सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
सौंफ फसल में फूल आने के बाद सिचांई आवश्यकता अनुरूप करने की प्राथमिकता हो। रबी मौसम की सौंफ मशाला की प्रमुख फसल है। कृषि क्षेत्र में सौंफ फसल की खेती कर रहे है किसान कृषि-उद्यानिकी अधिकारी खेतों में जाकर सौंफ फसल में अपनायी जाने वाली कृषि उन्नत तकनीकी की जानकारी किसानों को दे रहे है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सौंफ फसल के कीट-रोग में प्रायःमोयला, पर्णजीवी व मकडी प्रमुख कीट है। विशेषकर मोयला कीट पौधों के कोमल भाग से रस चूसता है तथा फसल को नुकसान पहूंचाता है। पर्णजीवी (थ्रिप्स) कीट बहुत ही छोटे का आकार होता है तथा कोमल एवं नई पत्तियों से हरा पदार्थ खुरचकर खाता है जिससे पत्तियां पर धब्बे दिखाई देने लगते है तथा पत्ते पीले पड़कर सूख जाते है। मकडी छोटे आकर का कीट होता है जो पत्तियों पर घूमता रहता है व रस चूसता है। जिससे पौधा पीला पड़़ जाता है। रोग में छाछ्या प्रायःहोता है यह रोग के लगने पर शुरू में पत्तियों एवं टहनियों पर सफेद चूर्ण दिखाई देता है जो बाद में पूर्ण पौधें पर फैल जाता है। कीट-रोग के लक्षण दिखाई देने पर सिफारिश दवा का छिड़काव करना महत्वपूर्ण है। समय पर पौधसंरक्षण के उपाय को अपनाना सदैव प्रभावी होता है। वही सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी ने सौंफ फसल का निरीक्षण के दौरान फसल उत्पादन वृद्धि की उन्नत कृषि तकनीक की जानकारी दी। फसल में निराई-गुड़ाई, फसल की क्रान्तिक अवस्थाओं पर सिचांई एवं पौधसंरक्षण के उपाय समय-समय पर अपनाने को लेकर मौके पर किसानों में विस्तार से जानकारी साझा की। इस मौके पर शोकिन मोहम्मद, पांचाराम, उस्मान नुर मो. व फारूक मो. सहित किसान उपस्थित रहे।