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Sunday, February 16, 2025, 5:47 pm

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राजस्थान की हजारों कलमों से समृद्ध हुआ है हिंदी साहित्य : प्रो. शेखावत

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‘हिंदी के विकास में राजस्थान का योगदान’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू

राखी पुरोहित. जोधपुर

राजस्थान ने अपनी हजारों कलमों से हजारों ग्रंथों की रचना कर हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है। प्राच्य विद्यापीठ में संरक्षित राजस्थानी के हजारों हस्तलिखित ग्रंथों ने हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह विचार राजस्थानी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर कल्याण सिंह शेखावत ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन सभागार में हिंदी विभाग की ओर से ‘हिंदी के विकास में राजस्थान का योगदान’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।

सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए शेखावत ने कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय पत्थरों की इमारत की वजह से नहीं बल्कि वहां के विद्वान शिक्षकों से जाना जाता है। उन्होंने शोध का महत्व बताते हुए कहा कि अनुसंधान साधारण नहीं बल्कि एक साधना पूर्वक प्रक्रिया है। इस दौरान शेखावत ने कुंवर चंद्र प्रकाश सिंह पर व्याख्यान माला आयोजित करवाने के लिए 51 हजार रुपए के आर्थिक सहयोग की घोषणा भी की। सत्र में आलोचक एवं प्रोफेसर गजादान चारण ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि भाषाई विकास में राजस्थान का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हिंदी साहित्य के आदिकाल में राजस्थान की साहित्य विधा मौजूद हैं।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एवं कवि डॉ आईदान सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थानी अपने आप में संपूर्ण भाषा है और इसने सभी भाषाओं को प्रेरणा दी है। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर मंगलाराम बिश्नोई ने कहा कि साहित्य समाज में प्राण का संचार करता है। साहित्य से ही देश दीप्तिमान होता है। कार्यक्रम में हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. महीपाल सिंह राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन देते हुए संगोष्ठी का विषय परिचय एवं इसकी पृष्ठभूमि साझा की। कार्यक्रम में संगोष्ठी सह सचिव डॉक्टर महेंद्र सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। उदघाटन सत्र का संयोजन चंद्रभान बिश्नोई ने किया।

प्रतिभाओं को किया सम्मानित

कार्यक्रम के दौरान हिंदी विभाग की ओर से हाल ही में राजस्थान लोक सेवा आयोग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयनित हुए विभाग के विद्यार्थियों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।

इनकी रही उपस्थिति

उद्घाटन सत्र में प्रो. लक्ष्मी अय्यर, प्रो. सुशीला शक्तावत, प्रो. कैलाश कौशल, प्रो. छोटा राम कुम्हार, डॉ. सद्दीक मोहम्मद, डॉ. कालूराम परिहार, माधव राठौड़, डॉ. चंद्रा सदायत, प्रो. भवरूराम जयपाल, डॉ. भगवान सिंह शेखावत, डॉ. केआर मेघवाल, डॉ. देवकरण, डॉ. सुरेश सालवी, डॉ. ललित कुमार सहित हिन्दी विभाग के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

प्रथम दिन हुआ एक तकनीकी सत्र

शनिवार को हुए प्रथम तकनीकी सत्र के बीज वक्ता डॉ. सद्दीक मोहम्मद ने राजस्थानी शोध संस्थान के लोकसाहित्य और हिंदी के विकास में राजस्थान का योगदान बताया। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. लक्ष्मी अय्यर ने सत्र की अध्यक्षता की। प्रथम तकनीकी सत्र में प्रो छोटाराम कुम्हार, कथाकार माधव राठौड़ और डॉ. प्रेम सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे। सत्र का संयोजन खुशी तिवारी ने किया।

दूसरे दिन होंगे दो सत्र

संगोष्ठी के दूसरे दिन रविवार को एक तकनीकी सत्र एवं एक समापन सत्र का आयोजन किया जाएगा। तकनीकी सत्र में विशिष्ट अतिथि मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के डॉ. आशीष सिसोदिया और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के डॉ. कुलदीप सिंह मीना होंगे। सत्र में मुख्य वक्ता डॉ. कालूराम परिहार होंगे। डॉ. राजेन्द्र सिंघवी व डॉ. जगदीश गिरि बीज वक्तव्य देंगे। सत्र का संयोजन हनुमान परिहार करेंगे। समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. फतेह सिंह भाटी होंगे व सत्र की अध्यक्षता प्रो. कैलाश कौशल करेंगी। सत्र की विशिष्ट अतिथि मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर की डॉ. नीतू, परिहार और जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के वित्त नियंत्रक दशरथ कुमार सोलंकी होंगे। सत्र संयोजन प्रवीण कुमार मकवाना करेंगे।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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