बिना बजट के कार्य कर रहे युवा लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं
सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
बोरुंदा कस्बे में करीब एक दर्जन युवाओं की टीम गत करीब 5 सालों से गौसेवा तथा अन्य वन्य जीव सेवा कर रही है। इस युवा टीम ने अब तक सैकड़ों गायों तथा वन्य जीवों को रेस्क्यू कर उनकी की जान बचाकर फरिस्ते का कार्य किया।
बोरुंदा युवा गौ सेवक संघ के गणेश दाधीच व अर्जुन चौहान ने संयुक्त रुप से बताया कि प्रदेश में लम्पी महामारी में हजारों गोवंश अकाल मौत के ग्रास बन गए। उस वक्त कृष्ण का प्रिय तथा हिंदुओं की गौ माता कही जाने वाले गौ वंश के लाशों के ढ़ेर लग रहे थे। इस दृश्य ने सभी को विचलित कर दिया था। इस महामारी में लोगों ने गौ दुग्ध का सेवन करना भी कम कर दिया था। तब से अपनी जान की परवाह किए बिना एक टीम बनाकर सैकड़ों गोवंशों का उपचार कर उनकी सेवा करते हुए जान बचाई। अब सड़कों पर विचरण करने वाले गोवंश के झुंड को सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए उनके गले में रेडियम के रिफ्लेक्टर लगाने का नेक कार्य किया जा रहा है।
सैकड़ों गौ वंश को लगाए रिफ्लेक्टर
गौ सेवक संघ ने जनसहयोग से छत्तीसगढ़, रायपुर तथा जोधपुर से रात्रि में चमकने वाले रेडियम रिफ्लेक्टर बेल्ट मंगवाकर करीब 1000 गौ वंश के गले में लगाए। जिसे गोवंश की सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा रहा है। इस सप्ताह में बोरुंदा परिक्षेत्र के करीब तीन किलोमीटर की परिधि में टीम द्वारा 21 सितंबर को 100, 22 सितंबर को 95, 23 सितंबर को 125, 24 सितंबर को 60 देर रात्रि तक गायों को ढूंढ ढूंढ कर उनके गले में रिप्लेक्टर लगाने का कार्य किया जा रहा है।
पांच दर्जन से अधिक वन्य जीव को रेस्क्यू कर बचाई जान
युवा गौ सेवक संघ की टीम के प्रमुख सदस्यों ने वन क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, गोचर भूमि व अन्य स्थानों से नीलगाय, बंदर, मोर, कोबरा व अन्य सांप सहित अन्य प्रजातियों के वन्यजीवों को रेस्क्यू कर उनकी जान बचाई तथा वन्य जीव विभाग को सुपुर्द किया। इस कार्य में अर्जुन चौहान, गणेश दाधीच, मुकेश डाबी, पंकज चौधरी, अरविंद सिंह शेखावत, राजेंद्र सिंह, श्याम भाटी, बाल गौ भक्त घनश्याम डाबी, भूपेंद्र आर्य, इरशाद, सुनील सोलंकी व मनीष भाटी तथा दुर्गाराम सुथार सहित एक दर्जन युवाओं की टीम निःस्वार्थ भाव से सेवा दे रहे हैं। इनके अतिरिक्त भी समय-समय पर पशुधन सहायक अनिल दाधीच, जगदीश भंवरिया, पवनसिंह, कमलेश साद, अर्जुनलाल वैष्णव व प्रेमसुख बढ़ियार सहित पशुधन सहायक भी चिकित्सा सेवाएं देकर सहयोग कर रहे हैं।