डीके पुरोहित. जैसलमेर
राजस्थान की राजधानी जयपुर अब रेप की राजधानी बन गई है। हर दूसरे तीसरे दिन यहां रेप हो रहे हैं। सूबे के मुखिया अशोक गहलोत जनता की भावनाओं के साथ रेप कर रहे हैं। यह खबर हम कल देने वाले थे, मगर हमारा कंप्यूटर गहलोत सरकार की तरह तरह मर मर कर चल रहा है। खबर तैयार हुई तो बिजली चली गई और फाइल सेव नहीं हाे पाई। फिर पूरे दिन कंपयूटर नहीं चला इसलिए यह रिपोर्ट आज दे रहे हैं।
देख जाए तो जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस मुद्दे पर सही कह रहे हैं। अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते दवाइयां फ्री कर दी, गैस सिलेंडर फ्री कर दिए, बिजली फ्री कर दी, मगर अपनी बहन-बेटियों-बहुओं की इज्जत की सुरक्षा नहीं कर पाए। हालांकि पूरे राजस्थान में रेप की घटनाएं हो रही हैं। मगर जयपुर तो रेप की राजधानी ही बन गया है। गहलोत ने पता नहीं किन कबूतर डीजीपी, सीपी, एसपी को नियुक्त किया है जिनका काम तनख्वा लेना ही रह गया है। राज्य में रेप हो रहे हैं। मिस्टर गहलाेत आपके ये आईपीएस कर क्या रहे हैं। अगर आपके आईपीएस बहन-बेटियों-बहुओं को सुरक्षा नहीं दे सकते और आप कुछ कर नहीं सकते तो इस्तीफा देकर घर बैठ जाओ। हमें नहीं है ऐसी सरकार की जो बहन-बेटियों को सुरक्षा तक नहीं दे सकती। पिछले पांच साल में राजस्थान में रेप की जितनी घटनाएं हुई हैं, वे आज तक राजस्थान के इतिहास में किसी भी सरकार के कार्यकाल में नहीं हुई। अगर हुई है तो गहलोत सरकार आंकड़े जारी करें और जनता को बताए कि किस-किस सरकार के कार्यकाल में कितनी रेप की घटनाएं हुईं। हो सकता है कई मामलों में रेप के आरोप झूठे है और लोगों को फंसाया जा रहा हो। हम यह नहीं कहते कि रेप के शत प्रतिशत मामले सही होते हैं। मगर सच काे सामने लाना जरूरी है। इससे आपकी और आपके सरकार की ही किरकरी हो रही है।
हमारा काम तो हम आपको आइना बताकर कर रहे हैं। कोई अखबार बोल नहीं रहा है। मीडिया रेप की कवरेज भर कर रही है। कोई नहीं कह रहा कि राजस्थान में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। मिस्टर गहलोत गुड गुवर्नेंस में सुरक्षा भी बड़ा मुद्दा होता है। आपके राज में गैंगस्टर, हत्याएं, लूट-खसौट और आए दिन बहन-बेटियों के साथ छेडछाड़ और मोबाइल छीन कर ले जाए जा रहे हैं। आप अपनी सरकार को बचाने की जुगत में लगे रहते हैं। अगर समय मिले तो बहन-बेटियों के बारे में भी सोचें। इन कबूतरबाज आईपीएस के भरोसे रहने की बजाय राज्य में शेर समान आईपीएस को लगाओ। ये मुर्दा आईपीएस अपने पद के भार में मर रहे हैं। कहना तो बहुत कुछ है। अब इतना ही कहेंगे या तो इस्तीफा देकर राजनीति से संन्यास ले लो या फिर मर्दानगी दिखाकर पुलिस बेड़े में आमूलचूल परिवर्तन करो।