राखी पुरोहित. बीकानेर
राजस्थानी साफा-पाग, कला संस्थान एवं थार विरासत की ओर से नगर स्थापना दिवस के अवसर पर होने वाले आयोजनों की शृंखला में 537वें स्थापना दिवस पर गत 15 वर्षों की भांति साहित्यिक-सृजनात्मक एवं सांस्कृतिक आयोजनों के तहत आज 7 दिवसीय ‘उछब थरपणा’ का आगाज बीकानेर की खास परम्परागत कला चंदा, साफा एवं पगड़ी संबंधी दो दिवसीय कार्यशाला जो विशेष तौर से युवा कला प्रतिभाओं के लिए रखी गई है।
दो दिवसीय कला कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि अपने विचार व्यक्त करते हुए राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि बीकानेर की समृद्ध कला परम्परा से युवा पीढ़ी रूबरू होकर इसमें अपनी कला सहभागिता का निवर्हन कर नवाचार करें। रंगा ने आगे कहा कि बीकानेर की विशेष कला चंदा, पाग-पगड़ी देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी एक अलग पहचान रखती है। हमें हमारी परम्परागत कला धरोहर को संजोये रखना होगा। ऐसी कार्यशाला इस ओर एक सार्थक पहल है।
कार्यशाला के संयोजक कला विशेषज्ञ डॉ. राकेश किराड़ू ने बीकानेर की परम्परागत कलाओं के बारे में बताते हुए कहा कि बीकानेर हमेशा अन्य क्षेत्रों की तरह ही कला जगत में अपनी एक अलग पहचान रखता है। ऐसी कार्यशाला के माध्यम से युवा पीढ़ी जहां एक ओर अपनी परम्परा से रूबरू होकर बीकानेरी कला को नई रंगत देने का सार्थक उपक्रम करेगी।
7 दिवसीय उछब थरपणा समारोह के संयोजक एवं संस्था अध्यक्ष वरिष्ठ शिक्षाविद एवं संस्कृतिकर्मी राजेश रंगा ने कहा कि हम उछब थरपणा के माध्यम से करीब डेढ़ दशकों से बीकानेर से जुड़ी परम्पराओं, साहित्य, कला, पुरासम्पदा, संगीत एवं सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ समसामयिक संदर्भ के साथ आयोजन करते आए हैं। इस वर्ष भी इस समारोह में कला कार्यशाला, रंगोली प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, खेल संवाद एवं कला प्रदर्शनी का आयोजन स्थानीय नत्थूसर गेट के बाहर लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में आयोजित किए जाएंगे।
संस्था सचिव एवं समन्वयक वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी पाग-पगड़ी एवं चंदा कला विशेषज्ञ कृष्णचंद्र पुरोहित ने प्रारंभ में कार्यशाला की सार्थकता बताते हुए कहा कि २ दिवसीय इस आयोजन में पहली बार बालिकाएं अपनी परंपरागत कलाओं से रूबरू होगी। इसका कार्यशाला में आंचल सोनी, निकिता जोशी, निशा पुरोहित, सुमन कुमावत, पुष्पा जोशी, वनिता, कीर्ति लखाणी, पूर्वांशी पुरोहित, योगेश रंगा, रवि उपाध्याय, गणेश रंगा, चंदन सैन, केशव जोशी, चंद्रशेखर जोशी, आशुतोष व्यास, नकुल रंगा सहित कई युवा दो दिन तक चंदा-पाग-पगड़ी कला को समझेंगे साथ ही चंदा बनाना, साफा- पाग व पगड़ी बांधने का उपक्रम करेंगे। कार्यशाला में विशेष तौर से कला विशेषज्ञ डॉ. राकेश किराड़ू , कृष्णचंद्र पुरोहित एवं मथेरण कला के वरिष्ठ कलाकार चंद्रप्रकाश महात्मा के विशेष सान्निध्य में युवा प्रतिभाएं परम्परागत रंगों एवं ब्रश की जुगलबंदी से कला की रंगत को नवआयाम देंगे।
अंत में सभी का आभार युवा कलाकार मोहित पुरोहित ने ज्ञापित किया।
