(नाचीज बीकानेरी वरिष्ठ साहित्यकार हैं। आप बीकानेर निवासी हैं और इन दिनों बीकानेर में रहकर साहित्य साधना कर रहे हैं। आपकी कई रचनाएं देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती है। आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और कई सम्मान भी मिल चुके हैं। आप राजस्थान दिवस 30 मार्च तक रोज राइजिंग भास्कर के पाठकों के लिए एक कविता लिखेंगे। आज पढिए एक राजस्थानी मांड गीत– सायब जी कद आवोला देस)
सायब जी कद आवोला देस
प्रीत लगाय काळजै, पीऊ जी गया परदेस।
थां बिन किंयां कटै रातां, थे कद पधारो ला देस।।
सायब जी कद आवोला देस………..!
आंगणियों अडोळो लागै, आंख्यां उडीकै थानै ।
तन लाग्योड़ी लाय नैं, क्यूं छोड़ गया म्हानै।।
सायब जी कद आवोला देस……..!
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नैण झुरै रात-दिन, हीयों हिलोळा खाय ।
कद आवोला पीव जी,अ’ घर री भींता खाय।।
सायब जी कद आवोला देस………..!
छीजै तन रात – दिन, आच्छो लागै नी भात ।
थांरी बाट म्हैं जोऊं, दिन देखूं नीं रात।।
सायब जी कद आवोला देस……..!
जाणों हो परदेस तो, क्यूं लगाई तन में अगन ।
थे परदेसां में तड़पो, म्हैं तारा गिणु गगन ।।
सायब जी कद आवोला देस………!
थां बिन इक – इक पल , ज्यूं सौ जुग री बात ।
इयै जीव-जड़ी नै छोड,क्यूं दी विरह री सौगात।।
सायब जी कद आवोला देस………..!
थे जीत्या म्हैं हारी, प्रीतम जी म्हारा थे पधारो नीं
सांस छुटयो जाय सायबा, आय मिळो पधारो नीं।
सायब जी कद आवोला देस……….!
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मईनुदीन कोहरी नाचीज़ बीकानेरी 9680868028
