विश्व प्रसिद्ध सोनार किला कभी भी भरभरा कर गिर सकता है
डीके पुरोहित. जैसलमेर
जैसलमेर में तेज बारिश के दौर में शिव रोड पर सोनार किले की दीवार का एक भाग गिर गया। यह तो होना ही था। सोनार किला साढ़े आठ सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। जिस त्रिकूट पहाड़ी पर किला बना हुआ है वह अब इस किले का और अधिक बोझ नहीं उठा सकती। आज से करीब 18 साल पहले जब मैं दैनिक भास्कर जैसलमेर में कार्यरत था और हमारा ऑफिस शिव रोड पर था तब एक कंपनी ने सोनार किले की पहाड़ी की मिट्टी की जांच की थी। इस कंपनी की रिपोर्ट में सामने आया है कि यह पहाड़ी अब अधिक किले का बोझ नहीं उठा सकती है। साढ़े आठ सौ साल में यह पहाड़ी अंदर से खोखली हो चुकी है और लगातार बारिश और किले में घरों और होटलों से निकलने वाला पानी इस पहाड़ी को भीतर से खोखला कर चुका है।
सोनार किला जिस पहाड़ी पर बना हुआ है वहां की मिट्टी की आयु की जांच करने के लिए एक कंपनी ने सर्वे किया था। तब दैनिक भास्कर जैसलमेर में विमल शर्मा ब्यूरो चीफ हुआ करते थे और उन्होंने मुझे इसकी रिपोर्टिंग के लिए भेजा था। तब हमने दैनिक भास्कर में इस संबंध में खबर भी प्रकाशित की थी। उसके बाद उस कंपनी के अधिकारी चले गए और कुछ सालों बाद उसकी रिपोर्ट आई तो वो चौंकाने वाली थी। हालांकि उस रिपोर्ट की ओर न तो पुरातत्व विभाग ने ध्यान दिया और ना ही भारत सरकार ने। जबकि यह एक प्राइवेट कंपनी का सर्वे था, जिसके बारे में सब भूल चुके हैं और अब तो उस कंपनी का नाम भी नहीं पता। लेकिन रिपोर्ट बड़ी चिंताजनक है। जैसलमेर के सोनार किले की 5 हजार से ज्यादा आबादी खतरे के साये में जी रही है। यही नहीं यहां आने वाले पर्यटक और लोग भी खतरे के साये में है। सोनार किला कभी भी भरभरा कर गिर सकता है।
केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत को ध्यान देने की जरूरत
जैसलमेर के विश्व प्रसिद्ध सोनार किले को लेकर केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत को ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि सोनार किला अब बूढा हो चुका है। इसकी आयु काफी हो चुकी है और अब यह अंतिम सांसे गिन रहा है। किले में जाने का एक ही रास्ता है। जिसके भीतर चार प्रोल है। यानी एक ही रास्ते में चारों प्रोल है और आवागमन का ही यही रास्ता है। दिन भर बाइक, वाहन आते जाते रहते हैं। वाहनों के कंपनी से प्रोल की दीवारें कभी भी गिर सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है। मगर किले के लोग भी जिद्द पर अड़े हुए हैं और किला खाली करने को तैयार नहीं है। जबकि हर चीज की आयु निश्चित होती है। जिस पहाड़ी पर किला खड़ा है वह अब किले का अधिक बोझ नहीं उठा सकती और कभी भी पूरा का पूरा सोनार किला जमींदोज हो सकता है। अगर भविष्य में कभी भूकंप का तीव्र या मध्यम कंपन होता है तो यह किला जमींदोज हो सकता है। इसलिए किले के भीतर रहने वाले लोगों को अपनी जानमाल की सुरक्षा के लिए किले को खाली करने के विकल्प का तलाशना होगा। क्योंकि जिंदगी से बढ़कर कुछ नहीं है। किला आय का साधन है। कई लोगों की रोजी रोटी का जरिया यह किला ही है। मगर जिंदगी ही नहीं रही तो रोजी रोटी का क्या? अब यह पहाड़ी किले का अधिक बोझ लंबे समय तक नहीं सह सकती।
प्रशासन, पुरातत्व विभाग, जैसलमेर के लोग और सरकार अभी से मंथन करे
जैसलमेर के किले के भविष्य को लेकर अभी से प्रशासन, पुरातत्व विभाग, जैसलमेर के लोगों और सरकार को मंथन करना होगा। सारे विकल्पों पर ध्यान देना होगा। क्या खिला खाली करवाना उचित होगा? पहले तो किले के लोगों से बात करनी होगी। अगर किला खाली करवाना अंतिम विकल्प होता है तो लोगों को बाहर बसाने के लिए कॉलोनी काटनी होगी और उनको बरसों के रहने का मुआवजा भी देना होगा। यही नहीं किले के लोगों को नई कॉलोनी में सारी सुविधाएं उपलब्ध करवानी होगी। हालांकि किले के लोग किला खाली करना पसंद नहीं करेंगे क्योंकि सबकी भावनाएं और स्वार्थ जुड़े हैं। लेकिन अपनी और आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी का सवाल है इसलिए किले के लोगों को जिद्द छोड़कर किले के बाहर सुरक्षित स्थान पर बसना स्वीकार कर लेना चाहिए।
वैकल्पिक मार्ग खोलने पर शीघ्र क्रियान्वयन करना होगा
अगर किले के लोग किला खाली नहीं करते हैं तो किले के वैकल्पिक मार्ग का शीघ्र निर्माण करना होगा। क्योंकि आवागमन का एक ही रास्ता है और चारों प्रोल जर्जर हो चुकी है। वाहनों के एक्सीडेंट से कभी भी दीवार गिर सकती है। यही नहीं आवागमन का एक ही रास्ता होने की वजह से इस पर दबाव भी बढ़ गया है। इसलिए पुरातत्व विभाग, प्रशासन और सरकार को बिना देर किए नए रास्ते का निर्माण करवाने के लिए तुरंत निर्णय लेना होगा।
सोने की मुर्गी कोई छोड़ना नहीं चाहता, मगर यही मुर्गी जान लेवा साबित हो सकती है
सोनार किला यहा रहने वाले लोगों के लिए सोने की मुर्गी है। मगर यही सोने की मुर्गी लोगों के लिए मौत का कारण बन सकता है। क्योंकि किला बूढ़ा हो गया है। बारिश, हवा, धूप, पानी से यह अपनी उम्र के साथ-साथ हर झंझावत से कमजोर होता जा रहा है और अब तो यह तय है कि यह पहाड़ी अधिक किले का बोझ नहीं उठा सकती। ऐसे में समझदारी तो यही है कि जितना जल्दी हो किला खाली कर दिया जाए। मगर सोने की मुर्गी कौन छोड़ता है? वर्षों से रहने वाले लोग भावनात्मक रूप से तो जुड़े हैं ही उनकी रोजी रोटी और आय का जरिया भी यही किला है। ऐसे में सोने की मुर्गी को शायद ही कोई छोड़े। मगर यह भी तय है कि यह सोने की मुर्गी ही लोगों के लिए खतरे का संकेत है।
