Explore

Search

Saturday, April 19, 2025, 10:08 pm

Saturday, April 19, 2025, 10:08 pm

LATEST NEWS
Lifestyle

पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास की कविता

Share This Post

बादल की राह

दिशा ने पूछा बादल से,
किस और बरसने जाओगे
बादल बोला संयम से,
जहां राह बनेगी हवाओं से
हवा ने पूछा कहां बहोगी,
बोली जहां चमकेगी बिजली
बोली बिजली सोचकर,
मैं चमकूंगी प्यासी धरती पर
जो अन्न नहीं उगाती है,
अर्श को सच्ची राह दिखाकर
में हंसती हूं इठलाती हूं,
उमड़ घुमड़कर बादल के संग
बादल को राह दिखाती हूं,
पानी की बूंदें बरस बरसकर
मोती बनकर बिखरती है,
पीकर निर्मल अमृत का पानी
धरती की प्यास बुझती है,
बिजली पानी हवा और बादल
प्राणी को पोषित करते हैं,
गरज गरजकर बरस बरसकर
सबकी सुधा मिटाते हैं,
हरियाळी सावन के मौसम में
रंगों की बहार लाती है,
प्रभु विष्णु की आज्ञा से सबका
लालन पालन करती है।

गोपाल कृष्ण व्यास, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment

advertisement
TECHNOLOGY
Voting Poll
[democracy id="1"]