अमर शहीद किसी जाति या क्षेत्र के नहीं होते, वे भारत के वीर सपूत हम सभी के होते हैं : अजय सिंह सांसी
पारस शर्मा. जोधपुर. नागौर
नया पूरा सांसी बस्ती सेनणी मुंडवा के अमर शहीद तेजाराम सांसी ( हैड कांस्टेबल राजस्थान पुलिस) जो गत वर्ष ड्यूटी के दौरान अन्य पुलिसकर्मियों के साथ शहीद हो गए थे। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर उनके पैतृक गांव में उनके स्मारक स्थान पर प्रतिमा का अनावरण किया गया। यह आयोजन पूरे सम्मान और गर्व के साथ संपन्न हुआ।
समाज के प्रमुख अजय सिंह सांसी ने कहा, “तेजारामजी ने अपनी ड्यूटी के प्रति निष्ठा और समर्पण से हमें प्रेरणा दी है। अमर शहीद किसी जाति या क्षेत्र के नहीं होते, वे भारत के वीर सपूत होते हैं। उनके आदर्श समाज में वीरता का संचार करते हैं और उनकी गाथाएं ईमानदारी की मिसाल बनती हैं।” उन्होंने तेजाराम के परिवार की सराहना करते हुए कहा कि उनका परिवार न केवल राजकीय सेवा में अग्रणी रहा है, बल्कि सामाजिक सरोकारों में भी प्रेरणादायक भूमिका निभाता आया है।
विशेष रूप से उनके पिताजी शिवकरण मालावत ( हैड कांस्टेबल, राजस्थान पुलिस), ने समाज के उत्थान के लिए अनुकरणीय योगदान दिए। उन्हीं के संस्कारों से प्रेरित होकर यह परिवार राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पित रहा है।
तेजाराम का जीवन
तेजाराम बाल्यकाल से ही शिक्षा और खेल में सक्रिय रहे। वह एक बेहतरीन खिलाड़ी थे और समय-समय पर धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के साथ खेल और अन्य सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी से एक सुव्यवस्थित समाज का निर्माण होता है। वह हमेशा कहते थे, “एक रोटी कम खाओ, पर शिक्षा को कभी मत रोको।”
वीर सपूत देश की शान : ज्योति मिर्धा
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष और नागौर की पूर्व सांसद, ज्योति मिर्धा, ने तेजाराम की शहादत को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, “ऐसे वीर सपूत देश की शान होते हैं। उनकी कुर्बानी और समर्पण हम सबके लिए प्रेरणा है।”
ये थे अति विशिष्ट अतिथि
रेवंतराम डांगा (विधायक, खीवसर)
लक्ष्मणराम कलरू (विधायक, मेड़ता सिटी)
नारायण टोंगस (पुलिस अधीक्षक, नागौर)
मानवेंद्र सिंह भाटी (थाना अधिकारी)
अमीलाल जांगिड़ (थाना अधिकारी)
राजेंद्र जाखड़ (प्रधान प्रतिनिधि, भोपालगढ़)
घनश्याम सदावत (पूर्व अध्यक्ष, नगर पालिका, मुंडवा)
ओमप्रकाश सेन (पूर्व प्रधान, नागौर)
किशोर खदाव (सरपंच, आसोपा)
पारस गुर्जर (सरपंच, रजलानी)
शोभा देवी मेघवाल (सरपंच, सेनणी)
महेंद्र परिहार (एमडी, करियर एंड सर्विस, नागौर)
इन सभी ने श्री तेजाराम जी के बलिदान को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
गौरवपूर्ण आयोजन
यह आयोजन न केवल शहीद को श्रद्धांजलि देने का माध्यम बना, बल्कि उपस्थित जनसमूह में देशभक्ति और सेवा के प्रति समर्पण की भावना को भी जाग्रत किया। पूरा गांव और समाज इस गौरवपूर्ण आयोजन का साक्षी बना।
क्षेत्रीय मांगें
इस अवसर पर क्षेत्र के प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि बस्ती के नजदीक स्थित वर्षों से बंद राजकीय स्कूल को पुनः प्रारंभ किया जाए और उसका नामकरण श्री तेजाराम जी के नाम पर किया जाए। साथ ही, क्षेत्र में एक चौराहे और सामुदायिक भवन का नामकरण भी श्री तेजाराम जी की स्मृति में किया जाए।
शिवकरण (पिता) के बोल
“यह मेरे लिए गर्व का क्षण है, लेकिन मार्मिक भी। मेरे सुपुत्र ने अपने कर्तव्य को निष्ठा से निभाते हुए देश के लिए शहीद हुआ। मेरा संकल्प है कि आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित कर, समाज और राष्ट्र सेवा के लिए तैयार करूं।”
कमला देवी (माता) के बाेल
“यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि मेरी कोख से एक शहीद ने जन्म लिया। मेरा पुत्र अपने कर्तव्य के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारियों को भी बड़ी निष्ठा से निभाता रहा। हमें उसका अभाव महसूस होता है, परंतु उसकी वीरगति हम सभी के लिए स्वाभिमान है और इस स्वाभिमान को हम जीवनभर सहेज कर रखेंगे।”
वीरांगना श्रीमती सरिता देवी (पत्नी) ने कहा
“मुझे गर्व है कि मेरे पति ने अपनी सेवा देते हुए शहीदी प्राप्त की। मैं अपने बच्चों को भी ऐसे संस्कार दूंगी कि वे सदा ईमानदारी और निष्ठा से देश और समाज की सेवा में लगे रहें। सुहाग उजड़ना हर स्त्री के लिए सबसे बड़ा दुख होता है, परंतु मेरा सौभाग्य है कि मेरे पति ने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वीरगति प्राप्त की। यही मेरे लिए गर्व की बात है।”
दिनेश (भाई) ने कहा
“हमारा बड़ा भाई अपने कर्तव्य के साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों में हमेशा आगे रहा। उन्होंने हम भाइयों को हमेशा संजोए रखा। आज हमारा भाई वीरगति को प्राप्त हो गया है, लेकिन समाज में जो कीर्तिमान उन्होंने स्थापित किए, हम उन्हें सदा बनाए रखेंगे।”
राकेश ने कहा
“मेरा बड़ा भाई मुझसे बहुत प्रेम करता था। हम सदा साथ रहते थे। आज उसकी यादें हमारे साथ रह गई हैं कि ऐसा भाई हमें प्राप्त हुआ था। उसके बिना संसार खाली लगता है। लेकिन आज उसकी प्रतिमा लग रही है, और उसकी प्रतिमा को देखकर हमें गर्व होता है। हम भाई-बहन उसे सदा याद करते रहेंगे।”
हंसराज ने कहा
“मुझे आज भी उसके स्कूल का समय याद आता है। वह हमेशा सुबह हमें उठाकर ले जाता था। सारे घर के काम करता था और फिर स्कूल जाता था। वह हमारे लिए पिता की छवि था। आज वह हमें शीश स्थान पर ले गया है। हमें गर्व है कि हमारा भाई वीरगति को प्राप्त हुआ।”
सुगणा का कथन
“घर में पिता के बाद हम भाई को बहुत मानते थे। आज हमारा भाई वीरगति को प्राप्त हुआ है। हमारे लिए यह बहुत मार्मिक है, लेकिन आज उसकी प्रतिमा देखकर हम गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।”
गीता का कथन
“मुझे अपने भाई से बहुत लगाव था। वह हमेशा मेरे घर आता था, बच्चों को संभालता था और एक सख्त रवैया के साथ पूरे परिवार को संभाल कर रखता था। वह पिता की तरह भी भूमिका निभाता था। अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वह आज वीरगति को प्राप्त हुआ है। रक्षाबंधन के दिन उसकी कमी महसूस होगी, लेकिन उसके कर्तव्य और कार्य को याद करते हुए हम गर्व महसूस करते रहेंगे।”
आदित्य (पुत्र) के शब्द
“पिताजी की कमी बहुत महसूस होती है, लेकिन हमारे पिताजी ने देश और समाज के लिए शहादत दी है। अपनी ड्यूटी के प्रति उनकी निष्ठा हम सभी के लिए गर्व की बात है। उनकी कमी हमेशा महसूस होगी, लेकिन जब भी मैं उन्हें याद करूंगा, तो उनकी मूर्ति के पास जाकर बैठ जाऊंगा।”
मनीषा (पुत्री) के बोल
“हमारे पिताजी लड़का-लड़की में कोई भी भेदभाव नहीं करते थे। वह एक आदर्श पिताजी थे। उन्होंने हमें अच्छी शिक्षा दी और हमेशा कहा करते थे कि आगे पढ़ाऊंगा और तुम्हें बहुत बड़ा अफसर बनाऊंगा। मैं उनके सपने जरूर पूरे करूंगी।” यह आयोजन न केवल शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए था, बल्कि उपस्थित जनसमूह में देशभक्ति और सेवा के प्रति समर्पण की भावना को और मजबूत करने का प्रतीक बना। पूरा गांव और समाज इस गौरवमयी आयोजन का साक्षी बना।
