श्री चित्रगुप्त की इस पीठ की खास बात यह है कि शक्तिपीठ परिसर में यूपी में श्रीराम, कृष्ण के बाद 51 फीट ऊंची श्री चित्रगुप्त की मूर्ति खड़ी की गई है। जो सिर्फ विशाल, सुंदर और मनमोहक ही नहीं बल्कि दुनियां में भगवान चित्रगुप्त की सबसे बड़ी मूर्ति है। यहां श्री चित्रगुप्त का एक तीन तलीय मंदिर भी अंतिम रूप लेने जा रहा है जो करीब दो एकड़ में तैयार किया जा रहा है।
अरूण माथुर. वृंदावन
भारत में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक इतिहास शहर है वृन्दावन। यह ब्रजभूमि क्षेत्र में स्थित है और हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व रखता है। यहां 5000 से अधिक मंदिर है। बांके बिहारी, रंगनाथ, राधारमण, मां वैष्णो देवी और ईस्काॅन मंदिर यहां की संस्कृति और परम्पराओं के प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां हर साल लाखों की संख्या में कृष्ण भक्त पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं। मथुरा वृन्दावन केवल धार्मिक तीर्थ स्थल नहीं हैं, बल्कि एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह दोनों जगह भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी हुई है।
यहां की संस्कृति भगवान श्रीकृष्ण के कथाओं और उनकी लीलाओं को दर्शाती है। इन दोनों शहरों में कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यहां के उत्सव मंदिरों की सुंदरता, श्रीकृष्ण की कहानियों और यमुना नदी के किनारें के शांत वातावरण को देखकर पर्यटक आनंद का एहसास सा अनुभव करते है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े मथुरा वृन्दावन से अब भगवान श्री चित्रगुप्त का इतिहास भी जुड़ गया है। राधाकृष्ण की इस नगरी में श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ बन कर अंतिम रूप ले रहा है।
श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ भारतीय संस्कृतिक के आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य में इतिहास की एक अदभूत एवं अद्वितीय सामाजिक उपलब्धी के रूप में कायस्थ समाज को समृद्धि, विकास और समानता से परिपूर्ण करने वाले घटक के रूप में लाभांवित करेगी। इस पीठ का निर्माण आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद, पशुपतिनाथ महाराज के सान्निध्य में किया जा रहा है। यहीं कारण है कि श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ एक सत्य सनातन संस्ंकृति, योग साधना एवं अध्यात्म का संजीव रूप लेने लगी है।
चूंकि वृन्दावन का इतिहास प्राचीन अतीत और हिंदू संस्कृति से जुड़ा है और यमुना नदी के तीन छोर से घिरा है। जिस कारण इस शहर की प्राकृतिक छटां बहुत निराली है। वृन्दावन की खासियत है कि यहां अनेक ऐतिहासिक धरोहर है, आश्रम, मंदिर और गोशालाएं है। इन सबको ध्यान में रखकर ही वृन्दावन में श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ की स्थापना की गई है। श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ की कलात्मक, भव्यता और सुन्दरता को देख कायस्थ समाज के लोग ही नहीं, देशी विदेशी पर्यटक भी इसकी ओर खिंचते चले आयेंगे।
वृन्दावन में एक सुरम्य एवं सुंदर वातावरण के बीच करीब 15 एकड़ जमीन पर स्थापित यह पावन पीठ अध्यात्म, समाज सेवा, ध्यान, योग साधना एवं सिद्धी प्राप्ति का एक सरल सहज और उत्तम स्थान के रूप में विश्व पटल पर विख्यात होने जा रहा है। भगवान श्री चित्रगुप्त की इस पीठ की खास बात यह है कि शक्तिपीठ परिसर में यूपी में श्रीराम, कृष्ण के बाद 51 फीट ऊंची श्री चित्रगुप्त की मूर्ति खड़ी की गई है। जो सिर्फ विशाल, सुंदर और मनमोहक ही नहीं बल्कि दुनियां में भगवान चित्रगुप्त की सबसे बड़ी मूर्ति है। यहां श्री चित्रगुप्त का एक तीन तलीय मंदिर भी अंतिम रूप लेने जा रहा है जो करीब दो एकड़ में तैयार किया जा रहा है।
मंदिर के चारो तरफ परिक्रमा मार्ग होगा जो भक्तों व पर्यटकों को भव्य मनमोहक एवं धनात्मक ऊर्जा का आनंद देगा। देश विदेश से आने वाले श्री चित्रगुप्त के भक्तों एवं पर्यटकों को यहां नक्षत्र वाटिका से शांति, रोग कष्ट निवारण का फायदा मिलेगा तो वहीं घर आंगन, विद्यापीठ, आयुर्वेदिक औषधालय की सुविधाएं भी उनको मिलेगी विध्वानों एवं चित्र गुप्त के भक्तों की अपार श्रद्धा को देखते हुए श्री चित्र गुप्त पीठ के स्थापना करते इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि भगवान चित्रगुप्त श्री पीठ का भव्य, दिव्य मंदिर का जो निर्माण हो वह सैकड़ों साल तक बना रहे। इसलिए भव्य मंदिर का निर्माण पत्थरों के माध्यम से किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में कही भी स्टील का इस्तेमाल नहीं होगा।
ऐसे में राधा कृष्ण की नगरी में भगवान श्री चित्रगुप्त की यह शक्तिपीठ भक्तों एवं पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगी। वहीं आप वृन्दावन आये राधा कृष्ण की लीलाओं, कथाओं से जुड़े मंदिर में जाये और श्री चित्रगुप्त शक्तिपीठ आकर चित्रगुप्त के दर्शन करने ना आए, यह हो भी नहीं सकता क्योंकि बृजभूमि वृन्दावन के इतिहास से अब एक अध्याय जो जुड़ गया है।
