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Wednesday, March 12, 2025, 9:28 am

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महिला सशक्तिकरण : विकास के डग नारी ने भरे पर चुनौतियां आज भी हैं

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आलेख : डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’

इसी आलेख से… स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की साक्षरता दर 8.6% थी और 7 दशकों के भीतर बढ़कर 64% हो गई है। नारी शिक्षा का महत्व समाज के विकास के लिए बहुत ज़्यादा है। यह न सिर्फ़ महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए फ़ायदेमंद है। शिक्षित महिलाएं अपने परिवार और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।…

अब आगे पढ़िए…

भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति में वर्तमान काल में सुधार हुआ है, लेकिन आज भी महिलाओं को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। महिलाएं अब आर्थिक रूप से आज़ाद हैं और हर तरह के पेशे में काम कर रही हैं। महिलाएं राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और शैक्षिक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। महिलाओं ने पुरुष प्रधान समाज के प्रभाव से मुक्त होकर आज़ाद जीवन जीने की शुरुआत की है। पर महिलाओं को घर और बाहर हिंसा का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए। महिलाओं को अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहना चाहिए। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बाहरी और घर के अंदर हो रही हिंसा को खत्म करना होगा। महिलाओं को शिक्षित करना बहुत ज़रूरी है। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। महिलाओं को आत्मविश्वास जगाना चाहिए। महिलाओं के लिए स्वं-सहायता समूह बनाना चाहिए। महिलाओं के लिए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में नैतिक मूल्यों को शामिल करने चाहिए।

समाज की वास्तविक स्थिति उस समाज में अवस्थित स्त्रियों की दशा देखकर ज्ञात किया जा सकता है। नारियों की स्थिति में समय- समय पर देश- काल के अनुरूप बदलाव होता रहा है । प्राचीन काल में भारतीय नारी को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता था।
भारतीय समाज में नारी की स्थिति क्या है? भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति का रूप माना जाता है । प्राचीन वेदों से हमें यह ज्ञात होता है कि प्राचीन भारतीय समाज मातृसत्तात्मकता था । नारी यह समाज का मूल आधार है तथा ईश्वर द्वारा समाज को दिया गया खूबसूरत उपहार है। जो समाज में नारी, बहन, मां, पत्नी बेटी का रिश्ता निभाती है । भारतीय नारी की दोहरी भूमिका क्या है?

स्त्रियां ही संतति की परम्परा में मुख्य भूमिका निभाती हैं फिर भी प्राचीन समाज से लेकर आधुनिक कहे जाने वाले समाज तक स्त्रियां उपेक्षित ही रही हैं। उन्हें कम से कम सुविधाओं, अधिकारों और उन्नति के अवसरों में रखा जाता रहा है, इसी कारण महिलाओं की परिस्थिति अत्यन्त निचले स्तर पर है। महिलाओं के लिए शिक्षा को बढ़ावा देकर, भारत बहुत तेजी से उच्च साक्षरता दर भी हासिल कर रहा है। दूसरी ओर, यह हमारे देश को सभी पहलुओं में प्रगति करने में प्रभावशाली रूप से मदद करेगा। स्वतंत्रता के बाद महिलाओं की साक्षरता दर 8.6% थी और 7 दशकों के भीतर बढ़कर 64% हो गई है। नारी शिक्षा का महत्व समाज के विकास के लिए बहुत ज़्यादा है। यह न सिर्फ़ महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए फ़ायदेमंद है। शिक्षित महिलाएं अपने परिवार और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।

शिक्षित महिलाएं आर्थिक रूप से आज़ाद होती हैं। शिक्षित महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं। शिक्षित महिलाएं अपने बच्चों को भी शिक्षा के महत्व के बारे में समझा सकती हैं। शिक्षित महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति ज़्यादा जागरूक होती हैं। शिक्षित महिलाएं समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देती हैं। शिक्षित महिलाएं विभिन्न सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाती हैं। शिक्षित महिलाएं युवा पीढ़ी के लिए आदर्श बनती हैं। शिक्षित महिलाएं अपने देश के आर्थिक विकास में योगदान देती हैं। शिक्षित महिलाएं समाज में स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाती हैं।
नारी शिक्षा के लिए सरकार को प्रयासरत होना चाहिए।

संस्कृत में यह उक्ति प्रसिद्ध है- ‘नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ति मातृ समोगुरु:’. इसका मतलब यह है कि इस दुनिया में विद्या के समान नेत्र नहीं है और माता के समान गुरु नहीं है। यह बात पूरी तरह सच है। बालक के विकास पर नारी शिक्षा का महत्त्व नारी शिक्षा का महत्त्व समाज के विकास और प्रगति में अत्यधिक है। यह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए लाभकारी है। यहाँ नारी शिक्षा के महत्त्व को समझाने के लिए कुछ मुख्य बिंदु दिए गए ….नारी शिक्षा का महत्त्व समाज के विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए लाभकारी है। शिक्षा से महिलाएँ आत्मनिर्भर बनती हैं और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता होती है।

महिला शिक्षा के महत्व के पीछे कई कारण हैं। इनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं: 1. महिला शिक्षा किसी भी देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। कोई भी देश तभी विकसित हो सकता है जब उसकी महिलाएँ शिक्षित हों। 2. भारत में महिलाओं की साक्षरता दर 70.4% है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, महिला साक्षरता दर 65.46% थी। साल 2023-24 में 7 साल और उससे ज़्यादा उम्र की महिलाओं की साक्षरता दर 70.4% हो गई है। भारत में साक्षरता से जुड़ी कुछ और खास बातों पर गौर करते हैं।  साल 2011 में देश की साक्षरता दर 74.04% थी। साल 2011 में पुरुषों की साक्षरता दर 82.14% थी। साल 1947 में भारत की साक्षरता दर सिर्फ़ 18% थी। भारत की साक्षरता दर, दुनिया की साक्षरता दर से 84% कम है। महिलाओं में कम साक्षरता का कारण परिवार और आबादी की जानकारी की कमी है। महिलाओं की साक्षरता दर में सुधार के लिए केंद्र सरकार ने साक्षर भारत योजना शुरू की थी।
इस योजना के तहत, 26 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 404 ज़िलों के ग्रामीण इलाकों में काम किया गया। इस योजना के ज़रिए, करीब 7.64 करोड़ लोगों को साक्षर बनाया गया। जनरेटिव एआई की सुविधा फ़िलहाल एक्सपेरिमेंट के तौर पर उपलब्ध है.
भारत में साक्षरता दर 74.04 है (2011), जो कि 1947 में मात्र 18 % थी। भारत की साक्षरता दर विश्व की साक्षरता दर से 84% कम है। … भारत में साक्षरता के मामले में पुरुष और महिलाओं में काफ़ी अंतर है जहां पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 आजादी के बाद से भारतीय महिलाओं की साक्षरता दर में 68% की बढ़ोतरी हुई। 15 मार्च 2023 को  शहरी भारत में 84.11% की तुलना में ग्रामीण भारत में साक्षरता दर 67.77% है। ग्रामीण भारत की साक्षरता दर में हुई शानदार बढ़ोतरी ,साक्षर महिलाओं की संख्या और पिछले दशक में ग्रामीण भारत की साक्षरता दर में शानदार तेजी देखने को मिली है। महिलाओं की साक्षरता दर में भी अच्छी प्रगति देखने को मिल रही है 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की साक्षरता दर वर्ष 2011 में 677%. से बढ़कर है। राष्ट्र निर्माण में नारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और अनिवार्य है। समाज की नींव की मजबूती के लिए नारी का योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता। नारी केवल घर की सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहती। उसकी भूमिका समाज और राष्ट्र की प्रगति में भी व्यापक है। नारी, एक माँ के रूप में, बच्चों को नैतिकता, शिक्षा और संस्कार प्रदान करती है।

कहा जाने लगा कि नारी का पति ही उसका गुरु होता है। शास्त्र में उल्लेख है- गुरुर्ग्निर्दिजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरु:। अर्थात अग्नि द्विजातियों का गुरु है, ब्राह्मण चारों वर्णो का गुरु है, एक मात्र पति ही स्त्री का गुरु है, अतिथि सब का गुरु है। वर्तमान में नारी शिक्षा के मार्ग में निम्नलिखित समस्याएँ है । सभी पक्षों और लडके तथा लड़कियों की शिक्षा में असमानताएँ पायी जाती है। लड़कियों की शिक्षा प्राप्त करने का अवसर लड़कों के अपेक्षा कम मिल पाते हैं। अनेक भारतीय अब भी इन रूढिवादियों, अंधविश्वासों तथा परंपराओं का पोषण एव समर्थन करते है। भारत में स्त्रियों को देवी के रूप में पूजा जाता है, लेकिन बाज़ार ने उन्हें मात्र वस्तु बना दिया है। महिला की सच्ची सूरत की रक्षा के लिए सोच में बदलाव आवश्यक है। स्त्रियाँ माँ, बहन और देवी हैं, जो सर्वोच्च सृजनशील शक्ति का प्रतीक है। भारतीय नारी की पहचान केवल सुंदरता नहीं, अपितु उनके गुण, सादगी और विनयशीलता है। भारत देश ही ऐसा है, जहां नारियों में अलग-अगल राज्यों में अलग-अलग परंपरा और संस्कृतियां विद्यमान हैं। हमें अपनी संस्कृति और परंपरा को तो बनाए रखना है, लेकिन इसके नाम पर जो कुरीतियों और अंधविश्वास है, उन्हें समाप्त करना भी बहुत जरूरी है। सादगी और विनयशीलता भारतीय नारी की पहचान है। नारी की वास्तविक आज़ादी कब होगी? उत्तर: नारी की वास्तविक आज़ादी तब होगी जब वह आज़ाद मनुष्य की तरह मन से आज़ादी महसूस कर सकेगी। वर्तमान समाज में स्त्रियों की क्या स्थिति है? इस पर विचार करें तो पाएंगे कि आजादी के बाद भारत में महिलाओं की स्थिति में बहुत बदलाव आया है। महिलाएं अब शिक्षा, व्यवसाय, राजनीति, विज्ञान, कला, और खेल के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। हालांकि, अभी भी महिलाओं की स्थिति में सुधार की ज़रूरत है। महिलाओं को समान अधिकार देने के लिए कई कानूनी प्रावधान और नीतियां लागू की गई हैं। महिलाएं आत्मनिर्भर और सशक्त बन रही हैं। महिलाएं हर पेशे से जुड़ी हुई हैं। महिलाएं राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और शैक्षिक सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। समाज के कुछ हिस्सों में लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, और कार्यस्थल पर भेदभाव जैसी समस्याएं मौजूद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब परिवारों में महिलाओं की स्थिति अभी भी सुधार की ज़रूरत महसूस करती है। महिलाओं को प्रबंधन क्षेत्र में शीर्ष नौकरियों तक पदोन्नत होने से रोकने वाली ‘ग्लास सीलिंग’ जैसी सामाजिक बाधाएं हैं। महिलाओं को पर्याप्त छुट्टी नहीं मिल पाती। महिलाओं को ऑफिस में ‘सेक्सुअल हरासमेंट’ का डर रहता है। आधुनिक काल में राष्ट्रीय एवं सामाजिक चेतना जाग्रत होने के कारण वर्तमान दशा में नारियों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है । आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्रत होने के कारण वो करूणा, ममता, कोमलता, स्नेह, को छोड़कर वह विलासिता की ओर जा रही है। 20 अगस्त2022 ‘ग्लास सीलिंग’: न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में महिलाओं को एक सामाजिक बाधा का सामना करना पड़ता है जो उन्हें प्रबंधन क्षेत्र में शीर्ष नौकरियों तक पदोन्नत होने से रोकता : वर्तमान समाज में स्त्रियों की स्थिति में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। पहले की अपेक्षा आज महिलाएं शिक्षा, व्यवसाय, राजनीति, विज्ञान, कला और खेल के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही है। स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय नारी की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया। वह घर की चारदिवारी से बाहर निकलकर देष के बहुआयायामी विकास में अमुल्य योगदान देने लगी। आज हमारे देश की नारियां राजनितिक सामाजिक, आर्थिक सांस्कृतिकसभी क्षेत्रों में कार्यरत है। महिला साक्षात देवी है, उनका सर्वोच्च स्थान हमेशा से हमारे समाज में रहा है और हमेशा रहेगा। भारतीय नारी विमर्श की एक बड़ी समस्या यह है कि वह आपसी गुटबंदी का शिकार है । नारी विमर्श में एकसूत्रता न होने से स्त्री की संघर्ष शक्ति बिखर गई है । भारतीय समाज के वैदिक. काल में स्त्री को पुरुषों के समाज में शिक्षा, धर्म,. राजनीति एवं सम्पत्ति के अधिकार एवं सभी मामलों. में समानाधिकार प्राप्त थे। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति का रूप माना जाता है । हमारे प्राचीन वेदों से हमें यह ज्ञात होता है कि प्राचीन भारतीय समाज मातृसत्तात्मकता था । नारी यह समाज का मूल आधार है तथा ईश्वर द्वारा समाज को दिया गया खूबसूरत उपहार है। जो समाज नव भारत के निर्माण में महिलाओं की बड़ी भूमिका है।
लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण करना सतत विकास लक्ष्यों में एक प्रमुखता है। वर्तमान में प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, समावेशी आर्थिक और सामाजिक विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान .
देने की जरूरत है। गौरतलब है कि भारतीय महिलाओं ने राष्ट्र की प्रगति में अपना अधिकाधिक योगदान देकर राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने हेतु सदैव तत्पर रही हैं। सच पूछो तो नारी शक्ति ही सामाजिक धुरी और हम सबकी वास्तविक आधार हैं।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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