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Monday, January 20, 2025, 1:17 am

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जुग-जुग जियो हमारे अभिमान…. पूर्व नरेश गजसिंह जिन्होंने दुनिया में बढ़ाया जोधपुर का स्वाभिमान

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1 जनवरी 2025 को तिथि के अनुसार पूर्व नरेश गजसिंह के जन्म दिन पर राइजिंग भास्कर उनके शतायु होने की शुभकामना अर्पित करता है

शिव वर्मा. जोधपुर 

जोधपुर के पूर्व नरेश गजसिंह मारवाड़ की कला, साहित्य ,संस्कृति एवं विरासत के संरक्षक के रूप में अपनी बेहतरीन भूमिका हमेशा निभा रहे हैं। आपकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मारवाड़ के सांस्कृतिक दूत की भूमिका है। महाराजा गज सिंह देश व विदेश में लोकप्रिय व्यक्तियों में गिने जाते है।

देश में प्रजातंत्र के बाद में भी जोधपुर के राज परिवार व पूर्व नरेश गज सिंह के प्रति मारवाड़ की प्रजा के सभी जाति, धर्म, समाज के लोगों में बहुत सम्मान है । मारवाड़ की जनता के साथ अपणायत भरे रिश्ते हैं। आपका हर समाज के साथ गहरा जुड़ाव है । सभी धर्म व समाज के समारोह में आप शिरकत करते हैं। पूर्व नरेश गज सिंह हमेशा कहते हैं कि मेरी पहचान मारवाड़ की जनता से है।  म्हारी ओलखाण आपसूं है ।

राजदादीसा व राजमातासा के संस्कार

पूर्व नरेश गज सिंह का जन्म 13 जनवरी 1948 को हुआ । मगर तिथि के अनुसार उनका जन्म पौष शुल्क दूज काे हुआ था। इनके जन्म के 4 वर्ष बाद पिता महाराजा हनवन्त सिंह का 26 जनवरी 1952 को विमान दुर्घटना में निधन हो गया। यह समय जोधपुर राज परिवार के लिए अनुकूल नहीं था । युवराज गज सिंह का 12 मई 1952 को महाराजा के रूप में राजतिलक हुआ । ऐसे समय में स्वर्गीय महाराजा उम्मेद सिंह की धर्मपत्नी राजदादीसा बदन कंवर ने इस विकट समय में राजपरिवार के संरक्षक की बेहतर भूमिका निभाते हुए परिस्थितियों को सही तरह से संभाला एवं स्वर्गीय महाराजा हनवन्त सिंह की धर्मपत्नी राजमाता कृष्णा कुमारी ने महाराजा गज सिंह का राजसी परम्परानुसार बेहतर लालन – पालन किया व संस्कारवान बनाया ।

विदेश में उच्च शिक्षा, पर संस्कार भारतीय

पूर्व नरेश गज सिंह ने इंग्लैंड में कोटहिल हाउस ईटन कॉलेज व क्राइस्टचर्च ऑक्सफोर्ड से 1970 में उच्च शिक्षा प्राप्त की। राजनीति, अर्थशास्त्र व दर्शनशास्त्र में ग्रेजुएशन ( ऑनर्स) , एमए किया। विदेश में पढ़ाई के बावजूद भी अपने संस्कार कायम रखें।

विदेश से लौटने पर हुआ ऐतिहासिक स्वागत

पूर्व नरेश गज सिंह के विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त कर जोधपुर आने 11 नवंबर 1970 को रेलवे स्टेशन से किले में मां चामुंडा मंदिर में दर्शन कर फिर उम्मेद भवन पैलेस पहुंचने तक मारवाड़ की जनता ने जगह ऐतिहासिक व शानदार स्वागत किया ।

महारानी हेमलता राजे का बेहतरीन साथ

पूर्व नरेश गज सिंह का विवाह 19 फरवरी 1973 को पुंछ राज परिवार में राजा शिवरतन सिंह देव की पुत्री राजकुमारी हेमलता राजे के साथ हुआ। हमेशा अपनापन, सजग व सक्रिय एवं लोगों से सीधे जुड़ाव रखने वाली महारानी हेमलता राजे जीवन संगिनी के रूप में गज सिंह के हर कार्य, विचार व सोच में पूरा सहयोग रखती है। उनके हौसलों व इरादों को मजबूती प्रदान करती है।

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक दूत की भूमिका

पूर्व नरेश गज सिंह ने देश-विदेश में अपने मारवाड़ व जोधपुर की कला, संस्कृति, पर्यटन ,विरासत की पहचान बनाने में सांस्कृतिक दूत की भूमिका निभा रहे है । गज सिंह के मुख्य संरक्षण में कला व संस्कृति को बढ़ावा देने व इतिहास संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए जाते हैं। राजस्थान के लोक कलाकारों को नई पहचान देने के लिए मेहरानगढ़ फोर्ट में प्रतिवर्ष सूफी फेस्टिवल व जोधपुर रिफ जैसे बड़े आयोजन करवाए जाते हैं, जिसमें स्थानीय व देशी -विदेशी कलाकारों को एक मंच मिलता है। इसके साथ ही मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट व महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश के द्वारा अनेक अंतरराष्ट्रीय – राष्ट्रीय संगोष्ठियों व समारोहो का आयोजन व पुस्तकों का प्रकाशन व शोध कार्य हो रहा है।

मारवाड़ की प्रतिभाओं का संरक्षण व सम्मान

12 मई को जोधपुर स्थापना दिवस समारोह में मारवाड़ की विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को मेहरानगढ़ दुर्ग में मारवाड़ रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाता है। वीर दुर्गादास राठौड़ जयंती समारोह पर भी मारवाड़ की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है । उम्मेद भवन पैलेस मे तिथि के अनुसार आयोजित जन्मदिन पर परंपरा अनुसार सम्मान प्रदान किए जाते हैं।

अनेक उच्च पदों पर बेहतर कार्य किया

गज सिंह ने जिस पद पर भी कार्य किया, उसकी प्रभावी छाप छोड़ी। 1971 से 1980 तक वेस्टइंडीज के ट्रिनिडाड व टोबगो में भारतीय उच्चायुक्त रहे, यह समय याद करने योग्य है । 22 मार्च 1990 से 4 जून 1992 तक राज्यसभा में निर्दलीय व निर्विरोध सांसद रहते हुए संसद में अपनी अलग पहचान बनाई । 1994 से 1998 तक आरटीडीसी के चेयरमैन रहते हुए राजस्थान में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने का अच्छा कार्य किया व निर्णय लिए।

अनेक संस्थाओं को मिल रहा है संरक्षण

पूर्व नरेश गजसिंह अनेक संस्थाओं, संगठनों, ट्रस्टों, चैरिटेबल ट्रस्टों के मुख्य संरक्षक व अध्यक्ष के पदों पर पदस्थापित हैं। देश भर में अनेक संस्थाओं के चेयरमैन के रूप में पद स्थापित है। इन संस्थाओं को अपनी कार्य शैली व व्यक्तित्व से आगे बढ़ाने की प्रभावी भूमिका में रहते हैं।

बालिका शिक्षा को बढावा

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पूर्व नरेश गजसिंह द्वारा विशेष जोर दिया जा रहा है। जोधपुर में राजमाता कृष्णा कुमारी गर्ल्स पब्लिक स्कूल की स्थापना की, जिस का स्थान देश के बेहतर गर्ल्स स्कूलों में है। इसके साथ ही पाली जिले के देसूरी फोर्ट में हिज हाइनेस महाराजा हनवन्त सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में 1987 से राजमाता कृष्णा कुमारी गर्ल्स हॉस्टल संचालित हो रहा है। केरू फोर्ट में भी मोहन कंवर गर्ल्स हॉस्टल संचालित किया जा रहा है।

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए निरंतर प्रयासरत

पूर्व नरेश गज सिंह वर्षों से राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए लगातार हर स्तर पर प्रयास कर रहे है । केंद्र व राज्य सरकार स्तर पर निरन्तर प्रयासरत हैं। नई दिल्ली के बोट क्लब पर भी आपकी अगुवाई में धरना दिया गया था ।

मारवाड़ में जल संरक्षण व जल संचय के लिए सार्थक प्रयास

मारवाड़ में निरंतर पड़ते अकाल व सूखे व कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए लोगों में जल संरक्षण व जल संचय के प्रति जागरूकता के लिए आपने जल भागीरथी फाउंडेशन की स्थापना करके मारवाड़ के अनेक स्थानों में जल संरक्षण के कार्य करवाए व लोगों को जल संचय के प्रति भी जागरूक करने का कार्य करवा रहे हैं।

मारवाड़ में वर्षा के लिए रामदेवरा पदयात्रा

मारवाड़ के लोगों की सुख समृद्धि व अकाल की स्थिति में वर्षा के लिए 5 सितंबर 1986 को जोधपुर से रामदेवरा तक पदयात्रा की व लोक देवता बाबा रामदेव जी के दर्शन कर प्रार्थना की। इस पदयात्रा में जोधपुर से अनेक लोग आपके साथ थे व रास्ते में अनेक लोग जुड़ते गए। जगह-जगह पदयात्रा का स्वागत हुआ।

अंतरराष्ट्रीय अवार्ड

वर्ल्ड मॉन्यूमेट फंड न्यूयॉर्क ने मानवता की कलात्मक व सांस्कृतिक पुरातात्विक संपदा के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्च कोटि का नेतृत्व प्रदान करने के लिए 27 अक्टूबर 2006 में हेंड्रियन अवार्ड, 2011 में इटोज हॉल ऑफ फेम अवार्ड , 25 नवंबर 2014 में नई दिल्ली में कला ,पर्यटन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोनडे नास्ट ट्रैवलर द्वारा लाइव टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया। आपके संरक्षण में मेहरानगढ़ दुर्ग को यूनेस्को एशिया पेसिफिक अवार्ड, 2013 में नागौर दुर्ग को आगा खान अवार्ड फॉर आर्किटेक्चर के लिए नामित किया गया ।

पोलो को नई पहचान व संरक्षण

जोधपुर व पोलो का लंबा इतिहास रहा है । रियासत काल में पोलो खिलाड़ी विदेश में भी पोलो खेलते थे। गज सिंह ने पोलो को नई पहचान व संरक्षण देते हुए 1998 में जोधपुर पोलो एंड इक्वेस्ट्रियन इंस्टिट्यूट की स्थापना करके गज सिंह स्पोर्टस फाऊंडेशन पोलो मैदान में घास का मैदान तैयार करवाया व हर वर्ष दिसम्बर में पोलो सीजन का आयोजन करवाते हैं , इसमें देश-विदेश से प्रसिद्ध खिलाड़ी खेलने आते व स्थानीय खिलाड़ियों को भी उनके साथ खेलने का मौका मिलता है । अभी 30 दिसम्बर को एक माह चले 25 वें पोलो सीजन का समापन हुआ है।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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