नाचीज बीकानेरी. बीकानेर
राजस्थान की प्रमुख दोनों पार्टियों में गुटबाजी जग जाहिर है, राजस्थान में सचिन पायलेट व वसुन्धरा राजे की अदृश्य शक्ति भी दोनों दलों में डर पैदा कर रही है। इन दोनों चेहरों से प्रभावित मुस्लिम समाज भी बंटा बंटा सा लगने लगा है। हांलांकि राजस्थान में अशोक गहलोत का वर्तमान में जो सभी जातियों को साधने का सिलसिला जारी है उससे लगता है कि बीजेपी में तो हड़कंप है ही लेकिन मुस्लिम लोगो के साथ साढ़े चार साल में कांग्रेस का जो रवैया रहा उससे अंदर खाते मुस्लिम समुदाय आहत हैं। अशोक गहलोत साहब ने मुस्लिम नेतृव को जिला स्तर से राज्य स्तर तक पनपने नहीं दिया, सत्ता व संगठन में भी जो स्थिति है वह भी जग जाहिर है जब कि वसुंधरा सरकार में मंत्री यूनुस खान को जो विभाग दिए अभी जो विभाग अशोक गहलोत साहब ने दिए उनको देखले।
नए जिले बनाने में भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र खाजूवाला, छतरगढ को अनुपगढ नए जिले में सम्मिलित करने की भी साजिश से मुस्लिम आंदोलित है ये गुस्सा भी सरकार को झेलना पड़ेगा। वर्तमान में कल्याण बोर्ड बनाने में भेदभाव मुस्लिमों की उपेक्षा उत्तरी पश्चिमी राजस्थान में अशोक गहलोत साहब के गृह जिले में भी विरोध के स्वर की सुगबुगाहट नजर आने लगी है।
कांग्रेस के चंद नेताओं ने भी सक्रिय लोगों को दर किनारे कर नौसिखिए लोगों को मोटिवेट कर आपसी वैमनस्व की स्थितियों से कांग्रेस से मुस्लिम छिटकने के कगार पे नजर आने लगा है। अब कांग्रेस ने जिताऊ उम्मीदवार की बात कही है, उससे तो लगता है कि ये दुधारी तलवार का दंश कौन झेलेगा।
मुस्लिम अब विकल्प, योग्य नेतृत्व व वक्त की तलाश में हैं । मुस्लिम समुदाय के प्रति अशोक गहलोत साहब की नीति राजस्थान मे हुई घटनाएं , वक्फ सम्पतियो ,विवादित कब्रिस्तान, सता व संगठन में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने,कल्याण / विकास बोर्ड न बनाने , स्थानीय विधायकों का दोगलापन , स्थानीय स्तर के मुद्हे समस्याओं पे कांग्रेस की अनदेखी , बहुत सी घोषणाओं में मुस्लिमों की उपेक्षा होने के कारण मुस्लिम ठगा ठगा सा महसूस करने लगा है । बीजेपी से भी किसी मुस्लिम को टिकट की दावेदारी सशक्त करनी चाहिए।
अशोक गहलोत साहब व कांग्रेस मुस्लिमों को अपनी जेब का लड्डू समझती है ,मुस्लिमों को तवजो इसलिए भी नहीं देती की बीजेपी तुष्टीकरण की बात करेगी , कांग्रेस को ये डर भी सताता हैइसलिए वर्तमान मे मुस्लिम को तवज्जो कम सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ अशोक गहलोत का चेहरा दिखाई दे रहा है।
साढ़े चार साल में कांग्रेस ने बीजेपी के पॉकेट पे जो काम किए हैं वो किसी से छिपे नहीं हैं करने भी चाहिए लेकिन सरे आम उपेक्षा से अब मुस्लिम भी अपने वजूद व सम्मान के लिए नफा नुकसान के निर्णायक मोड़ पर नजर आने के मूड में है ।
अशोक गहलोत साहब अब भी वक्त है कांग्रेस से मुस्लिमों के सार्वजनिक जायज मुद्दों को नजर अंदाज न करे ,सता का अति अंहकार कई बार नाश का सबब बन जाता है 36 कोम को साथ लेकर चलने की बात तो करते हैं लेकिन अभी बोर्ड बनाने में सरासर मुस्लिमों की उपेक्षा की है।
सारे समाजों ने महापंचायत करके सब कुछ आपसे छीना ,सता व संगठन में पाया भी जबकि मुस्लिमों ने सब्र किया किसी भी तरह के शासन के खिलाफ पंचायते नहीं की – अकबर इलाहाबादी के कलाम से समझ सकते हैं :-
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम ।
वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा तक नही होता ।।
ज्यों ज्यों चुनाव नजदीक आ रहे , चुनाहों की आहट से राजनीति के गलियारों में मुस्लिम जिताऊ व निर्णायक स्थितियों में नजर आने के कारण जातियों के आपसी गठबंधन की राजनीति के समीकरण बनने के आसार से कांग्रेस के हाथ से मुस्लिम हाथ खींच भी सकता है,वर्तमान मे ये सुगबुगाहट कांग्रेस की धड़कने बढ़ा सकती है । मुस्लिमों को अब पार्टियों व तथाकथित नेताओं ने जो अफ़ीम की गोलियां दे रखी है उनके नशे से उन्हें मुक्त होना होगा ,वरना किसी भी पार्टी के नेता के दोयम दर्जे की गोली के नशे में पांच साल उपेक्षा के दंश झेलते रहेंगे।
अबकी बार मुस्लिम विवेक से हक की लड़ाई नहीं लड़ेगा तो पिछड़ेगा अन्य जातियों से भी सामाजिक बदलाव लाने जैसे लोगों से तालमेल रखें जो भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं वे सभी समाज से जुड़े अन्यथा समाज छोड़ आपका वजूद क्या होगा ।हिम्मत ए मर्दा,अल्लाह हमे कामयाबी अता करे ।
