नंदलाल व्यास. आरटीआई कार्यकर्ता. जोधपुर
ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल सहित कई आरोपियों को दोषी मानते हुए सिक्यूरिटी गार्ड के ठेके में तकरीबन 2 करोड़ 28 लाख के गबन के मामले में सीबीआई एसीबी गांधीनगर द्वारा चार अलग अलग एफआईआर में अनुसंधान तत्पश्चात सीबीआई,एसीबी, गांधीनगर (गुजरात) द्वारा सीबीआई कोर्ट में पेश की जा चुकी है चार्जशीट। चार्जशीट पर प्रसंज्ञान लिया जाकर सुनाए गए हैं आरोप।
क्या है मामला
सीबीआई एसीबी गांधीनगर को बीएसएनएल मेहसाना (गुजरात) में नियुक्त सुरक्षा गार्ड ठेके के मामलें में गबन के मामले में गुप्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर दिनांक 28.12.2016 को एक प्राथमिक जांच दर्ज की गई जिसकी जांच के उपरांत सीबाआई एसीबी गांधीनगर द्वारा वर्ष 2017 व 2018 में चार अलग अलग चार एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया गया।
1 FIR NO. RC 0292017।0015 दिनांक 28.12.2017
2 FIR NO RC 0292017।0016 दिनांक 28.12.2017
3 FIR NO RC 0292018।0001 दिनांक 12.01.2018
4 FIR NO RC 0292018।0002 दिनांक 12.01.2018
अनुसंधान में विभिन्न सुरक्षा एजेंसीयों से जुड़े चन्द्रमोहन राय, भैराराम चौधरी, (ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल) ब्रिगेडियर सुधीर कुमार चौधरी, मोहरसिंह, विनायक पी खडगे, कैप्टन जोगिन्दरसिंह, सुखदेवसिंह विरक, सुनील कुमार आनंद, त्रिनयन सेकुरिटी एवं केसरी नन्दन बालाजी सेकुरिटी एजेंसी को अपराधिक षड़यंत्र रचते हुए धोखाधड़ीपूर्वक सरकारी राशि के गबन का आरोपी मानते हुए अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीबीआई कोर्ट न.1 मिरजापुर, अहमदाबाद के न्यायालय में अपराध धारा 120बी, 420 व 409 भा.द.सं. के आरोप में चार्जशीट पेश की गई। उक्त प्रकरणों में भेराराम चौधरी (ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल) को मुख्य साजिशकर्ता मानते हुए चारों प्रकरणों में आरोपी बनाया गया है। सीबीआई द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट के आधार पर संबंधित न्यायालय द्वारा उक्त प्रकरणों में भैराराम ( ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल ) को आरोप सुना दिये गये हैं।
सीबीआई द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट अनुसार आरोप है कि बीएसएनएल मेहसाना डिवीजन द्वारा सेना से सेवानिवृत्त सैनिकों व अन्य सुरक्षा गार्ड उपलब्ध करवाने के लिए डीजीआर (डायरेक्टोरेट जनरल आफ रिसेटलमेंट) के जरिये सेकुरिटी एजेंसियों को ठेका देने के लिए निविदा आमंत्रित की गई। जिसमें एक ठेका मैसर्स फलाईंग हाॅक सेक्युरिटी प्रा लि, नई दिल्ली को ठेका दिया गया। इसके अलावा मैसर्स विलिज इंडिया सेक्युरिटी सर्विसेज द्वारा भी सुरक्षा गार्ड को ठेका लिया गया जिसमें लै. कर्नल पी एस चैधरी और भैराराम चैधरी पार्टनर थे। कर्नल पीएस चैधरी की वर्ष 2008 में मृत्यु हो जाने पर भैराराम चौधरी ही उक्त फर्म का कामकाज देखते थे। मैसर्स जय बालाजी सेक्युरिटी एजेंसी द्वारा भी 2009 से 2011 के मध्य सुरक्षा गार्ड का ठेका लिया गया। सीबीआई जांच में पाया गया कि सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी मोहरसिंह, एस.के. चौधरी, वी.पी. खडगे, कैप्टन एसएस विरक, कैप्टन जोगिन्दरसिंह, कैप्टन एस.के. आनन्द एवं प्राईवेट व्यक्ति भैराराम चौधरी मिलकर सेक्युरिटी सर्विसेज का व्यवसाय किया करते थे। भैराराम चौधरी ने इन सभी के साथ मिलते हुए सेक्युरिटी सर्विसेज का एकीकरण करते हुए मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. का गठन किया । मैसर्स फलाईंग हाॅक सेक्युरिटी सर्विसेज को मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. के रूप में कन्वर्ट किया गया था। इसी प्रकार मैसर्स जय बालाजी सेक्युरिटी एजेंसी को मैसर्स केसरी नन्दन बालाजी सेक्युरिटी एजेंसी प्रा.लि. के रूप में कन्वर्ट किया गया।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि यह स्थापित तथ्य है कि भैराराम चौधरी ही मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. का संचालन करते थे और वह कम्पनी के बैंक अकांउट में ऑथोराइज्ड सिगनेटरी भी है जिसके हस्ताक्षर से कम्पनी का बैंक खाता खोला गया था। गवाहान के बयानों से तथ्य पाया गया कि भैराराम चोधरी उक्त कम्पनी का संचालने करते थे और साथ ही साथ अन्य सेक्युरिटी सर्विसेज का कामकाज संभालते थे। उक्त कम्पनी में डायरेक्टर्स के अनुमोदन से एस.के. चैधरी कम्पनी के दैनिक कामकाज की जानकारी भैराराम चौधरी को दिया करते थे। मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. एवं मैसर्स केसरी नन्दन बालाजी सेक्युरिटी एजेंसी प्रा.लि. को वर्ष 2009 से 2011 के लिए सुरक्षा गार्ड उपलब्ध करवाने को ठेका दिया गया। उक्त एजेंसी द्वारा बीएसएनएल के साथ तथ्यों को छुपाते हुए बीएसएनएल के अधिकारियों के साथ मिलीभगती करके आगामी दो वर्षो के लिए सेवाएं बढाने का आरोप भी पाया गया जिसमें मई, 2014 तक कम्पनी के ठेके का विस्तार किया गया था।
ठेकेदार फर्म को डीजीआर स्टैंडर्ड के अनुसार नियुक्त सुरक्षाकर्मिंयो को मासिक भुगतान किया जाना होता है, जिसमें एरीयर, बढोतरी भता भी देय होता है। साथ ही, युनिट अनुसार सुरक्षाकर्मियों का रजिस्टर संधारित करना होता है जिसमें कार्मिकों को देय वेतन भतों का विवरण दर्ज करना आवश्यक था। सेक्युरिटी एजेंसी को ऐसे सभी सुरक्षाकर्मियों को सम्बन्धित सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर करवाकर भुगतान वैक के माध्यम से करना था। बीएसएनएल द्वारा यह निगरानी रखी जानी थी कि सुरक्षाकर्मीयों को डीजीआर स्टैंडर्ड के मुताबिक भुगतान किया जा रहा है या नही, परन्तु सीबीआई जांच में पाया गया कि मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. द्वारा सुरक्षाकर्मीयों को मकान किराया भत्ता, ड्रेस धुलाई भत्ता, ग्रेज्युएटी व बोनस का भुगतान करना बताते हुए बीएसएनएल को बिल प्रस्तुत कर राशि प्राप्त की गई, जबकि वास्तव में उक्त भुगतान सुरक्षाकर्मियों को किया ही नही गया और सरकारी राशि का गबन कर लिया गया था। इसके अलावा ईपीएफ के रूप में जमा की गई राशि का भुगतान भी नही किया गया। फर्म द्वारा समय समय पर रिवाईज भुगतान उठाया गया लेकिन उसका भुगतान सुरक्षाकर्मीयों को करने के कोई सबूत नही पाये गये। 20 से अधिक सुरक्षाकर्मीयो ने सी बी आई को दिये गये अपने बयानों में बताया कि उन्हें इस तरह के भुगतान की कोई जानकारी नही है।
भैराराम (ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल) के निर्देशानुसार ही भूराराम चौधरी, फील्ड ऑफिसर सुरक्षाकर्मीयों की उपस्थिति, भत्ता का रजिस्टर तैयार करते थे। उक्त भूराराम ने सीबीआई को बताया कि उसने भैराराम चौधरी के निर्देश से ही बिल तैयार कर बीएसएनएल से अधिक भुगतान प्राप्त किया और सुरक्षाकर्मीयों को कम भुगतान किया गया और उचित रजिस्टर का अभाव पाया गया है। कम्पनी द्वारा सुरक्षाकर्मीयों को न तो नियुक्ति पत्र जारी किया गया और ना ही सेवा से हटाने के लेटर जारी किये गये। जबकि नियमानुसार ये दस्तावेज तैयार करना आवश्यक था।
आरोप यह भी है कि सुरक्षाकर्मीयों के भुगतान की राशि का चेक बीएसएनएल द्वारा मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. के पक्ष में जारी किया जाता था और भेराराम चौधरी( ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल ) द्वारा सेल्फ चेक के माध्यम से राशि का आहरण कर सुरक्षाकर्मियों को नकद भुगतान किया जाता था, जबकि नियमानुसार कम्पनी द्वारा चेक के द्वारा भुगतान किया जाना आवश्यक होता है। जिससे यह साबित होता है कि सुरक्षाकर्मीयो को नकद राशि के रूप में कम भुगतान कर बीएसएनएल से अधिक भुगतान उठाते हुए मैसर्स त्रिनयन सेक्यूरिटी प्रा.लि. एवं मैसर्स केसरी नन्दन बालाजी सेक्युरिटी एजेंसी प्रा.लि. व इससे जुड़े लोगो द्वारा कुल 2,28,59,884 रूपये का गलत लाभ प्राप्त कर गबन किया गया। एक ठेके मेे 54,91,697, दूसरे में 42,58,763, तीसरे में 66,16,280 एवं चैथे में 64,93,144 के गबन का आरोपी माना गया है।
इस प्रकार अभियुक्त भैराराम चौधरी ( ओसियां से भाजपा के विधायक भैराराम सियोल ) के सहयोग से ब्रिगेडियर एस के चौधरी, लै. कर्नल वीपी खडगे एवं लै. कर्नल मोहरसिंह ने मिलकर सेक्युरिटी सेवाओं में नियुक्त लोगो को कम भुगतान किया गया जबकि बीएसएनएल से अधिक राशि का बिल क्लैम करके भुगतान प्राप्त किया गया। इस प्रकार इन सभी मुलजिमान ने अपराधिक षड़यंत्रपूर्वक भारी राशि का गबन किया गया और सुरक्षाकर्मीयो के साथ धोखाधड़ी करना मानकर सीबीआई ने अपराध धारा 120बी, 420, 409 भारतीय दण्ड संहिता के आरोप में गांधीनगर के न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई। जिस पर न्यायालय ने उक्त चारों प्रकरणों में प्रसंज्ञान लिया और बाद बहस चार्ज अभियुक्तगण के खिलाफ आरोप विरचित किये गये। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीबीआई द्वारा आरोपियों को गिरफ्तार नहीं करके ही चार्जशीट पेश कर दी गई ऐसे में कोर्ट द्वारा आरोपियों को समन जारी किये गये जो कि 40 पेशियों तक तामील नहीं हुए। भैराराम चौधरी जो हाल ही 2023 में औसियां से विधायक निर्वाचित हुए है उन्होंने अपने नामांकन फॉर्म के साथ प्रस्तुत हलफनामें में भी उक्त चारों मुकदमों का उल्लेख किया है जिसमें 31 अगस्त, 2023 को आरोप विरचित करना और उक्त आरोप विरचित करने के खिलाफ ऊपर के न्यायालय में अपील पेश करना बताया गया है।
