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Saturday, April 19, 2025, 10:06 pm

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हिंदी दिवस पर देश के चोटी के रचनाकारों की रचनाएं

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(हिंदी। हिन्दुस्तान का स्वाभिमान। विसंगति देखिए संविधान में उल्लेख है कि हिंदी राष्ट्रीय भाषा है, पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की भाषा अंग्रेजी होगी। हम उस देश में हिंदी दिवस मना रहे हैं। अधिकतर कार्य अंग्रेजी में। आज भी अपने मुकाम को तलाशती हिंदी। अंग्रेजी दां अपने बच्चों को हिंदी स्कूलों में प्रवेश से कतराते हैं। आज बातें हिंदी के स्वाभिमान की बहुत होगी, मगर सिर्फ बातें। इस बात को हिंदी के वरिष्ठ गीतकाल अनिल भारद्वाज ने अपने शब्द दिए हैं। पूर्व न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास की हिंदी का मान बढ़ाने वाली कविता पठनीय है। साथ ही लीला कृपलानी, नीलम व्यास, संजीदा खानम और डॉ. प्रतिभा कुमारी पाराशर की कविताएं भी हिंदी के स्वाभिमान का चेहरा है।)

गोपालकृष्ण व्यास, पूर्व न्यायाधीश,

राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर

हिन्दी भाषा गंगा है

भाषाओं के कलरव में

हिन्दी भाषा एक गंगा है,

जो हिन्दी का सम्मान करे

उसका  हृदय  सुरंगा है,

संस्कृत की कोख से जन्मी

उर्दू  डिंगल  की  बहना  है,

अलंकार,  छन्दों  के  साथ

गद्य पद्य का गहना पहना है,

अंग्रेजी को कहे प्यार से

हमारे  साथ  ही  रहना है,

भाषा का एक सेतु बनाकर

तुमको भी साथ निभाना है

अलंकार साथ रखकर

हिंदी को सुंदर रखना है,

धरती पर लोगों के बीच

हिंदी का परचम फैलाना है,

उड़ते वाले पंछी के लिए

गीत सुरमई रचना है,

हिन्द की बेटी हिन्दी को

हमको गले लगाना है,

तिलक लगाकर माथै पर

हिन्दी में बधावा गाना है,

तिरंगा अपने हाथ मे लेकर

हिन्दी को गले लगाना है,

हिंद की पावन धरा पर

हम हिंदी भाषा में बोलेंगे,

सर्वनाम और संज्ञा के साथ

भारत की महिमा गाएंगे,

हिन्दी के झरने का कलरव

जन   जन  तक़  पहुचाएंगे,

हिंदी की छत्र छाया में रहकर

हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।

000

अनिल भारद्वाज, एडवोकेट,

हाईकोर्ट, ग्वालियर, मध्यप्रदेश

हिंदी हिंदुस्तान की

किसको व्यथा सुनायें जाकर,

वो अपने अपमान की,

कितने आंसू और पियेगी,

हिंदी हिंदुस्तान की।

व्यर्थ अपाहिज बना रखा है

पूर्ण आत्मनिर्भर भाषा को,

न्याय मंदिरों में दुत्कारा,

जाता है मां की भाषा को।

कब विधान को बदलेगी

परिभाषा राष्ट्रगान की,

कितने आंसू और पियेगी——।

रोते हैं रहीम के दोहे,

सूरदास के पद हैं घायल,

फफके साखी कबीर की ‘औ’

मीरा के गीतों की पायल।

कब तक सिसकेगी चौपाई

में भाषा भगवान की।

कितने आंसू और पियेगी——-।

हिंदी की माटी का दीपक,

कोने में टिम-टिमा रहा है,

परदेसी चिराग भाषा का,

हिमगिरि पर जगमगा रहा है।

कब तक अग्नि परीक्षा होगी

हिंदी के सम्मान की,

कितने आंसू और पियेगी——-।

गृह स्वामिनि को बेघर कर

जिसने जन-जन को त्रस्त किया है।

वह भाषा शासक है जिसने

जलियांवाला रक्त पिया है।

कब तक और सताएगी

प्रेतात्मा इंग्लिशतान की।

कितने आंसू और पियेगी,

हिंदी हिंदुस्तान की।

000

राष्ट्रमुकुट की प्रतीक्षा

कर कर के युग प्रतीक्षा थक जाऊंगी।

क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी।

मेरी आत्मा से वे चलचित्र बनाते,

मेरे वाक्यों से अरबों रोज कमाते,

मेरा अधरों पर नाम तक नहीं लाते,

उस फिरंगिनी बोली को गले लगाते।

सब देशों की प्रिय भाषा बन जाऊंगी,

क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी।

शिशुओं की मुझसे दूरी बना रहे हैं,

उनको विलायती तोते बना रहे हैं।

खुद पराधीनता के शब्दों को ओढ़े,

बैठे हैं मां की भाषा से मुंह मोड़े।

कर कर संस्कृत की रक्षा थक जाऊंगी।

क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी।

मेरे शहीद सुत फांसी पर लटकाए,

वह बैठी जलियांवाला लहू पचाए।

प्रतिदिन मैं झुलस झुलस कर भी जिंदा हूं,

मैं विधि के प्रावधान पर शर्मिंदा हूं।

दे दे कर अग्नि परीक्षा थक जाऊंगी,

क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी।

हिंदी दिवसों पर राष्ट्रमुकुट भी आते,

पर परदेशिन भाषा को ही पहनाते,

ये गीत दिवस इक ऐसा लेकर आए,

हिंदी को हिंदुस्तान ताज पहनाए।

ले ले वादों की भिक्षा थक जाऊंगी,

क्या पता राष्ट्रभाषा कब बन पाऊंगी।

000

राष्ट्रभाषा हिंदी भाषा है

हिमालय के भाल पर सूरज सी जो दमके,

वही मेरी राष्ट्रभाषा हिंदी भाषा है।

सूर तुलसी ने सजाई काव्य गहनों से,

है बहुत सुंदर ये अपनी और बहनों से,

अजंता की मूर्ति सा जिसको तराशा है,

वही मेरी मातृभाषा हिंदी भाषा है।

गीत सा श्रृंगार और संगीत सा स्वर है,

भाव मन के जहां बसते हिंदी वह घर है,

हिंद के होठों पर है जो हृदय की भाषा,

वही मेरी सृजन भाषा हिंदी भाषा है।

शब्द से जो सृष्टि का अभिषेक कर जाए,

जन्म से जो मृत्यु तक संदेश पहुंचाए,

प्रेम का गुंजन करें हर हृदय को जोड़े,

वही मेरी मृदुल भाषा हिंदी भाषा है।

विश्व भर में आज हिंदी जगमगाती है,

मातृभाषा मेरी सारे जग को भाती है।

गुनगुनाते धरती अंबर झूम कर जिसको,

वही मेरी श्रेष्ठ भाषा हिंदी भाषा है।

हिमालय के भाल पर सूरज सी जो दमके,

वही मेरी मातृभाषा हिंदी भाषा है।

000

लीला कृपलानी, वरिष्ठ साहित्यकार

हिन्दी भाषा

आजादी तो पा ली हमने

जंजीरें पर कुछ बाकी हैं

कुछ वादे पूरे करने हैं

कुछ कसमें खानी बाकी हैं।

अब कोई फिरंगी नहीं यहां

भाषा का झगड़ा फिर कैसा

अंग्रेज नहीं तो फिर भारी पलड़ा अंग्रेजी का कैसा।

हिंदी बोली

हिंदी भाषा की धाक जमाना बाकी है

कुछ वादे पूरे…….

कुछ कसमें खाना……।

हिंदी का चमन गुलजार रहे

हिंदी के फूल क्यों न खिलें

जब जड़ हिंदी की जमी हुई

फिर पल्लव हिंदी के क्यों पीले

अब हिंदी की कलियां खिल ही गई

बस महक मिलानी बाकी है

कुछ वादे पूरे……

कुछ कसमें…….।

अपना है वतन अपनी धरती

फिर तेरा मेरापन क्यों हो

हम पहले हिंदी भाषी हैं

अंग्रेजीपन फिर क्यों हो।

हर एक शख्स की रसना में रस हिंदी का लाना बाकी है

कुछ वादे पूरे…….

कुछ कसमें खानी……।

000

नीलम व्यास ‘स्वयंसिद्धा’, वरिष्ठ साहित्यकार

हिन्दी पुत्री हूं मैं

हिंदी भाषा को आराधे।

हिंदी माता सम मानें।

हिन्दी पुत्री खुद जाने।

हिंदी को ही विकसाओ।

मन मोर नाच रहा।

तन समर्पण भाव जगा।

देह मन प्राण पगा।

हिंदी अभिमान लाओ।

आओ शपथ सब लो।

निज जननी हिंदी हो।

लेखन कर्म हिंदी हो।

हिंदी अलख  जगाओ।

अस्मिता की पहचान ।

देहमन  बनी जान।

लेखनी की बढ़े आन।

हिंदी प्रसार बढ़ाओ।

वेदों उपनिषदों की,

अठारह पुराणों की,

हिंदी बेटी संस्कृत की,

प्राचीन गौरव पाओ।

अंग्रेजी भाषा नहीं ।

हमारी पहचान ही।

निज भाषा हिंदी रही।

सभी हिंदी अपनाओ।

हिंदी दिवस मनाएं।

जन जन को चेताए।

हिंदी को हीअपनाएं।

हिंदी के गुण ही गाओ।

वैज्ञानिक भाषा हिंदी।

सरल सहज हिंदी।

विश्व व्यापी हो हिंदी।

हिंदी सर्वश्रेष्ठ मानो।

पुरातन भंडार हैं।

काव्य ग्रन्थ अथाह हैं।

विपुल थाती ये हैं।

हिंदी भाषा सरसाओ।

000

हिंदी मेरी पहचान

हिंदी सिर्फ राष्ट्र भाषा ही नहीं,

मेरे अस्तित्व की पहचान भी हैं।

मेरे वजूद की सार्थकता बनी है।

मेरे जीवन की परिभाषा हिंदी है

विश्व पटल पर विश्व गुरु भारत है

संस्कृत भाषा हिंदी की जननी है

वेदों उपनिषदों की स्त्रोत बनी हैं

हिंदी वैज्ञानिक भाषा सिद्ध हुई है

कम्प्यूटर ने भी फॉन्ट बना दिया।

हिंदी कोवैज्ञानिक रूप दिया।

राष्ट्रभाषा पद पर स्थापित किया।

करोड़ो जनकी वाणी रूप लिया

साहित्य भंडार हिंदी विपुल हुआ।

आधुनिक नव हिंदी रूप हुआ।

जन जन लोकप्रिय रूप हुआ।

हिंदी सशक्त भाषा रूप हुआ

अंग्रेजी नौकरी में सहायक बनी।

फ़िरंगन हिंदी की सौतन बनी।

मत भूलो हिंदकी पहचान बनी।

हिंदी नव युग कल्याणकारी बनी।

मैं कवयित्री ,साहित्यकार बनी।

काव्य लेखन कर क़लमकार बनी

हिंदी की रचनाकार प्रसिद्ध बनी।

हिन्दी पुत्री बन हिंदी सेवी बनी।

अनेकों सम्मान पत्र मिले।

पुरस्कार उत्तम ही मिले।

माँ शारदे पुत्री को तेरा आशीष मिले

हिंदी में व्यक्तित्व फले फूले ।।

हिंदी की व्याख्याता बनी मैं।

नित्य हिंदी पढ़ी पढ़ाती भी मैं।

हिंदी से जीविकोपार्जन पाती मैं।

हिंदी की कवयित्री प्रसिद्ध मैं।

मुझे हिंदी ने ही सँवारा हैं।

काव्य ने मुझे यश नवाजा हैं।

हिंदी की सेवा करूंगी तय है।

हिन्दी आत्मा ,पहचान उत्स है।

हिंदी के शब्द मेरी सांसों से है।

हिंदी की कविता मेरी चाहत हैं

हिंदी मेरी रग रग में बहती हैं।

हिंदी मेरा गरूर अभिमान हैं।

मैं हिंदी साहित्य साधिका हूँ।

हिंदी काव्य पूजिका पावन हूँ।

मेरी वाणी मेरी अभिव्यक्ति हिंदी हैं

मेरी स्वान्तः सुखाय भाषा हिंदी है

अकिंचन गरीब ब्राह्मणी हूँ मैं।

हिंदी साहित्य साध्वी साधिका मैं

बस और कुछ न चाहती रब ,,मैं

आजीवन क़लमकार बनी रहूँ मैं।

विश्वपटल पर भारत छा जाएगा।

हिंदी का गौरव बढ़ ही जायेगा।

भारतीय संस्कृति परचम लहराएगा

हिंदी का कद महान हो जाएगा।।

000

हिंदी का महत्व

सुमधुर ,सौम्य भाषा बनी हिंदी।

व्याकरण वैज्ञानिक लिपि हिंदी।

रस छंद अलंकार भरी हिंदी।

दोहा चौपाई गीतों सजी हिंदी।

काव्य सौंन्दर्य ,काव्यरचना की हिंदी

शास्त्रों ,ग्रन्थों की प्रसिद्ध भी हिंदी।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पे छाई हिंदी।

वेवसाईट बनी लोकप्रिय हुई हिंदी।

सीखने में वैज्ञानिक सरल हिंदी।

देवनागरी लिपि राष्ट्रभाषा हिंदी।

कवियों  विश्व व्यापी जनप्रिय हिंदी

साहित्यिक कृतियों में उत्तम हिंदी।

अंग्रेजी से प्रति स्पर्धा करती हिंदी।

जन जन लोकप्रिय हुई अब हिंदी।

हिन्दू संस्कृति की द्योतक हिंदी।

परम्परा भारत की तस्वीर हिंदी।

करो संकल्प विश्व पर छाए हिंदी।

हर हिंदुस्तानी गर्व से बोले हिंदी।

आलेख कहानी संस्मरण प्रतिवेदन।

पत्र,लघुकथा, उपन्यास चालीसा।

छाया ,रेखाचित्र, शब्द चित्र हिंदी।

काव्य विधा समृद्ध भंडार हिंदी।

मीरा सूर कबीर तुलसी प्रिय हिंदी।

निराला बच्चन पंत महादेवी हिंदी।

कुमार विश्वास नागार्जुन चेतन भगत

मन्नू भंडारी राजेन्द्र यादव प्रेमचन्द।।

अथाह विपुल भंडार समृद्ध हिंदी।

करोडों भारतीयों की आवाज हिंदी

हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं हैं दोस्तों।

हिंदुत्व भारतीयता पहचान है हिंदी

हिंदी दिवस गर्व से मनाओ सब।

करना प्रसार प्रचार तेरा ए हिंदी।

माधुर्य आह्लाद जोश प्रेरणा हिंदी।

नीलम तेरी चेरी बनी ए मां हिंदी।

हिंदुस्तान में हिंदी भारत का मान बढ़ाती हैं।

हमें जीने का नया अंदाजभी सिखाती हैं।

000

डॉ. प्रतिभा कुमारी पराशर,  हाजीपुर बिहार

अनमोल है हिंदी

बड़ी अनमोल है हिन्दी।

इसे कहना नहीं बिन्दी ।।

हमारी राष्ट्रभाषा हो ।

नहीं इस पर तमाशा हो।।

पढ़ें हिन्दी, लिखें हिन्दी

इसे कहना……

पढ़ाते पुस्तकें मोटी ।

मगर मिलती नहीं रोटी।।

बड़ी मुश्किल बढ़ी हिन्दी

इसे ……

इसे करते नमन सादर ।

करें इसका सभी आदर।।

हमारी जान है हिन्दी

इसे कहना नहीं बिन्दी।।

000

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’

हिन्दी हैं हम

हमारी संस्कृति मातृ भाषा हिन्दी है

हिन्दी की बिंदी हमारी शान है,

हमारा देश महान है।

हिन्दी भाषा नाम बनाती है

हिन्दी में स्वर,व्यंजन 52

वर्णमाला के अक्षर भाषा का

निर्माण कराते ।

हिन्दी बिगड़े काम बनाती है

हिन्दी शिष्टाचार सिखाती  है

हिन्दी ही विश्वास बढ़ाती है

हिन्दी लोगों का मान बढ़ाती,

लोगो को सम्मान दिलाती है

चिकित्सक, शिक्षक, वकील,

जज ऊंचे-ऊंचे पद दिलाती है

संसार का निर्माण कराती है

हमारी जान हिन्दी है

हिन्दी का नाम ऊंचा गली

शहर कूचा कूचा ।

हिन्दी भाषा एक है ,इसके

गुण अनेक है।

हिन्दी का जग में नाम रहे

ऊंचे तिरंगे की हरदम शान रहे

होली,दिवाली,ईद हिन्दी

हमारा गीत त्योहार ,उपहार

संस्कार हमारे मनमीत

हिन्दी अभिलाषा है हिन्दी

एक आशा है। हिन्दी भेदभाव

मिटाती ।

हर घर मे खुशियां लाती।

हिन्दू ,मुस्लिम, सिख,इसाई

आपस में है भाई-भाई।

हिन्दी भाईचारा बढ़ाती

बुराई का अन्त कराती

दशहरा में रावण  को जलाती।

दुखों को सहारा दिलाती है

पुलिस-प्रशासन की मान

मर्यादा बढ़ाती।

बच्चों का भविष्य बनाती।

लोगों का जीवन चलाती

मेहनत और लगन हिम्मत

का  पाठ पढ़ाती।

तब जाके ये हिन्दी कहलाती।

और हिन्द-वासी कहलाते।

000

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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