साध्वी काव्यशा ने कहा कि शास्त्रों का अध्ययन करने से हमारे कर्मों की निर्जरा होती है
शिव वर्मा. जोधपुर
श्री साधुमार्गी जैन परम्परा के राष्ट्रीय संत आचार्य रामेश की आज्ञानुवर्तीनी सुशिष्या पर्याय ज्येष्ठा साध्वी चंद्रकला के सान्निध्य में 20 जुलाई समता भवन में चातुर्मास प्रारंभ होगा। चातुर्मास के पूर्व दिवस पर कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार, आचार्य श्री नानेश मार्ग स्थित समता भवन में शासन दीपिका काव्ययशा ने कहा कि शास्त्रों का अध्ययन करने से हमारे कर्मों की निर्जरा होती है। हमारे लिए यह अत्यन्त चिन्तन का विषय है कि हम अपनी बढ़ती हुई उम्र के साथ धर्म की प्रवृति को बढ़ा रहें हैं या यह घटती जा रही है। समय रहते हुए हमें अपने आत्मा की अनुभूति करनी है एवं सद्कर्मों के माध्यम से आत्मा को उत्तरोत्तर शुद्ध करना है।हमारा लक्ष्य हमारी आत्मा का उद्धार करने का होना चाहिए। हमारे अन्दर आये हुए विशुद्ध भावों से ही आत्मा की शुद्धि सम्भव है।हमारे भाव अगर शुद्ध है तो सब कुछ सम्भव है। हम अपने गुरुजनों के प्रवचन का श्रवण कर इन्हें अपने जीवन में अपनायें तभी हमारा प्रवचन का श्रवण करना सार्थक होगा। बड़ी तपस्या में आज अशोक पारख ने पूज्य चन्द्रकला के मुखारबिंद से ग्यारह उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये।संचालन राकेश चौपड़ा द्वारा किया गया।