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चरित्र ही मोक्ष का मार्ग है। ये विचार जगतपूज्यविजय महाराज ने क्रिया भवन में नवपद के आठवें दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण वाणी है। वाणी से पुण्यार्जन भी कर सकते हैं और पाप उदय का कारण भी बन सकती है। मनुष्य जन्म हमें पुण्य से मिला है एवं आगे जो भी अनुकूलता मिलेगी वह भी पुण्य से ही मिलेगी। उन्होने चरित्र पद महिमा पर विस्तार से गुणगान किया व कहा कि चरित्र ही मोक्ष मार्ग है। श्रद्धा व विधिपूर्वक की जाने वाली आराधना व्यर्थ नहीं जाती है। संघ प्रवक्ता धनराज विनायकिया ने बताया कि नगर स्थित रत्नप्रभ धर्म क्रिया भवन में मुनि जगतपूज्यविजय आदि साधु साध्वी के सानिध्य में नवपद ओली आराधना लाभार्थी श्राविका श्रीमती उषा देवी-स्व.गुमानमल राकेश ,सुखेश , पुनित रोनक एवं समस्त
धारीवाल परिवार द्बारा आयोजित नवपद ओली आराधना के आठवें दिन चारित्र पद महिमा गुणगान किया गया। संघ अध्यक्ष हनुमान चंद तातेड, सचिव उम्मेद राज रांका, संयोजक रिकबराज बोहरा ने बताया कि आराधना तहत नियमित प्रवचन 9:15 बजे श्रीपाल रास महासति मैना सुंदरी का जीवन चरित्र परमात्मा वाणी तथा विभिन पूजाएं नवपद महापूजन सहित कई कार्यक्रम के साथ नोवें दिन तप पद गुणगान व 18 को तप तपस्या पारणा के साथ ओली आराधना का समापन होगा।