Explore

Search

Friday, May 16, 2025, 10:50 am

Friday, May 16, 2025, 10:50 am

LATEST NEWS
Lifestyle

राइजिंग भास्कर स्थापना दिवस स्टोरी… 18…काज़री ने दिए खेती किसानी को नव आयाम

Share This Post

राखी पुरोहित. जोधपुर

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की कृषि व्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था और समाज का अभिन्न हिस्सा है। विशेष रूप से राजस्थान जैसे राज्य, जो अपनी भौगोलिक विषमताओं और सूखा प्रवृत्ति के लिए प्रसिद्ध हैं, कृषि क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करता है। जोधपुर, जो राजस्थान का एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक शहर है, एक समय में गंभीर जल संकट और मरुस्थलीकरण जैसी समस्याओं का सामना कर रहा था। हालांकि, जोधपुर में कुछ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं ने यहां की कृषि प्रणालियों को न केवल बचाए रखा, बल्कि कृषि में नवाचार और बदलाव की भी संभावनाएं पैदा कीं।

इन बदलावों और नवाचारों में से एक महत्वपूर्ण पहलू “काजरी” का उभरना है, जो जोधपुर और राजस्थान के कई अन्य हिस्सों में विशेष रूप से पहचानी जाती है। काजरी, जो एक विशेष प्रकार की खेती की विधि है, ने जोधपुर जैसे क्षेत्रों में कृषि को पुनर्जीवित किया है। इस आलेख का उद्देश्य काजरी की कृषि पद्धति और इसके प्रभावों का गहराई से अध्ययन करना है, विशेष रूप से जोधपुर में इसके प्रभाव पर, जिसमें इसने विषम भौगोलिक परिस्थिति में खेती को कैसे एक नई दिशा दी।

1. काजरी खेती: एक परिचय

काजरी एक पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो विशेष रूप से राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में प्रचलित है। यह एक ऐसी पद्धति है जिसमें वर्षा के जल का संचय कर उसे फसलों की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है। काजरी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें सिंचाई के लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि यह पारंपरिक जल संचयन तकनीकों का उपयोग करती है।

काजरी का शब्दिक अर्थ “काज” (वर्षा) और “री” (सिंचाई) से लिया गया है, यानी यह एक ऐसी प्रणाली है जिसमें वर्षा के जल का सही तरीके से उपयोग कर खेती की जाती है। जोधपुर जैसे क्षेत्रों में, जहां बारिश कम होती है और जल की भारी कमी होती है, काजरी ने कृषि को नई दिशा दी है।

2. जोधपुर की भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियाँ

जोधपुर राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जो पश्चिमी राजस्थान में स्थित है। यह रेगिस्तानी क्षेत्र में आता है, जहाँ वर्षा की मात्रा बहुत कम होती है, और जलस्रोतों की भी कमी है। जोधपुर का क्षेत्र मुख्य रूप से अरावली पर्वत श्रृंखला के पास स्थित है और यहाँ की मिट्टी मुख्य रूप से रेगिस्तानी है।

यहां की जलवायु अत्यधिक गर्म और सूखी होती है, और वर्षा की औसत मात्रा लगभग 300 मिमी या उससे भी कम होती है। इस क्षेत्र में कृषि के लिए जल की सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में पारंपरिक सिंचाई विधियों जैसे नहरों और कुओं से जल प्राप्त करना बहुत कठिन हो जाता है।

वर्षा के सीमित होने के कारण, जोधपुर में कृषि की संभावनाएँ सीमित हो गई थीं। हालांकि, काजरी जैसी कृषि पद्धतियों ने इन विषम परिस्थितियों में भी खेती को बनाए रखने और उसे अधिक प्रभावी बनाने का रास्ता दिखाया।

3. काजरी कृषि पद्धति का उद्भव और विकास

काजरी पद्धति का विकास राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में हुआ। यह पद्धति विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त थी जहां पानी की भारी कमी थी और जहां किसानों के पास अन्य सिंचाई के विकल्प नहीं थे। जोधपुर में काजरी की शुरुआत ने यहां के किसानों को एक नई उम्मीद दी।

काजरी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें सिंचाई के लिए वर्षा के पानी का संचयन किया जाता है। किसान वर्षा के दौरान पानी को जलाशयों, तालाबों और अन्य जलस्रोतों में संचित करते हैं, और बाद में उसी पानी का उपयोग फसलों की सिंचाई के लिए करते हैं। इसके अलावा, काजरी पद्धति में मल्चिंग (मिट्टी की सतह को ढकने की प्रक्रिया) और बुवाई की विशिष्ट तकनीकों का उपयोग भी किया जाता है, ताकि पानी की बचत की जा सके और मिट्टी की नमी बनी रहे।

4. काजरी पद्धति के लाभ

A. जल संचयन और संरक्षण

काजरी का सबसे बड़ा लाभ जल संचयन और संरक्षण है। जोधपुर जैसे क्षेत्रों में जहां जल की भारी कमी है, यह पद्धति जल के कुशल उपयोग में मदद करती है। किसान वर्षा के मौसम में जल का संचय करते हैं, जिससे पूरे वर्ष के लिए जल की उपलब्धता बनी रहती है।

B.वृष्टि पर निर्भरता कम होती है

काजरी पद्धति से किसानों को इस बात की चिंता नहीं रहती कि वर्षा कितनी होगी। वर्षा के पानी का संचयन और उसका सही तरीके से उपयोग करने से सिंचाई के लिए हमेशा पानी उपलब्ध रहता है, जिससे वर्षा की अनिश्चितता से होने वाली परेशानियां कम हो जाती हैं।

C. कृषि उत्पादकता में वृद्धि

काजरी पद्धति से भूमि की नमी बनी रहती है, जिससे फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है। सूखा और उच्च तापमान के बावजूद, किसान अपनी फसलें अच्छी तरह से उगाते हैं।

D. पारंपरिक विधियों का संरक्षण

काजरी पद्धति पारंपरिक जल संचयन विधियों को पुनर्जीवित करती है। जोधपुर में ऐतिहासिक रूप से जल संग्रहण की कई विधियाँ प्रचलित रही हैं, जैसे कि खडिन (पानी की झीलें), पेटी (मिट्टी की नालियाँ) और तालाब। काजरी पद्धति इन पारंपरिक विधियों को फिर से महत्व देती है और इनका सही तरीके से उपयोग करती है।

5. काजरी पद्धति का प्रभाव जोधपुर में कृषि पर

काजरी पद्धति ने जोधपुर के कृषि पर गहरा प्रभाव डाला है। यहां के किसान अब वर्षा के जल का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी फसलों में सुधार हुआ है।

A. फसलों की विविधता में वृद्धि

काजरी पद्धति ने जोधपुर में विभिन्न प्रकार की फसलों की पैदावार को बढ़ावा दिया है। पहले जहां केवल पारंपरिक फसले जैसे गेहूं, बाजरा और जो की खेती होती थी, अब यहां के किसान आलू, टमाटर, फलियां, गेंहू, और तुअर जैसी अन्य फसलों की भी खेती करने लगे हैं।

B. आर्थिक सुधार

काजरी पद्धति ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। पहले जहां कृषि पर निर्भरता बहुत कम थी, अब किसानों को अधिक लाभ हो रहा है। इससे उन्हें बेहतर जीवन जीने के अवसर मिल रहे हैं, साथ ही उनके जीवनस्तर में भी सुधार हो रहा है।

C. सतत कृषि का समर्थन

काजरी पद्धति ने सतत कृषि के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। जलवायु परिवर्तन और सूखा जैसी स्थितियों से निपटने के लिए यह एक स्थिर और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से उपयुक्त विकल्प है। काजरी ने पारंपरिक जलवायु अनुकूल खेती के तरीकों को बढ़ावा दिया है, जिससे जल, भूमि और संसाधनों का उचित उपयोग हो रहा है।

6. काजरी पद्धति का भविष्य और इसके विकास की संभावनाएँ

काजरी पद्धति ने जोधपुर और राजस्थान के अन्य क्षेत्रों में कृषि को एक नई दिशा दी है। इसका भविष्य काफी उज्जवल दिखाई देता है। राजस्थान सरकार और अन्य संस्थाएं काजरी पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, जैसे कि किसानों को काजरी पद्धति के बारे में प्रशिक्षित करना, जल संचयन के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करना और किसानों को वित्तीय सहायता देना।

A. प्रशिक्षण और जागरूकता

काजरी पद्धति के सफल कार्यान्वयन के लिए किसानों को प्रशिक्षण और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन किसानों को काजरी पद्धति के लाभ और उपयोग के बारे में प्रशिक्षित कर रहे हैं।

B. नवीन तकनीकों का उपयोग

काजरी पद्धति को और प्रभावी बनाने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। जैसे कि जल संचयन के लिए स्मार्ट तकनीकों का उपयोग, जैसे कि वर्षा जल संचयन सिस्टम और ड्रिप इरिगेशन, जो पानी की बचत में मदद कर सकते हैं।काजरी पद्धति ने जोधपुर और अन्य रेगिस्तानी क्षेत्रों में कृषि को नया आयाम दिया है। यह एक अद्वितीय कृषि पद्धति है जो जलवायु अनुकूल और सूखा प्रतिरोधी है। काजरी के माध्यम से जोधपुर के किसानों ने जल संचयन और कृषि की तकनीकों में नवाचार को अपनाया है, जिससे उनकी फसल उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई है और उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है। भविष्य में, काजरी पद्धति को अधिक क्षेत्रों में फैलाने और इसे और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है, ताकि राजस्थान जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सतत कृषि को बढ़ावा दिया जा सके।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment