शस्य, यांत्रिक, जैविक एवं रासायनिक विधि से कीट का नियत्रंण पद्धति होती है
सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
खरीफ फसलों में फड़का कीट का आक्रमण सम्भावित हो सकता है।इसके लिए कृषि विभाग ने इस कीट का नियंत्रण के लिए प्रभावी उपाय की जानकारी किसानों को दी।
संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार जोधपुर ब्रजकिशोर द्धिवेदी ने फड़का (ग्रासहोपर) कीट नियंत्रण की उपयोगी जानकारी देते हुए कहा कि इस समय ग्रासहोपर यानी फड़का कीट फसलों में नुकसान सम्भावित कर सकता है। यह कीट सर्वभक्षी होता है।पत्तियों, दानों को नष्ट करता है।शिशु अवस्था में इस कीट का नियंत्रण प्रभावी होता है जिसके लिए प्रकाश पाश पद्धति बहुउपयोगी है। कीट नियंत्रण विधि में शस्य, जैविक, यांत्रिक एवं आवश्यकता होने पर रासायनिक दवाओं का उपयोग करना इत्यादि की जानकारी होना महत्वपूर्ण है। फड़का कीट का प्रकोप यदि कीट आर्थिक हानि स्तर से अधिक हो तो रासायनिक दवा में क्यूनालफाँस डेढ प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टर सुबह या साम को भूरकाव अथवा क्यूनालफाँस 25 ईसी.दवा दो मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव किया जा सकता है। फसल पर भूरकाव व छिड़काव में स्वयं के सुरक्षा के संसाधनों का उपयोग अवश्य करना चाहिए। किसी भी कीट की समस्या फसल में होने पर अपने नजदीकी कृषि कार्यालय अथवा कृषि अधिकारी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए ताकि कीट-व्याधि की नियत्रंण की सटीक जानकारी से कीट नियंत्रण कार्य में सहायता का लाभ मिलता है। वहीं सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी ने बताया की यदि फसल में किसी भी प्रकार के कीट-व्याधि नजर आए तो समय पर नियत्रंण के कार्य को प्राथमिकता देने से कीट नियंत्रण कार्य सदैव प्रभावी होता है।
