(आज शिक्षक दिवस है। शिक्षक समाज का विश्वकर्मा है। पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास ने इन्हीं भावों काे कविता में अभिव्यक्त किया है। एडवोकेट एनडी निंबावत ने वक्त को ही सबसे बड़ा शिक्षक बताया है। शिक्षक के महत्व को श्रीमती लीला कृपलानी ने बखूबी चित्रित किया है। इसी तरह नाचीज बीकानेरी ने शिक्षक को योद्धा ही बताया है। देश के चोटी के इन रचनाकारों की कविताएं पेश है।)
गोपालकृष्ण व्यास
शिक्षक : समाज का विश्वकर्मा
जीने की राह दिखाता है
जो सबको शिक्षित करता है,
वह शिक्षक इस समाज में
ज्ञान का भंडार कहलाता है।
सरस्वती माता की कृपा से
ज्ञान शिक्षक को मिलता है,
उसी ज्ञान को बांट बांटकर
शिक्षक को आनंद आता है।
अज्ञानता को दूर भगाकर
जो ज्ञान का संरक्षण करता है,
ऐसा मनुष्य इस दुनिया में
शिक्षक का स्वरूप कहलाता है।
प्रकृति ने इस वसुंधरा पर
अमृत और जहर बिखेरा है,
भेद उसमें बतलाने के लिए
शिक्षक को दुनिया में भेजा है।
जो इंसान दुनिया में आता है
बिल्कुल ही खाली आता है
ज्ञान का सागर शिक्षक उसको
हर विषय की शिक्षा देता है।
खज़ाना है शिक्षक ज्ञान का
विश्वकर्मा जैसा ही होता है,
तरास तरास हर बालक का
भविष्य सुरक्षित करता है।
शिक्षक से संस्कार पाकर
हर व्यक्ति संस्कारी बनता है,
शिक्षक को आदर्श मानकर
वो अपना भविष्य बनाता है।
शिक्षक दिवस पर शिक्षक के
हम चरणों में वंदन करते हैं,
हर शिक्षक दुनिया में सुखी रहे
हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं।
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एनडी निंबावत ‘सागर’
सबसे बड़ा शिक्षक ‘वक्त’
जीवन में
सीखने की कला
जिसको भी आ गई
उसने हर किसी से कुछ न कुछ
सीखा है ।
प्रथम शिक्षक है मां
जिसने ये संसार दिखाया,
द्वितीय शिक्षक पिता
जिसने सही दिशा दी, योग्य बनाया,
तृतीय शिक्षक विद्यालय का अध्यापक
जिसने ज्ञान बढ़ाया,
अनुशासन में रहना सिखाया,
नौकरी में अधिकारी- कर्मचारी भी
शिक्षक से कम कहां
कैसे किया जाय साथ काम
बहुत अच्छे से समझाया,
व्यापार-व्यवसाय ने
भी शिक्षक की भूमिका निभाई
धैर्य और शालीनता का पाठ पढ़ाया,
जीवन क्या है ?
ये जानने की जब हुई जिज्ञासा
तो
नजर आई धर्मगुरु की शरण
जहां मिला आत्मशुद्धि का ज्ञान
इस तरह
जो भी मिला जीवन में
कुछ न कुछ सिखाया है
मेरे लिये तो वो हर कोई शिक्षक है
जिससे मैंने कुछ सीखा है
हां,
सबसे बड़ा शिक्षक तो वक्त है
जो
हर पल कुछ न कुछ सिखा रहा है।
आप भी तो हैं मेरे शिक्षक
आपसे भी मैं सीख रहा हूं।
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लीला कृपलानी
शिक्षक का महत्व
सदाचार के सुमनों से, जीवन बगिया महकाता।
शिक्षक ऐसा ज्ञानी है, शिष्य का जीवन सफल बनाता।।
सात्विक प्रेम सतोगुण मन में
वाणी में रस भर कर
कपट रहित व्यवहार सिखाकर
आचरण को पावन करता।
सुदृढ़ धारणा, चिंतन गहरा
चित्त में निर्मलता भरकर
ज्ञान की उर में बहाकर गंगा
नित प्रेम कमल खिलाता।
ईर्ष्या द्वेष अहं दूर कर
मन से बैमनस्य मिटाकर
मत भेदों की उलझी ग्रंथि
प्रज्ञा से सुलझाता।
आलस्य,प्रमाद की काट बेड़ियां
समय का मोल बताकर
चातक रटन, लगन बगुला सी
श्वान सरीखी निद्रा से है जगाता।
शिक्षक ऐसा ज्ञानी है, शिष्य का जीवन सफल बनाता।
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नाचीज बीकानेरी
मैं शिक्षक योद्धा हूं
मुझे कम ना आंको लोगों
मैं शिक्षक राष्ट्र निर्माता हूं
कोरोना की इस जंग में
मेरी भूमिका मैं बताता हूं ।
पूरा समाज मेरा ऋणी है
इस बात से कौन इनकार करे
मैंने तो बस इतना कमाया है
मेरे शिष्यों से प्रणाम पाता हूं ।
मेरे आशीर्वाद से ही चिकित्सक
कोरोना वायरस से जंग जीत रहे
मेरी खुशी का अब क्या ठिकाना
हर स्वास्थयकर्मी योद्धा कहलाता है ।
शासन-प्रशासन की डोर संभाले
गुरु-ज्ञान से ही नेतृत्व कर पाते हैं
कोरोना से जंग जीत का सेहरा तब
कलेक्टर के सिर पर बंध पाता है ।
शान्ति-सुरक्षा पुलिस प्रशासन के जिम्मे
लॉकडाऊन-कर्फ्यू में जिनकी भूमिका
ये सभी पाठ हम से पढ कर ही सीखे हैं
कोरोना से ये योद्धा ही हमे बचाता है ।
मुझ से ही पूरा समाज शिक्षित होकर
अपने कर्तव्य – पथ पर संघर्षशील है
हर वर्ग-हर समाज का सजग नागरिक
कोरोना की जंग का योद्धा कहलाता है ।
इस जंग के सच्चे योद्धा सफाईकर्मी हैं
जिनके बल से शहर स्वच्छ हो पाता है
शिक्षक ही जन-जन को संस्कारित कर
इस वायरस से लड़ने की अलख जगाता है ।
मै शिक्षक कुछ कहता नही हूं , मगर
आज ये खुल कर मैं सबसे कहता हूं
सरकार मुझ से क्या- क्या अब काम लेती है
तुम ना कहो योद्धा तो भी, मैं योद्धा कहलाता हूं ।
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