान को अपनी कर्मस्थली बनाया, रम्ज़ी इटावी 1979 में राजस्थान उर्दू अकादमी के सदस्य बनाए गए थे, आपका प्रसिद्ध काव्य संग्रह सहरा में भटकता चांद राजस्थान उर्दू अकादमी ने उर्दू अकादमी ने प्रकाशित किया था। शायर रियाज़ इटावी ने कहा कि रम्ज़ी इटावी ने अपनी रचनाओं में प्रकृति चित्रण बहुत अनूठी शैली में किया है। शायर यासीन अंसारी ने कहा कि रम्ज़ी इटावी ने अपनी शाइरी के माध्यम से विश्व बंधुत्व का संदेश दिया है । गोष्ठी में कई कवियों व शायरों की रचनाएं पसंद की गई। मुझको एहसास करा देते हैं आंसू तेरे, सारे हालात बता देते हैं आंसू तेरे, आरिफ़ सिद्दीक़ी ने ..नूर इतने बड़े जहान में अपना कोई तो हो समझे ,हमारे दर्द को ऐसा कोई तो हो ,सलीम वारसी ने जीवन की तस्वीर सजानी पड़ती है ,अपनी क़िस्मत ख़ुद चमकानी पड़ती है , शायर रियाज़ कलवारी ने ..उन्हें लगता है कांटों की तरह हैं ,
मगर हम लोग फूलों की तरह हैं … शायर यासीन अंसारी इनके अलावा शायर अजहर इटावी की रचनाएं पसंद की गई.। आयोजक रियाज़ इटावी ने सभी का स्वागत और आभार व्यक्त किया।