सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
कस्बे के दधिमती माता मंदिर में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा वाचक शिवाकांत पांडे ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होता है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे। उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की। उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को कृष्ण के विभिन्न भजनों से मन्त्र मुग्ध कर दिया। वहीं मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा वैदिक मंत्रोच्चार व जयकारों के साथ विधिवत रूप से संपन्न होगी। शिवानंद महाराज, पुखराज प्रजापत, नंदकिशोर वैष्णव, मांगीलाल दाधीच, हस्तीमल दाधीच, राजेंद्र प्रजापत, महेश दाधीच,राजेंद्र शर्मा, पूनमचंद दाधीच, रामकरण प्रजापत, ललित करेशिया व मंगराज दाधीच सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।