-देश में अभी नरेंद्र मोदी का तिलिस्म खत्म नहीं हुआ है, ये चुनाव भी ना भाजपा लड़ रही है और ना ही गजेंद्रसिंह शेखावत, ये चुनाव भी एक ही शख्स लड़ रहा है और वह है नरेंद्र मोदी, इसलिए शेखावत के लिए संसद का सफर पार करने में मुश्किल नहीं होनी चाहिए, जबकि करणसिंह उचियारड़ा के लिए नई बिल्डिंग बनाने जितना आसान काम नहीं है चुनाव जीतना
डीके पुरोहित. जोधपुर
18वीं लोकसभा चुनाव में जोधपुर से कांग्रेस ने बिल्डर करणसिंह उचियारड़ा तो भाजपा ने दो बार मंत्री रह चुके गजेंद्रसिंह शेखावत को फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों बार की तरह इस बार भी शेखावत के लिए जोधपुर सुरक्षित नजर आ रहा है वहीं उचियारड़ा के लिए अभी सफर की शुरुआत मानी जा सकती है।
जोधपुर संसदीय सीट पर पिछले 72 साल में 17 चुनाव हुए हैं। जोधपुर के लोगों ने अब तक 12 चेहरों को जोधपुर से जिताकर संसद भेजा है, जिनमें से छह नए चेहरे थे तो 6 जाने-पहचाने। जोधपुर में नए चेहरों की जीत का दावा आजादी के बाद से ही किया जाता रहा है, लेकिन कई बार ये भविष्यवाणियां फेल भी रही हैं। जिन्हें झुठलाते हुए पांच बार अशोक गहलोत ने तो दो-दो बार जसवंत राज मेहता और जसवंत सिंह विश्नोई ने जीत दर्ज की। पिछली बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत नया चेहरा थे, लेकिन जातिगत समीकरण के चलते कांग्रेस-भाजपा के बीच काफी रोचक मुकाबले की संभावना थी, लेकिन इकतरफा मुकाबले में शेखावत वैभव गहलोत पर भारी रहे। यहां से पहला लोकसभा चुनाव महाराजा हनवंतसिंह और कांग्रेस के नूरी मोहम्मद यासीन के बीच हुआ था। मतगणना में महाराजा प्रचंड मतों से जीते, लेकिन हादसे में उनकी मौत हो गई। उपचुनाव में राजघराने के नजदीकी जसवंतराज मेहता नया चेहरा बनकर उतरे। उन्होंने रेवेन्यू सेक्रेट्री पद त्यागकर चुनाव लड़ा और 38 हजार से ज्यादा मतों से जीते। 1957 का चुनाव भी कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीता। 1962 में पाली संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
17वें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा वैभव गहलोत को जोधपुर से प्रत्याशी बनाते ही यह हॉट सीटों में शामिल हो गई। जिले के हर चौराहे-हर थड़ी पर यही चर्चा रही कि क्या नए चेहरे के रूप में वैभव गहलोत जीतेंगे या जाने-पहचाने गजेंद्र सिंह शेखावत इस बार फिर जीत का परचम फहराएंगे। मगर शेखावत वैभव पर भारी पड़े। जोधपुर से जीतने वाले वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, संस्कृति मंत्री और कृषि मंत्री के साथ जलशक्ति मंत्री तक बने। लक्ष्मीमल्ल सिंघवी तो वकील से सांसद बने और छह साल हाईकमिश्नर भी रहे। 1962 के चुनाव में अधिवक्ता लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के रूप में दूसरा नया चेहरा मिला। निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले सिंघवी का मुकाबला जोधपुर के बड़े उद्यमी और कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र कुमार सांघी से था। कड़े मुकाबले में सिंघवी सिर्फ 1634 मतों से जीते। इस चुनाव में एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी संतोष सिंह कच्छवाह को 23 हजार 105 वोट मिले थे। सिंघवी बाद में लंबे समय तक ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त रहे और पद्मभूषण से सम्मानित हुए।
2014 और 2019 में मोदी लहर में शेखावत की जीत हुई
2014 मोदी लहर में गजेंद्रसिंह शेखावत ने कांग्रेस की चंद्रेश कुमारी को हरा दिया तो 2019 में शेखावत ने अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को हरा दिया। 2014 में पूरे देश में मोदी लहर के बावजूद भाजपा ने इस चुनाव में जेएनवीयू छात्रसंघ अध्यक्ष रहे होटल व्यवसायी गजेंद्रसिंह शेखावत को तो कांग्रेस ने राजघराने की चंद्रेश कुमारी को मैदान में उतारा। शेखावत लोकसभा की सभी आठ विधानसभा सीटों पर आगे रहे और 4.10 लाख के रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। शेखावत मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय राज्यमंत्री बने।
कार्यकाल सांसद राजनीतिक दल
1951-52 महाराजा हनवंत सिंह निर्दलीय
1952-57 (उपचुनाव) जसवंत राज मेहता निर्दलीय
1957-62 जसवंत राज मेहता कांग्रेस
1962-67 एलएम सिंघवी निर्दलीय
1967-71 एनके सिंघी कांग्रेस
1971-77 कृष्णाकुमाऱी निर्दलीय
1977-80 रणछोड़दास गट्टानी भारतीय लोकदल
1980-84 अशोक गहलोत कांग्रेस
1984-89 अशोक गहलोत कांग्रेस
1989-91 जसवंत सिंह जसोल भाजपा
1991-96 अशोक गहलोत कांग्रेस
1996-98 अशोक गहलोत कांग्रेस
1998-99 अशोक गहलोत कांग्रेस
1999-04 जसवंत सिंह विश्नोई भाजपा
2004-09 जसवंत सिंह विश्नोई भाजपा
2009-14 चंद्रेश कुमारी कांग्रेस
2014-19 गजेंद्रसिंह शेखावत भाजपा
2019-2024 गजेंद्रसिंह शेखावत भाजपा
