(एडवोकेट अनिल भारद्वाज प्रेम के गीत लिखते हैं। हाल ही में उन्होंने कृष्ण भक्ति पर ताजा गीत लिखा है। यह गीत कृष्ण भक्ति की पराकाष्ठा है। पाठक इस गीत का आनंद लें और कृष्ण को अपने भीतर महसूस करें।)
तेरी बांसुरी हूं
तेरे बिन अकेली मैं रह न सकूंगी
तेरी बांसुरी हूं, तेरे संग रहूंगी।
धुनों की हवेली, ये सूनी पड़ी है,
यहां तेरी बंसी अकेली खड़ी है।
तुझे मन ही मन मैं, पुकारा करूंगी,
तेरी बांसुरी हूं, तेरे संग रहूंगी।
अगर होतीं आंखें, तो जीभर के रोती,
अगर होते आंसू, तो पलकें भिगोती।
तेरे पास चलकर भी, आ न सकूंगी।
तेरी बांसुरी हूं, तेरे संग रहूंगी ।
मैं ब्रजबाला होती, तुझे रोक लेती,
लिपट जाती पैरों से, जाने न देती।
मैं आवाज देकर, बुला ना सकूंगी।
तेरी बांसुरी हूं, तेरे संग रहूंगी।
कोई तो है रिश्ता, तेरा और मेरा,
तेरी सांसों से दिल, धड़कता है मेरा,
अगर तू न आया तो कैसे जियूंगी।
तेरी बांसुरी हूं, तेरे संग रहूंगी।
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गीतकार-अनिल भारद्वाज एडवोकेट उच्च न्यायालय ग्वालियर,ग्वालियर
