बसंत पंचमी पर संबोधि धाम में हुआ विराट सरस्वती महापूजन का आयोजन
श्रद्धालुओं ने किया विशाल प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक और अष्टप्रकारी पूजन
शिव वर्मा. जोधपुर
बसंत पंचमी के पर्व पर कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में महामंगलकारी सरस्वती महापूजन का विराट आयोजन किया गया। इसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं, बच्चों, छात्र-छात्राओं और युवाओं ने विशाल सरस्वती मां की प्रतिमा का महामस्ताभिषेक और अष्टप्रकारी पूजन कर सम्यक ज्ञान और सद्बुद्धि प्रदान करने की कामना की।
इस अवसर पर संबोधि धाम ट्रस्ट मंडल द्वारा समारोह के संयोजक प्रवीण कुमार, निवेदिता कोचर और श्रीमती चन्द्रकान्ता, मूलचन्द कोचर, प्रमोद कुमार, कल्पना बांठिया को उपरना ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया। गुरुजनों ने उन्हें सुंदर प्रतिमा देखकर आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर इंडो पब्लिक स्कूल की बालिकाओं द्वारा सरवस्ती वंदना पर सुंदर भाव नृत्य की प्रस्तुति देख कर सभी भाई बहन आनंद विभोर हो गए।
संबोधि धाम में आयोजित इस महापूजन में सर्वप्रथम राष्ट्र-संत ललितप्रभ महाराज ने दिव्य मंत्रोच्चार कर सरस्वती माँ का आह्वान किया। कार्यक्रम में बच्चे से लेकर बड़ों तक सभी भाई-बहिनों ने दूध, जल, धूप, चंदन, अक्षत, पुष्प और नैवेद्य द्वारा माँ का पूजन किया।
पीलो पीलो उड़े रे गुलाल जोधपुर नगरी में…
महापूजन में देवेंद्र गैलड़ा, अशोक दफ्तरी, खुशबू जैन, गौतम जैन द्वारा माँ की भक्ति से जुड़े भजन – पूजा की है बात मैया आज थाने आणो है…, तू कितनी सुंदर है तू कितनी प्यारी है ओ मां…, पीलो पीलो उड़े रे गुलाल जोधपुर नगरी में…, सपने में दर्शन दे गई रे एक छोटी सी गुड़िया…, सज धज कर बैठी मां और मंद मंद मुस्का रही, आरती उतारो मेरी मैया की चंदा की नजर ना लग जाए…, हे शारदे मां हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां…, जैसे भजन गाए तो श्रद्धालु खड़े होकर नृत्य करने लगे।
सरस्वती की आराधना करने से सद्बुद्धि मिलती है
इस अवसर पर महान दार्शनिक संत चन्द्रप्रभ महाराज ने सरस्वती माता की मंत्र साधना करवाते हुए कहा कि आज सरस्वती माता और लक्ष्मी माता का प्रकट दिवस है। जो सच्चे मन से सरस्वती माता की आराधना और साधना करता है उसकी बुद्धि हमेशा सद्बुद्धि रहती है, उसके जीवन में खूब तरक्की आती है, वह लोगों का भला करता है और अंत में सद्गति का मालिक बनता है। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन 27 बार ओम एं सरस्वत्यै नमः मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए और 20 मिनट अच्छी किताबें का स्वाध्याय करना चाहिए और दूसरों तक सम्यक ज्ञान का प्रचार प्रसार करना चाहिए। जो व्यक्ति ज्ञान और धन का दान करता है उसके जीवन में सरस्वती और लक्ष्मी जी के भंडार सदा भरे हुए रहते हैं। इस अवसर पर डॉ शांतिप्रिय सागर महाराज ने सभी श्रद्धालुओं को पूजन के मंत्रों का उच्चारण करवाया। कार्यक्रम के पश्चात 27 दीपकों से महाआरती और महाप्रसादी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पुरुषोत्तम पुगलिया, अशोक पारख, संदीप मेहता, धनपत ओस्तवाल, हनुमान सिंह चौहान, वीरेंद्र मोहनोत, कीर्ति खजांची, श्रीमती माया भंसाली, श्रीमती मधु पारख आदि सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे।
