अरुण माथुर. जोधपुर
खुदा की इबादत का पाक महीना रमजान शुरू हो चुका है। रमजान के इस पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते है। रमजान के इस पवित्र महीने में हाकम बाग की रहने वाली रेहमत (10) ने रोजे रखें है तो वहीं सरदारपुरा स्थित कबाड़ियों का बास की रहने वाली रिहाना (21) व शहंशाह (17) ने भी बड़ी शिद्दत के साथ रोजें रखें है। रोजें के दौरान खुदा से इबादत कर घर परिवार, देश और दुनियां में शांति की कामना की।
रेहमत के पिता रिजवान कहते है कि जिस तरह से बड़े रोजा रखते है और इबादत करते है उसी तरह से रेहमत भी रोजें रखकर खुदा की इबादत कर रही है। उन्होेनें बताया कि जब रेहमत सात साल की थी तब जिद करके रोजें रखें। इसके बाद रोजें रखते हुए रेहमत को तीन साल हो गए है। वह रोजाना सुबह शाम खुदा की इबादत करती है और माता पिता के साथ बैठकर रोजा खोलती है।
सरदारपुरा स्थित कबाड़ियों का बास निवासी रिहाना (21) व शहंशाह (17) ने भी रोजें रखे है। रिहाना सात साल की उम्र से और शहशांह छह साल की उम्र से रोजें रख रहे हैं। इस बार भी दोनों भाई बहनों ने रोजें रखे है। रिहाना और शहंशाह के पिता मुनीर का कहना है कि रिहाना ने सात साल की उम्र में पहली बार रोजें रखें थे। तो भाई शहंशाह ने बहन से प्रेरणा लेते हुए रोजें रखने शुरू किए। दोनों भाई बहन हर साल रोजें रख कर खुदा की बारगाह में देश में अमन चैन बना रहे कि दुआं करते है।
रेहमत, रिहाना और शहंशाह के परिजनों का कहना है कि जब बच्चों ने छोटी उम्र में रोजें रखने की जिद की उस समय गर्मी का मौसम था। तब बच्चों को समझाया जब वे नहीं मानें तो परिवार वालों ने रोजें रखने की इजाजत दी। रोजें रखने की इजाजत मिलते ही बच्चों के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब यह बच्चें हर साल रोजें रखते है और मस्जिद में नमाज अदा कर देश में अमन चैन बना रहे की दुआं करते आ रहे है।
