(पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने गुरु पूर्णिमा के मौके पर गुरु के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए भावपूर्ण कविता लिखी है। कवि का भी कोई न कोई गुरु होता है और शब्दों से वह सबसे पहले अपने गुरु को नमन करता है। व्यासजी ने भी अपने गुरु को शब्दों से नमन किया है। पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा-संपादक)
गुरु चरणों में वंदन
नई पीढ़ी के जीवन को
गुरु ही राह दिखाते हैं।
जीवन की पगडंडी पर
चलने का मार्ग बताते हैं।
जो गुरु से शिक्षा पाते हैं
उज्ज्वल भविष्य पाते हैं।
ज्ञान ही ऐसी पूंजी है
बिन गुरु नहीं मिलती है।
गुरु कृपा हो जाने पर
जीवन सफल हो जाता है।
इसीलिए गुरु चरणों में
जीवन समर्पित करते हैं।
गुरु का आदर करने वाले
सम्मान समाज में पाते हैं।
समाज में पाकर प्रतिष्ठा
परिवार का गौरव बनते हैं।
कस्तूरी ज्ञान गुरु से पाकर
वर्चस्व अपना दिखलाते हैं।
गुरु बिना यह जीवन क्या
ज्ञान नहीं तो भविष्य क्या।
गुरु के पावन चरणों में जब
हम अपना शीश झुकाते है।
आशीर्वाद पाकर हम अपने
जीवन को सफल बनाते हैं।
गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर
हम गुरु की महिमा गाते हैं।
माता पिता और गुरुजनों के
चरणों में वन्दन हम करते हैं।
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