पारस शर्मा. जोधपुर
डीएनटी संघर्ष समिति की ओर से सोमवार को राइकाबाग से कलेक्ट्रेट तक रैली निकाल कर डीएनटी जातियों की ओर से आंदोलन किया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष लालजी राईका और सह- संयोजक रतननाथ कालबेलिया ने बताया कि जोधपुर में एक बहुत बड़ा आंदोलन किया जा रहा है जिसे उन्होंने “ बहिष्कार आंदोलन “ नाम दिया है । राजस्थान सरकार ने विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू समाजों के लिए रेनके आयोग और इदाते आयोग की सिफ़ारिशों को लागू नहीं किया है । इन्ही रिपोर्ट के आधार पर संघर्ष समिति ने नौ माँगों का एक चार्टर बनाया है जिसमें दस प्रतिशत आरक्षण में आरक्षण जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णय में कहा है, दस प्रतिशत पंचायतों में भागीदारी, आवास और शिक्षा की विशेष व्यवस्था की माँग की गई है ।
राजस्थान में 51 जातियां विमुक्त और घुमंतू में आती हैं जिसे समिति ने डीएनटी वर्ग बनाने की माँग की है और जिसकी जनसंख्या एक करोड़ पच्चीस लाख है लेकिन उनके विकास के लिए सरकारों ने कोई काम नहीं किया । लालजी ने बताया कि इन समाजों ने राजस्थान सरकार को आज़ादी से लेकर अब तक पाँच लाख करोड़ का टैक्स दिया है लेकिन उसका दस प्रतिशत भी इन समाजों के विकास के खर्च नहीं किया गया ।
लालजी ने बताया कि डीएनटी संघर्ष समिति अब इन सभी जातियाँ संगठित कर रही है और एक राज्य व्यापी आंदोलन छेड़ा है जिसको “ बहिष्कार आंदोलन “ नाम दिया है अर्थात् जो सरकार हमारे लिए कुछ नहीं करती उसकी नीतियों का हम बहिष्कार करते हैं । समिति ने अपना माँग पत्र कैबिनेट मिनिस्टर मदन दिलावर को दिया और उनसे मीटिंग की लेकिन सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया । इसके बाद बहिष्कार आंदोलन 7 जनवरी को पाली में किया जिसमें दस हज़ार लोगों ने भाग लिया । सरकार ने इसके बाद भी माँगों पर कोई विचार नहीं किया इसलिए संघर्ष समिति ने दूसरा आंदोलन जोधपुर में 3 जनवरी 2025 को करने जा रही है जिसमें इन समाजों में व्याप्त आक्रोश को दिखाने के लिए “ मुख्यमंत्री का पुतला “ जलाया जाएगा ।
लालजी राईका ने सरकार के प्रति अपनी नाराज़गी दिखाते हुए कहा कि यदि जोधपुर के “ बहिष्कार आंदोलन “ के बाद भी सरकार कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो जयपुर में महाआंदोलन किया जायेगा ।
डीएनटी माँग पत्र : ( charter of Demands )
सबसे पहली है कि विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू की जो सूची बनाई है उसमें अनेक विसंगतियाँ हैं जिसे दूर किया जाये जैसे रैबारी लिखा है लेकिन देवासी और राईका नहीं लिखा है, जोगी कालबेलिया को एक लिख दिया है लेकिन दोनों समाज अलग अलग हैं , बनजारा और गाड़िया लुहार समाजों के नामों में भी विसंगतियाँ है । इसी प्रकार कुछ जातियाँ घुमंतू हैं लेकिन उनका सूची में नाम नहीं है जैसे मीरासी , उन समाजों का नाम शामिल किया जाये । इस प्रेस वार्ता में पूर्व राष्ट्रीय सचिव भरत सराधना, भिखू सिंह, सुल्तान सिंह, ओगड़ राम, किशनाराम, सवाराम, रामेश्वर देवासी, डॉ सुखराम, चंदन, छगन देवासी नागौलड़ी इत्यादि मौजूद थे।
नौ माँगे निम्न प्रकार हैं। डीएनटी समाज को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में 10% आरक्षण दिया जाये जिसकी सिफ़ारिश रेनके आयोग ने भी की है । राजस्थान में इन जातियों की अनुमानित जनसंख्या क़रीब 15% है इसलिए 10% आरक्षण की माँग उचित है । इन जातियों में अधिकतर अनुसूचित जाति , अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है लेकिन इनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय “ आरक्षण के भीतर आरक्षण “ के तहत इन समाजों को अलग से 10% आरक्षण दिया जाना चाहिए । पंचायती राज्य संस्थाओं और शहरी निकायों में इनके लिए 10% सीटें आरक्षित की जाये । क्योंकि ये जातियों बिखरी हुई हैं इसलिए एक साथ वोट नहीं कर पाती हैं , इसलिए इन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए 10% सीट राज्य सभा में आरक्षित किया जाये । जहाँ पर इनके आवास हैं या बाडा है उसी को नियमित पर पट्टे दिये जाये। आवासहीनों को शहर में 100 वर्ग गज और गाँवों में 300 वर्ग गज आवास के लिए और 300 वार गज पशुओं के बाड़े के लिए दी जाये । शिक्षा के लिए शिक्षा बजट का 10 % हिस्सा अलग किया जाये और उसमें से इनके लिए आवासीय विद्यालय , कला महाविद्यालय , महा आंगनबाड़ी , हॉस्टल, कौशल कॉलेज आदि खोले जायें । उन्हें “ कहीं भी शिक्षा ( anywhere education) का प्रावधान किया जाये और उनके बच्चों को “ शिक्षा अधिकार ( right to education) में प्राइवेट स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जाये और उनकी फ़ीस की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाये । महिलाओं और युवाओं को आधुनिक उद्योग जैसे इलेक्ट्रॉनिक , कंप्यूटर मैन्यूफ़ैक्चरिंग में ट्रेनिंग देकर रोज़गार दिया जाये क्योंकि इन जातियों में बचपन से ही कला की प्रवति होती है इसलिए इन उद्योगों के लिए वे कुशल कर्मचारी साबित होंगे । सभी प्राइवेट उद्योगों को इस समाजों को रोज़गार देने का लक्ष्य दिया जाये । प्रति वर्ष 1000 विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजा जाये जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करे । इनके लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन की सुविधा होनी चाहिए।
