Explore

Search

Sunday, April 20, 2025, 2:04 am

Sunday, April 20, 2025, 2:04 am

LATEST NEWS
Lifestyle

इस देश के सबसे बेशर्म रेलमंत्री! अश्विनी वैष्णव!!

Share This Post

-जिनके लिए लाशों पर भारी मंत्री पद…धिक्कार है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपके आदर्शों को…या तो अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा लो नहीं तो अपने आदर्शों का ढिंढोरा पीटना बंद करो…।

समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ है समय लिखेगा उनके भी अपराध…।  

डी.के. पुरोहित. जोधपुर

अपनी बात शुरू करने से पहले 10 साल बाद सशक्त विपक्ष की कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत के वीडियो में कही तीखी बातों पर एक नजर। ये बातें न केवल चुभती है वरन एक मजबूत विपक्ष की वो आवाज है जिसे सत्ता पक्ष अब अपनी तानाशाही से दबा नहीं सकता। इसे प्रधानमंत्री को भी सुनना होगा और पूरा देश सुन रहा है और उन मीडिया घरानों को भी सुनना होगा जो आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचाव को हर वक्त तैयार रहता है…

सुप्रिया श्रीनेत बोल रही है–

‘’आज से ठीक एक साल पहले इसी जून के महीने 2 जून 2023 को उड़ीसा के बालासोर में भीषण रेल हादसा हुआ। करीब 300 लोगों की मौत हुई और 900 से ज्यादा लोग गंभीर घायल और चोटिल हुए। आज पश्चिम बंगाल के कंचनजंगा एक्सप्रेस पर मालगाड़ी ने ठोकर मार दी। 15 से 20 लोगों के मृत होने की खबर आ रही है। सवाल यह है कि पिछले एक साल में क्या बदला। क्या किया गया कि यात्री को यह न लगे कि वह गंतव्य तक पहुंचेगा कि उसकी लाश पहुंचेगी। 2014 से 2023 तक क्या किया गया। इस दौरान 1117 ऐसे रेल हादसे हुए जिसमें जान-माल का नुकसान हुआ। मतलब हर महीने 11 हादसे और हर तीसरे दिन में लगभग एक हादसा हुआ। गोरखधाम एक्सप्रेस हादसा हमने देखा, इंदौर पटना एक्सप्रेस हादसा देखा, पुरी उत्कल एक्सप्रेस हादसा भी देखा और कैफियत एक्सप्रेस का हादसा देखा। हजारों लोग मौत के घाट उतर गए। सवाल यह है कि रेलवे को सुरक्षित करने के लिए क्या किया गया? और इसकी जिम्मेदारी किसकी है? जवाबदेही किसकी है? किससे यह देश पूछे कि आज रेलवे सुरक्षित क्यों नहीं है? आज पटरियों में दनदनाती जिन गाडियों पर हमें विश्वास था कि वो हमें एक स्थान से दूसरे स्थान सुरक्षित पहुंचा देगी वो क्यों नहीं हो पा रहा। बड़ी बड़ी बात की अश्विनी वैष्णव ने…कवच प्रणाली आ रही है…एक ट्रेक पर दो ट्रेन चलेगी तो पीछे वाली ट्रेन पर अपने आप ब्रेक लग जाएगा…इत्यादि इत्यादि… कहां है वह ब्रेक, क्यों नहीं लगा दूसरी ट्रेन पर अपने आप ब्रेक…क्यों जाकर कंचनजंगा में ट्रेन भिड़ गई…ये किस तरह के झुनझुने इस देश को दिए गए… क्या समझते हैं आप रेल के बारे में…रेल आवागमन का वो साधन है जो सबसे गरीब, निम्न मध्यम वर्ग के लोग इस्तेमाल करते हैं…और इसलिए इस्तेमाल करते है कि सस्ता साधन है…देश के एक छोर को दूसरे छोर से रेल की पटरियां इस रेल को जोड़ती है…विश्वास है लोगों को कि रेल में बैठकर हम कहीं पहुंच जाएंगे मगर आप तो जमीनी हकीकत से इतने कटे हुए हैं कि आपको पता ही नहीं है कि अपनी स्वेच्छा से लोग गाजर मूली की तरह तपती गर्मी में रेल में बैठकर चल रहे हैं…टॉयलेट में बैठकर लोग चल रहे हैं, क्या किया है आपने रेलवे के साथ…किराया महंगा कर दिया, प्लेटफॉर्म टिकट महंगा कर दिया….आपने पेसेंजर ट्रेनें कम कर दी…ट्रेन घंटों-घंटों लेट चल रही…यह सब एक बात है.. कंसेक्शन खत्म कर दिए….दूसरी बात है रेल की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर दिया…रेल की सुरक्षा के साथ वो खिलवाड़ कर दिया कि सबक ही नहीं सीखा…तीन तीन सौ लोगों की मौत हो जाती है…आप रील बनाने में व्यस्त है…अश्विनी वैष्णव जी को रील बनाने का शौक है…रेल मंत्री से ज्यादा तो वो रील मंत्री होना चाहिए…दो टेशू बहाकर रील मत बनाइए…जैसे बालासोर के वक्त बनाई थी…इसलिए मत बनाइएगा क्योंकि देश खून के आंसू रो रहा है अपनो को खोने के बाद…आप पहुंचे हैं पश्चिमी बंगाल…उस जगह पर जहां पर रेल हादसा हुआ, चाहते तो आप गाड़ी से जा सकते थे क्योंकि वीडियो का आपको शौक है…आप बाइक पर बैठकर पहुंचे हैं जूम जूम करते हुए बड़ी अच्छी बात है…कैसे लाएंगे उन लोगों को वापस जो भरोसे के साथ गए थे जो गंतव्य पहुंच जाएंगे…लेकिन स्वर्ग सिधार गए…प्रधानमंत्री को तो ऐसे मामलों में बोलने का न मन है न फुर्सत है…वो पता नहीं कहा मशगूल है….आप तो बोलिए…जवाबदेही किसकी है…भारत में ऐसे मंत्री हुए हैं…जिन्होंने नैतिक जिम्मेदारी रहते हुए अपने पद छोड़े हैं…उनमें तमाम रेल मंत्री भी शामिल है…ऐसे तमाम लोग है जिनमें लाल बहादुर शास्त्री, नीतीश कुमार, जॉर्ज फर्नाडींस, मधु दंडवते, माधवराजे सिंधिया, ममता बनर्जी तमाम ऐसे लोग है जिन्होंने अपने पद छोड़े हैं…लेकिन आप तो कुर्सी से ऐसे चिपके हैं, देश त्राहि माम कर रहा है…रेल में यात्री बैठा आशंकित है…आप रील बनाने में व्यस्त है…आप बुलैट ट्रेन लाइए…आप पचास और वंदे भारत लाइए…मगर जो नॉर्मल ट्रेन है जिसमें पेसेंजर बैठकर एक छोर से दूसरे छोर जाते हैं…उसको तो सुरक्षित कीजिए… उसकी सुरक्षा का क्या बंदोबस्त है…आज तो लोग ये पूछेंगे बात..असलियत यह है कि एक के बाद एक मंत्री इतने चरणचुंबन में व्यस्त रहते हैं कि उसे नो तो अपने डिपार्टमेंट की फिक्र है ना इस देश के प्रति जवाबदेही है…हर तीसरे दिन में एक रेल हादसा होना नरेंद्र मोदी की नाकामी है, विफलता है, अकर्मण्यता है और सबसे ज्यादा असंवेदनशीलता है, अगर रील बनाने से अश्विनी वैष्णवजी को फुर्सत मिल जाए तो रेल के बारे में भी सोच लीजिए…इस रेल में गरीब जनता है, मजदूर जनता है, किसान जनता है, युवा जनता है, महिला जनता है, और वह यह आशा और उम्मीद से चलते हैं कि जिस स्टेशन से चले हैं अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचेगे मगर अफसोस इस बात का है कि आपके चलते ऐसा हो नहीं पाता।‘’

00

गत साल ओडिशा के बालासोर में हादसे में 300 लोगों की मौत के बाद 4 जून 2023 को हमारा संपादकीय….

राइजिंग भास्कर ओपिनियन

आदरणीय नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री भारत सरकार

लालबहादुर शास्त्री के कार्यकाल के दौरान ट्रेन हादसा होने पर उन्होंने नैतिकता के तौर पर अपनी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था। मगर वह दौर था राजनीतिक शुचिता का। अब कोई भी व्यक्ति हाथ में आया पद छोड़ना नहीं चाहता। कितना ही अच्छा होता कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 288 लोगों की मौत पर अफसोस जताते हुए नैतिक तौर पर इस्तीफा दे देते। इससे उनका कद बढ़ता घटता नहीं।

मगर अब राजनीति में ऐसी नैतिकता की उम्मीद करना बैमानी है। चलो अब हादसा हो गया है। जांच कमेटी बैठेगी। कुछ दिन लोग अफसोस करेंगे। मगर जिनके घरों में मातम है, क्रंदन हैं, चीखें हैं, चीत्कारें हैं, वहां कुछ राहत और सौगात बांट दी जाएगी। हिन्दुस्तान में यही तो होता आया है। कितने ही बड़े हादसे हो जाए और पैसे बांट कर शांत करवा दो। इसमें दोषी जनता भी है। क्यों वह मान जाती है कि 10-15 लाख और किसी सदस्य की  नौकरी पर्याप्त है। कभी-कभी किसी व्यक्ति को साजिश में उड़ाने के लिए 200 लोगों की बली भी ली जा सकती है। मित्रों यह राजनीति का अंधेरा काल है। उजाला पक्ष अभी देखना बाकी है। हमने अश्विनी वैष्णव जैसे आईएएस अधिकारी का राजनीति में आना एक अलग सोच से प्रेरित होना देखा था मगर केजरीवाल और अश्विनी वैष्णव में फर्क ही क्या है? केजरीवाल सत्ता में बने रहने के लिए गोटियां खेल रहा है और अश्विनी वैष्णव खामोश है। कम से कम यह ही कह देते कि इस हादसे से मैं व्यथित हूं और अपना इस्तीफा सौंपता हूं। मगर अब राजनीति सुविधाभोगी हो गई है। एक आईएएस लेवल का अधिकारी मंत्री बनता है तो उसमें कुछ तो खास होगा। मगर हमें तो उनमें कुछ खास नजर नहीं आया। काश वे आगे आकर इस्तीफा देते और कहते कि वे इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं।

बहरहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ नहीं किया। राहत देना और मदद करना सबकुछ नहीं होता। लगभग 300 लोगों की मौतों पर क्या देश को सवाल पूछने का हक नहीं है? क्या यह वाकई मानवीय भूल थी? ऐसा नहीं हो सकता। यह मानवीय भूल है तो एक भूल तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा मांगने की कर ही सकते थे। मगर ऐसा नहीं हुआ। इस हादसे में कोई गहरी साजिश की बू आ रही है। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम हुए ट्रिपल ट्रेन हादसे में मरने वाले तो मर गए, लेकिन एक निशां छोड़ गए दर्द के मंजर का। लोगों के लिए यह एक खबर से बढ़कर कुछ नहीं है। हर खबर खबर नहीं होती। कुछ खबरें विचलित करती हैं, उद्वेलित करती हैँ। अगर यह हादसा हमारे भीतर संवेदना को नहीं जगाता तो इस देशवासी होने के नाते हम पर धिक्कार है। क्या ये मौतें सिर्फ खबर है। नहीं जिन घरों में अंधेरा हुआ है, वहां उजाला कैसे पहुंचेगा, इस पर मंथन करने की जरूरत है। अब हम बड़ी-बड़़ी बातें तो नहीं करेंगे, हां इतना अवश्य कहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से इस्तीफा मांगे और जांच रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट मिलने के बाद ही फिर से रेल मंत्री की जिम्मेदारी सौंपें।

-एक पाठक

अब कुछ आंकड़ों की बातें

इन आंकड़ों में कितनी सच्चाई है फिलहाल इस पर दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता। क्योंकि इसके स्रोत का खुलासा नहीं है। एक टीवी चैनल ने जो लिखा है उसी का हम विश्लेषण कर रहे हैं। एनडीए शासन में 2014-2023 के बीच 638 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं बताया जा रहा है कि यह ट्रेन दुर्घटनाएं यूपीए (2004-2014) की तुलना में काफी कम हैं। यूपीए ने 867 ट्रेन पटरी से उतरने की घटनाएं दर्ज कीं, जबकि एनडीए ने 426 ऐसे मामले दर्ज किए। 2014 के बाद रेल सुरक्षा व्यय तीन गुना हो गया, वार्षिक व्यय 17,801 करोड़ रुपए हो गया। क्या 2014 के बाद से एनडीए सरकार ने 2004-2014 में यूपीए सरकार की तुलना में रेलवे का बेहतर प्रबंधन किया है। एक टीवी द्वारा प्राप्त सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि यूपीए सरकार की तुलना में एनडीए सरकार के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है। चलो देखते हैं।

2004 से 2014 तक कुल 1,711 रेल दुर्घटनाएं हुईं। इसके विपरीत, 2014 से मार्च 2023 तक, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शासन के तहत, इन दुर्घटनाओं की संख्या 638 दर्ज की गई थी। हताहतों की संख्या के मामले में, यूपीए युग में ट्रेन दुर्घटनाओं में 2,453 लोगों की जानें चली गईं और 4,486 घायल हुए। जबकि एनडीए अवधि में 781 मौतें और 1,543 चोटें दर्ज की गईं। यूपीए काल में 2002-2014 के बीच 867 ट्रेन पटरी से उतरने के मामले दर्ज किए गए, जबकि एनडीए काल में 2014-2023 के बीच 426 ऐसी घटनाएं हुईं। यूपीए शासन के तहत, प्रति वर्ष ट्रेन के पटरी से उतरने की औसत संख्या 86.7 थी। हालांकि, एनडीए शासन के तहत 2014 और 2023 के बीच यह संख्या घटकर 47.3 प्रति वर्ष हो गई। 2004 और 2014 के बीच, प्रति वर्ष औसतन 171 परिणामी ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। 2014 से 2023 तक यह आंकड़ा घटकर 71 प्रति वर्ष हो गया। विशेष रूप से, परिणामी ट्रेन के पटरी से उतरने की संख्या में 2000-01 में 350 से भारी कमी देखी गई और 2022-23 में केवल 36 रह गई। यूपीए के तहत, प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर पर ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या 2004-05 में 0.29 से घटकर 2013-14 में 0.10 हो गई। एनडीए के तहत, यह आंकड़ा 2014-15 में 0.11 से घटकर मार्च 2023 में 0.037 हो गया। ट्रैक नवीनीकरण के लिए बजट आवंटन के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 23 के बीच, एनडीए शासन द्वारा 10,201 करोड़ रुपये का वार्षिक व्यय निर्देशित किया गया था। यूपीए शासन के तहत वित्त वर्ष 2005 से 2014 के दौरान 4,702 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पिछले नौ वर्षों में, भारतीय रेलवे ने रेल सुरक्षा के लिए 1,78,012 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें वित्त वर्ष 2024 का बजट अनुमान भी शामिल है। औसत वार्षिक व्यय 17,801 करोड़ रुपये था, जो 2014 से पहले सुरक्षा व्यय की तुलना में 2.5 गुना की वृद्धि दर्शाता है।

यात्री आंकड़ों में नहीं ट्रेन में सफर करता है, उसे कितना सुरक्षित किया यह बताइए?

जब इतना बड़ा रेल हादसा हुआ तो मीडिया घराने सरकार और सरकार के मंत्रियों को बचाने में जुटे हैं। इस देश के विपक्ष के साथ 140 करोड़ जनता का सीधा सादा सवाल है कि क्या इस देश का यात्री आंकड़ों में सफर करता है या ट्रेन में? इसलिए हमें आंकड़ों में गुमराह मत कीजिए। किसी सरकार की तुलना करके अपने पापों को कम मत कीजिए। आज के दौर के मीडिया ने सरकारी वंदना का जो तरीका अपनाया है वो घातक होता जा रहा है। चुनाव से पहले लगभग सभी मीडिया घरानों ने किस तरह एग्जीट पोल जारी किए थे वो देश के सामने हैं और परिणाम देश के सामने हैं। मगर फिलहाल यह हमारा मुद्दा नहीं है। इस देश में फिर बड़ा रेल हादसा हो जाता है और एक आईएएस लेवल का अधिकारी जो रेल मंत्री भी है अपने पद से इस्तीफा देना तो दूर नौटंकी कर रहा है। कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत का कहना एकदम सही है आज आम आदमी रेल में सुरक्षित नहीं है। पिछले दस सालों में जहां सुरक्षा खर्च बढ़ा है तो महंगाई भी बढ़ी है। टैक्नोलॉजी भी बढ़ी है। फिर भी अगर रेलवे उसी पुराने युग में जी रहा है तो धिक्कार है एक आईएएस अधिकारी के रेल मंत्री होने पर। इससे तो लालूप्रसाद यादव ही रेल मंत्री ठीक थे। उन्होंने क्या घोटाले किए फिलहाल उनमें नहीं पड़ें तो इतना साफ है कि उस आदमी ने रेल मंत्री रहते हुए कई अच्छे फैसले भी किए थे। मगर अश्विनी वैष्णव जी आपको अब अपने दस साल के कार्यकाल का पूरा हिसाब किताब जनता को देना ही होगा। आखिर आपकी उपलब्धियां क्या है? क्यों नहीं आपने इतने हादसे होने के बाद भी अपने पद से त्याग पत्र दिया। क्या एनडीए सरकार के पास आपसे काबिल कोई रेल मंत्री पद के लिए नहीं है या फिर आपके अपने स्वार्थ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूं तो हजार सिद्धांतों की बातें करते हैं फिर आपसे सीधे-सीधे इस्तीफा क्यों नहीं मांगा? और आपने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा क्यों नहीं सौंपा? आखिर इस देश की सुदृढ़ परंपरा रही है। कई रेल मंत्रियों ने अपने इस्तीफे सौंपे हैं। पिछले रेल हादसों की अभी तक पूरी तरह जांच नहीं हुई है और आप रेल हादसों की जिम्मेदारियों से बच नहीं पाए हैं और फिर एक हादसा हो गया। अब आखिर आपकी नैतिकता कहां है अश्विनी वैष्णवजी। बैशर्मी की भी हद होती है। एक आईएएस अधिकारी जिसने सबसे बड़ी सर्विस के बाद राजनीति में कदम रखा। जिसके पास आम मंत्रियों से ज्यादा दिमाग होता है। फिर भी आपके शासन में आपके मंत्री रहते इतने हादसे हो गए और आप कुछ नहीं कर पाए। आखिर आपका कुर्सी से कौनसा गठबंधन है जिसके चलते आप इस्तीफा नहीं दे रहे? आपको तो सबसे पहले नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए? प्रधानमंत्रीजी अब यह मत भूलिए इस समय एक सशक्त विपक्ष देश में है। आपकी पार्टी अब विपक्ष को तानाशाही से दबा नहीं सकती। आपको विपक्ष की बात सुननी ही होगी। आपको दस साल इस देश की जनता ने दिए। लेकिन अब हकीकत यही है कि जनता ने आपको नया जनादेश दिया है, जिसे भारी मन से ही सही आपको स्वीकार करना ही होगा। अगर एनडीए सरकार विकास के इतने दावे करती है तो भी ट्रेन तीन-तीन घंटे लेट क्यों होती है? निर्माण कार्यों के नाम पर अचानक ट्रेन रद्द कर सैकड़ों यात्रियों को परेशानी में क्यों डाला जाता है? रेलवे स्टेशनों पर प्याऊ पर ठंडे पानी की जगह पर गर्म पानी क्यों मिलता है? क्यों स्काउट गाडइ तपती दुपहरी में पानी का बंदाबेस्त करते हैं, आपका रेलवे क्या कर रहा है? क्यों पेसेंजर ट्रेनें घटा दी गई? क्यों जनरल डिब्बे घटा दिए गए? क्यों एसी कोच बढ़ा दिए गए और आम रिजर्वेशन कोच कम कर दिए गए? क्यों आज भी रेलवे में सुविधाओं की हालत खस्ता है? क्यों रेलवे किराए का बोझ बढ़ गया? क्यों प्लेटफॉर्म टिकट महंगे हो गए? कई सवाल है जिसके जवाब सुप्रिया श्रीनेत ने अच्छे तरीके से दिए हैं। पहली बार लगा है कि विपक्ष में कॉन्फिडेंस लौटा है। पहली बार लगा है कि विपक्ष के मुंह में जुबां आई है। पहली बार लगा है कि लोकतंत्र ने अपनी बात सही अंदाज में कही है। पहली बार लगा है कि सच को सच के ढंग से कहा गया है। वाकई इस देश में मंत्री नरेंद्र मोदी की चरणवंदना में ही व्यस्त रहते हैं। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी के भरोसे रहने वाले कई चेहरे हार गए और इस देश में जबकि भाजपा कहीं चुनाव नहीं लड़ी पूरे चुनाव में मोदी की गारंटी लड़ी गई और देश ने मोदी की गारंटी को फेल कर दिया। अब मोदी जी नहीं कह सकते हैं कि मोदी की गांरटी मोदी की गारंटी…क्योंकि देश ने मोदी की गारंटी पर भरोसा नहीं किया। अब मोदीजी जरा भी शर्म है तो अश्विनी वैष्णव से कहें इस्तीफा दें। क्योंकि वे रेलवे के मंत्री तो हैं ही एक आईएएस अधिकार भी रह चुके हैं और खुद सारे कानून जानते हैं। जिस सरकारी नौकरी में छोटा हादसा होते ही सस्पेंड किया जाता है या एपीओ किया जाता है उस सरकारी नौकरी के नियमों को भी फॉलो कर लो तो आपको मंत्री पद से इस्तीफा नैतिकता के आधार पर देना ही चाहिए। मगर अफसोस प्रधानमंत्री जी आपके मंत्रियों में अब नैतिकता बची ही कहां है? अभी भी कुछ नहीं बीता।… समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ है समय लिखेगा उनके भी अपराध…।  

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment

advertisement
TECHNOLOGY
Voting Poll
[democracy id="1"]