(राजेश मोहता पेशे से शिक्षक हैं। वे जो लिखते हैं वे जीते भी हैं। उनके भीतर की आग जब शब्दों में ढलती है तो पूंजीवाद की चूल हिलने लगती है। मेहनतकश का कवि होना कम ही सामने आता है। अक्सर एसी रूम में बैठकर लिखने वाले क्रांतिकारी बातों को हवा देते हैं और अंदर से वे मरे हुए होते हैं। एक जिंदा कवि का नाम राजेश मोहता है। मैं उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं। उनका संघर्ष उनके शब्दों में झलकता है। वे न केवल अपनी बात साफ-साफ लिखते हैं वरन साफ-सुथरी जिंदगी भी जीते हैं। आज बेशक उन कवियों का है जो चमक-दमक का चोला पहनकर अपने शो के लिए लाखों रुपए लेते हैं और कभी कथा-लोक की दुनिया से चकाचौंध में हमें नई आभा के दिग्दर्शन करवाते हैं तो कभी अध्यात्म के ठेकेदार बन जाते हैं। कल राजेश मोहता का है। जब हम वो गाना सुनते हैं- नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है, मुट्ठी में है तकदीर मेरी…राजेश मोहता अब बच्चे बेशक नहीं है, मगर अपनी तकदीर खुद लिखेंगे…)
भरोसा
मैं जिंदा रहने के लिए
भरोसा करना चाहता हूं
उन तेज गरम सर्द हवाओं पर
जिन्हें मैं रोज झेलता हूं।
मैं भरोसा करना चाहता हूं
तपते सूरज पर
बुझ चुके चांद पर
ठंडी सर्द हवाओं पर
काले कंटीले पहाड़ों पर
अनजान अपरिचित दोस्तों पर
निर्दयी अर्थ पिशाचों पर
सूने आसमान व अनजानी राहों पर टूटे घायल अतीत पर
रेंगते हुए आगे बढ़ने पर
बिखरे घर व टूटे हथियारों पर
भरोसा कर
उठ खड़ा होना चाहता हूं मानव सा।
चूंकि मैं एक जबरदस्त टूटी दुनिया में रहता हूं
जहां भरोसा टूट चुका है
ईश्वर तक पर
इसलिए मैं इस अति ऐतिहासिक टूटन पर
खुदा की खुदी पर
बस अपनी कल्पनाओं पर
सुंदर सजीले सपनों पर
आने वाले दिनों में दूर कहीं उगते सूरज की रोशनी पर
भरोसा केवल भरोसा करना चाहता हूं।
मैं विश्वास करना चाहता हूं
ऊंचे चढ़ते पुल पर
टूटी सड़कों पर
तंगहाल गलियों पर
वाहनों के पीछे भागते कुत्तों पर
धूर्त दुकानदारों पर
धोखेबाज औरतों पर
चालाक मकान मालिकों पर
मेरे अतीत के शहर की तरफ जाती रेल पटरियों पर
जहां कभी मेरा भरोसा युवा हुआ था
मैं रेत के टीलों पर
दूसरों के खेतों में उगी फसल पर
अपनी खाली जेबों पर
पिघलते अरमानों पर
भरोसा करना चाहता हूं।
मैं चाहता हूं यह चाहत हमेशा बनी रहे
कि भरोसा करता रहूं खुद सहित हर किसी पर
क्योंकि इसी पर मेरा लड़खड़ाता अस्तित्व टिका है
टिका है एक स्वप्न का दिव्य सवेरा
मैं गिर कर
टूट कर
बिखर कर
घोर अकेले जंगल सा
बस अपने आप में
अंधेरों के पार
टिमटिमाती रोशनी से भरे आसमान पर
भरोसा करना चाहता हूं।
