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Tuesday, March 18, 2025, 12:20 pm

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होली पर डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’ का गीत

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रंगों की होली

होली में उड़े रे गुलाल रंगीलो सजन वा
रे ।….2
होली तो है रंगों का त्योहार खुशहाली बरसे रे।…..2
रंग बिरंगी रंगीली होली रंगों से सबको
लगे गुलाल।

मंजीरों सजन वा रे।
होली में उड़े रे गुलाल मंजीरों सजन
वा रे।
भांग का सेवन करते सब ठकुराई
ठंडाई पीकर मस्त होकर फिर से
छलांग लगाई। सजीलो मंगेतर रे।
होली में उड़े रे गुलाल सजीलो
मंगेतर रे।

होली की पिचकारी में रंगे दुनिया सारी प्यार का रंग चढ़े और चढ़े खुमार।
सजे सजे सभी लगे नौ नेहाल।
रंगीलो मंगेतर रे।
होली में उड़े रे गुलाल सजीलो मंगेतर रे ।

पान चबा के रसीले होकर झूमे नाचे गीत गाएं हजार रंगीलो बलम वा रे।
होली में उड़े रे गुलाल चमकीलो
सजन वा रे।
राधा किशन का प्रेम कमाल है उस पर मुरली की मधुर तान है गजब करे सनम वा रे।
होली में उड़े रे गुलाल सजीलो मंगेतर रे।

कवयित्री : संजीदा खानम ‘शाहीन’

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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