कमाने गए थे…‘आतंकी’ की तरह लौटे…इस बर्ताव पर कहां छुपे हैं मानवाधिकार आयोग
वीटो पॉवर वाले देशों को ऐसा हक किसने दिया…कहीं कोई बोल क्यों नहीं रहा?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान- इतने बड़े लोकतंत्र का अपमान, सरकार की कायरता
मिस्टर ट्रम्प- इस अपमान का एक दिन भारतवासी कड़ा जवाब देंगे, तब पूरी दुनिया देखेगी
डीके पुरोहित. नई दिल्ली
मुबारक हो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहब। आप जल्द ही अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करने जा रहे हो। आपको खुशी होगी कई मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण बातचीत करने में। कई एमओयू करेंगे। कई वार्ताएं करेंगे। कई प्रस्तावों पर हस्ताक्षर करेंगे…मुबारक…मुबारक…मुबारक….। पर धिक्कार है मोदीजी…36 इंच का आपका सीना अब दुनिया कभी नहीं देख पाएगी। 140 करोड़ हिन्दुस्तानियोें का अपमान हो गया और आप और आपकी सरकार के किसी नेता के मुंह से एक शब्द नहीं निकला। आपकी ही सरकार के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कायरतापूर्ण बयान- ये कोई नहीं बात नहीं है; हथकड़ी लगाकर लाना…ये अमेरिका की नीति है…कहां मर गए दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग…कहां गए मानवाधिकारों की पैरवी करने वाले संगठन…जानवरों जैसा इंसानों से व्यवहार पूरी दुनिया देखती रही…वीटो पॉवर वाले देशों को क्या वीटो पॉवर इस दिन के लिए दिया गया था। मोदीजी इतिहास में आपकी कायरता हमेशा हमेशा दर्ज हो गई है। याद करो जब अकबर के जुर्म से तंग आकर महाराणा प्रताप ने पत्र लिखा था- मुगलों की अधीनता स्वीकार करने का और फिर उनका स्वाभिमान जागा और उन्होंने मरना स्वीकार कर लिया पर मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की…अगर प्रधानमंत्री मोदीजी आपमें जरा भी शर्म है तो 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों की कसम…रद्द कर दो ट्रम्प से मुलाकात और घोषणा कर दो कि जब तक ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति रहेंगे न भारत में ट्रम्प को आने दिया जाएगा और न ही भारत का कोई राजनेता अमेरिका जाएगा…।
दो दिन से दुनिया भर के अखबारों में भारत के 104 लोगों की खबरें छप रही है। आतंकी की तरह व्यवहार करना अमेरिका का स्वभाव हो सकता है। मगर भारत ने हमेशा वसुधैव कुटुंबकम का व्यवहार किया है। भारत में भी कई अवैध लोग रह रहे हैं। कई देशों के रह रहे हैं। मगर भारत ने कभी ऐसा व्यवहार नहीं किया। फिर भारत की सरकार ने ऐसे व्यवहार पर विरोध तक दर्ज क्यों नहीं करवाया?…शिवाजी का गुणगान करने वाले…महाराणा प्रताप के स्वाभिमान पर इतराने वाले और लोकतंत्र के ठेकेदार बने भाजपा के नेताओं के मुंह से बोल तक नहीं निकल रहे? हो सकता है यह भारत सरकार की नीति हो..। पर झुकना भी कोई नीति? वो भी इस तरह। हम लाए हैं तूफां से किश्ती निकालकर इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर…आज यह गीत बरबस याद आ रहा है…। आज फिर हमारे देश पर संकट है। अमेरिका जैसे देशों की दादागिरी का जवाब देने का अभी वक्त भलेही ना हो, मगर इस घटना के बाद 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों को सोचना होगा। क्या अपने देश में रोजगार नहीं किया जा सकता? क्या परमाणु बम की मार सहने वाला जापान फिर से खड़ा हो सकता है तो हिन्दुस्तान खड़ा नहीं हो सकता। जरूरत है दिन में 20 घंटे काम करने की। अपने पुरुषार्थ को जगाओ हिन्दुस्तानियों…। अमेरिका हमारा आदर्श कभी नहीं हो सकता। हिन्दुस्तान का आदर्श तो हिन्दुस्तान ही हो सकता है। जागो हिन्दुस्तानियों…छोड़ दो अमेरिका की नौकरियां…लौट आओ अपने देश…पैसा कमाना हमारा अंतिम ध्येय नहीं होना चाहिए। क्या भारतीयों के पास दिमाग नहीं है। क्या भारतीयों में ताकत नहीं है। हमारे पास हौसला है…हिन्दुस्तानी मर सकते हैं, पर झुक नहीं सकते।
104 हिन्दुस्तानियों का कसूर क्या था? वे कमाने के लिए अमेरिका गए थे। अवैध रूप से…। अवैध रूप से तो भारत में भी कई लोग रहे रहे हैं। पर भारत के हुक्मारान अपने अपने स्वार्थों की वजह से उन्हें पालते हैं। अमेरिका ने 104 हिन्दुस्तानियों का वापस भेजा…ये वापस भेजा शब्द पर गौर करना होगा…। ये वापस ही नहीं भेजा। उन्होंने भारत के स्वाभिमान की चिंदियां बिखेरी है। इतने बड़े लोकतंत्र का अपमान पूरी दुनिया में हुआ। और हम नपुसंक बने देखते रहे। इस घटना पर भी अगर भारतीय राजनेताओं का खून ना खाेले तो यह उनका सब्र नहीं बुझदिली है। हम भारतीय जीत नहीं सकते तो क्या साथ में मर भी नहीं सकते। जहां पेडों को बचाने के लिए 363 विश्नोई मर सकते हैं तो क्या अपने स्वाभिमान की खातिर 140 करोड़ वासी सिर नहीं कटा सकते। झुकना हमारा स्वभाव नहीं होना चाहिए। गलती हम स्वीकार करते हैं। बड़ा दिल करके। लेकिन जब कोई हमारी गैरत को ललकारता है तो हमे जवाब देना ही होगा। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने इस बड़े अपमान पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उलटे मोदीजी ट्रम्प से हाथ मिलाने जा रहे हैं। क्या यही है सरकार की विदेश नीति? अटल बिहारी वाजपेयी जिस पार्टी में रहे और देश की विदेश नीति को दुनिया में मान्यता दिलाई उस पार्टी की विदेश नीति इतनी घटिया होगी, हम नहीं जानते थे। वो नीति ही क्या जहां अपमान का जवाब नहीं दिया जा सके। जब चाणक्य के स्वाभिमान का ललकारा तो उन्होंने नंद वंश के खात्मे की प्रतीज्ञा कर ली। तो क्या मोदीजी अपने को चाणक्य कहते हैं तो ट्रम्प सरकार के सामने अपनी शिखा नहीं बांध सकते थे। पर हम यह बातें किससे कह रहे हैं। आज पूरी दुनिया ने मोदीजी की कायरता को देखा। हिन्दुस्तान का तमाम मीडिया जो मोदीजी के गुणगान करता नहीं थकता, वो भी खामोश है। कोई मोदीजी से सवाल नहीं करता। ना करे। हमने हमेशा मोदीजी की प्रशंसा की। लेकिन हमने कभी यह कसम नहीं खाई है कि सभी मुद्दों पर मोदीजी का साथ देंगे। जहां हमें लगेगा हम बोलेंगे। मोदीजी आज आपने इस पत्रकार के विश्वास को तोड़ा है। आपने इस पत्रकार का ही नहीं पूरे हिन्दुस्तान के स्वाभिमान का विश्वास तोड़ा है। मोदीजी आपने और आपकी पार्टी ने 140 करोड़ हिन्दुस्तानियों का अपमान होते देखा है। मुबारक हो। आपकी कायरता के लिए। आप प्रयाग में डुबकी लगाकर अपने पाप तो धो सकते हो, मगर किसी भी प्रयाग में इस कायरता का प्रायश्चित नहीं हो पाएगा।
