लेखिका : राखी पुरोहित
मरुस्थलीय क्षेत्रों में फसल लेना दुश्कर कार्य है। जहां मानसून की अनियमितता और पानी की कमी आम बात है, वहां पर फसलों का गणित बिठाना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। रेतीले क्षेत्रों में जहां आंधी बनाया बनाया काम बिगाड़ देती है और मानूसन कभी भी आंख-मिचौली खेल सकता है, किसानों को हमेशा इस बात का ध्यान रखकर ही फसलें लेनी पड़ती है। किसान खेतों में प्रयास करता है कि ऐसा मैनेजमेंट बिठाए कि उनकी परिस्थितियों और मौसम तंत्र के अनुरूप फसल हो। मरुस्थलीय क्षेत्रों में जहां गर्मी में गर्मी अधिक पड़ती है और सर्दियों में सर्दी, ऐसे में फसल लेने के लिए विशेष ध्यान रखना पड़ता है। बात अकेले जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर आदि स्थानों की करें तो फसल लेना कम चुनौतीपूर्ण नहीं हैं। इस आलेख में हम चर्चा करेंगे उन फसलों की जिसको उगा कर हम अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।
पानी की कमी वाले क्षेत्रों में कृषि के लिए ऐसी फसलों का चयन करना महत्वपूर्ण होता है, जो कम जल का उपयोग करती हों और सूखा सहनशील होती हैं। जोधपुर जैसे रेगिस्तानी और सूखा प्रभावित इलाके में निम्नलिखित प्रकार की फसलें अधिक उपयुक्त हो सकती हैं-
1. दलहनी फसलें (Legumes)
मृंग (Moong), उड़द (Urad), चना (Chickpea): ये फसलें कम पानी में अच्छी होती हैं और इन्हें नमी की आवश्यकता कम होती है। इसके अलावा, ये मिट्टी में नाइट्रोजन को बढ़ाती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है। मटर (Peas): मटर भी सूखा सहनशील फसल है और कम पानी में उगाई जा सकती है।
2. तिलहन (Oilseeds)
सरसों (Mustard): सरसों भी कम पानी में उगाई जा सकती है और यह जोधपुर जैसे क्षेत्रों में अच्छी फसल हो सकती है। सूरजमुखी (Sunflower): यह भी एक सूखा सहनशील तिलहन फसल है, जो कम पानी में अच्छी तरह उगाई जाती है।
3. फलफूल और सब्जियां
लोबिया (Cluster Beans): यह फसल सूखा सहनशील होती है और कम पानी में उगाई जा सकती है। भिंडी (Okra): भिंडी भी कम पानी में उगाई जा सकती है और गर्मी सहन करती है, जो जोधपुर जैसे गर्म क्षेत्रों के लिए आदर्श है। कद्दू (Pumpkin) और तरबूज (Melon): ये भी सूखा सहनशील होते हैं और कम पानी में अच्छी उपज देते हैं। ग्वार (Guar): ग्वार की खेती कम पानी वाले इलाकों में बहुत अच्छे परिणाम देती है। इसका उपयोग खाद्य, औद्योगिक और पशुपालन में भी होता है।
4. घास और चारा फसलें
तिनका (Bermuda grass) और जई (Oats) जैसी चारा फसलों को भी कम पानी में उगाया जा सकता है और यह पशुपालन के लिए उपयुक्त होती हैं।
5. नमकीन फसलें (Salt-tolerant Crops)
कपास (Cotton): सूखा सहनशील फसल है, और नमकीन मिट्टी में भी उगाई जा सकती है। सुगंधित फसलें (Aromatic Crops): जैसे कि एलोवेरा (Aloe Vera) और मेथी (Fenugreek), जो कम पानी में भी अच्छी होती हैं और इनका वाणिज्यिक उपयोग भी होता है।
6. फूलों की फसलें
गुलाब (Rose) और चमेली (Jasmine) जैसे फूलों की खेती भी कम पानी में की जा सकती है और इनका व्यापारिक उपयोग होता है।
7. कायमीय खेती (Hydroponic and Aeroponic Farming)
अगर जल की उपलब्धता कम हो, तो हाइड्रोपोनिक्स (पानी के बिना पौधों को उगाने की तकनीक) या एरोपोनिक्स (हवा में पौधों की खेती) जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। इससे जल की खपत कम होती है और अधिक उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है।
8. संसाधन प्रबंधन और जल संचयन
ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation): इस प्रणाली का उपयोग कर पानी की खपत को न्यूनतम किया जा सकता है और पौधों को जरूरत के हिसाब से पानी मिल सकता है।
वर्षा जल संचयन: वर्षा के पानी का संचयन कर इसका उपयोग खेती के लिए किया जा सकता है। इस तरह देखा जाए तो जोधपुर जैसे जल संकट वाले क्षेत्र में कृषि के लिए ऐसी फसलों का चयन करना चाहिए जो कम पानी में उगाई जा सकें, जैसे दलहनी फसलें, तिलहन, फलफूल और चारा फसलें, और सूखा सहनशील पौधों का उपयोग। साथ ही, उन्नत जल प्रबंधन और सिंचाई तकनीकों का भी सहारा लिया जा सकता है।
