राइजिंग भास्कर डॉट कॉम. जोधपुर
जोधपुर में बाल श्रमिकों से कार्य करवाया जा रहा है। किराणा की दुकानों, नमकीन की दुकानों, होटल-रेस्तरां, दाल-बाटी की दुकानों, फैक्ट्रियों, उद्योगों, धन्ना सेठों के घरों और कई अफसरों तक के घरों में बाल श्रमिक काम कर रहे हैं। पुलिस और संबंधित यूनिट को जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इन दिनों दीपावली का सीजन है और इस सीजन में बाल श्रमिकों की बाढ़ आई हुई है। पूरे जोधपुर शहर में जगह-जगह बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं। बाल श्रमिकों को यूपी, बिहार, नेपाल आदि से यहां एजेंटों के माध्यम से बुलाया जाता है और उसके बाद धन्ना सेठों के घरों में बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही है। यही नहीं कई अफसरों के घरों में भी बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं। पुलिस और संबंधित यूनिट को इसकी जानकारी है। पिछले 10 सालों में 100 से अधिक बाल श्रमिक छुड़ाए जा चुके हैं जो बहुत ही कम है। वह भी कई एनजीओ की शिकायत पर कार्रवाई हुई है। मगर अभी भी जोधपुर बाल श्रमिकों का गढ़ बना हुआ है। घर-घर में बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं। वेतन के नाम पर इन्हें दो वक्त की रोटी और कुछ रुपए दिए जाते हैं। यही नहीं इनका शोषण हो रहा है। इसकी शिकायत बाहर नहीं आती। लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता है और बाल श्रमिक कार्य कर रहे हैं।
इन दिनों दीपावली नजदीक है और जोधपुर में आप जिधर जिस दुकान, फैक्ट्री और होटल-रेस्तरां में निकल जाइए बाल श्रमिक कार्य करते हुए मिल जाएंगे। मगर पुलिस भी कुछ नहीं कर रही है। बाल श्रमिकों को छुड़ाने वाली यूनिट भी अनदेखी कर रही है। बाल श्रमिकों से सबंधित कानून की सरे-आम धज्जियां उड़ाई जा रही है।