आज से करीब 10 महीने पहले हमने विख्यात जैन संत परम पूज्य स्वामी पंकजप्रभु महाराज के प्रवचनों की शृंखला शुरू की थी। दो प्रवचनों की कड़ी हमने उदित भास्कर डॉट कॉम पर प्रकाशित की थी। बाद में हमारा पोर्टल किसी ने हैक कर दिया था। हमारा स्वामीजी से कॉन्टैक्ट भी टूट गया था। स्वामीजी का जन्म कहां हुआ किसी को नहीं पता। उनके गुरु कौन है? उनका आश्रम कहां है? ये सब बातें किसी को नहीं पता है। वे सिर्फ मानसिक संदेशों के जरिए अपनी बात लोगों तक पहुंचाते हैं। हमें वे जो प्रवचन मानसिक तरंगों से भेज रहे हैं, उसमें हम देश-विदेश की जनता के लिए प्रकाशित कर रहे हैं। आज फिर स्वामीजी ने मानसिक तरंगों के जरिए अपना संदेश पहुंचाया है जिसे हम अब राइजिंग भास्कर के पाठकों के लिए हूबहू पाठकों के लिए पेश कर रहे हैं।
स्वामी पंकजप्रभु महाराज. स्कॉटलैंड
यह समय संक्रमण काल का है। दुनिया में खूब उथलपुथल होगा। कई बड़े नेताओं, हस्तियों की मौतें होंगी। दुनिया हिंसा के दौर से गुजर रही है और हिंसा चरम पर होगी। मर्यादा शब्द अब खत्म होने वाला है। लोग संयम खो रहे हैं। खो बैठे हैं। यह हमें चेतावनी है। समय किसी के कहने से रुकता नहीं। समय का पहिया चलता रहता है। युगों युगों से ऐसा ही होता आया है।
हे भारत वासियों किसी के मरने का शोक ना मनाना। इस धरती पर विधाता ने सबकी कहानियां पहले से लिख दी है। आपके सबसे प्रिय व्यक्ति की कहानियां भी लिख दी है। कौन हीरो होगा? कौन विलेन होगा? अभी पिक्चर बाकी है। सत्य अब एक उबासी से अधिक कुछ नहीं है। जो कभी भी किसी क्षण आ सकती है और झूठ का राज होगा। कब तक यह तो मैं भी नहीं जानता। लेकिन जीत अंतत: सत्य की होगी। लेकिन इस सत्य से पहले झूठ का तांडव नृत्य होगा। दुनिया में खूब उथलपुथल होगी। हिंसा अपने चरम पर होगी। रिश्ते-मर्यादा सब मलीन हो चुके हैं। पिछले दो तीन साल में आपने देखा दुराचार के कितने अधिक मामले हुए। राजस्थान में ही कितने केस सामने आए। यह हमारी मर्यादा की अंतहीन पराकाष्ठा है। इसमें कोई कुछ नहीं कर पा रहा है। सरकारें बनती है। बिगड़ती है। यह सिलसिला चलता रहेगा। अब यह समय नहीं है कि किस के जन्म का हर्ष मनाएं और किस की मौत का गम…बस देखते जाओ। समय जो तमाशा दिखाने जा रहा है, उसे देखते रहने की जरूरत है।…जो भविष्य की तस्वीर मुझे दिखाई दे रही है, वह काफी भयानक है। राजनीतिक चरित्र हनन चरम पर होगा। आदमी अपना संयम खो बैठेगा। चंद रुपयों के लिए मर्डर होंगे। विनाशकाले विपरीत बुद्धि…यही होने जा रहा है। विनाश के बाद फिर सुकून की बांसुरी श्रीकृष्ण बजाएंगे। लेकिन महाभारत का दौर शुरू होने वाला है। आहट अभी से सुनाई दे रही है।
विघटनकारी ताकतें सिर उठा रही है। उठाएगी। झूठ अपनी पराकाष्ठा पर होगा। परिस्थितियों से बचाने वाला कौन देवता प्रकट होगा, अभी कहना जल्दबाजी होगा। मैं खुद समझ नहीं पा रहा हूं। परिस्थितियों का आकलन नहीं कर पा रहा हूं। बस एक आशंका घर कर रही है। दुनिया में जो दिख रहा है, वह केवल भ्रम है। हकीकत अभी सामने आना बाकी है। अभी बहुत कुछ बदलने वाला है। संक्रमण काल में अविश्वास शब्द अपने विराट रूप में सामने आएगा। किसी को किसी पर भरोसा नहीं रहेगा। भरोसा शब्द जब टूटेगा तो रिश्तों में भी दरार आ जाएगी। स्वार्थ पसर जाएगा। स्वार्थ के वशीभूत होकर इंसान कुछ भी करने को तैयार हो जाएगा। लेकिन जो मन के साफ होंगे। जिन पर ईश्वरीय चेतना का आशीर्वाद होगा, उन भक्तों को स्वयं परमात्मा बचा लेंगे। इसलिए अभी भी घबराने की जरूरत नहीं है। हे भारतवासियों, हमें अब अधिक सावधान होने की जरूरत है। जिन पर आप सबसे अधिक भरोसा कर रहे हो, वही आपका भरोसा तोड़ेगा। इसलिए सावधान भारतवासियों, किसी पर आंख बूंद कर भरोसा मत करो। राजनीतिक आपाधापी में सत्य को पहचानो। सत्य कहीं से किसी भी दिशा से आ सकता है। सत्य की भाषा पर इस समय परतें चढ़ी हुई है। झूठ की। सत्य कहीं खो गया है। सत्य की अभी पूरी तरह से हत्या नहीं हुई है। मगर सत्य की हत्या होते देर नहीं लगेगी। हां जब तक मैं हूं सत्य की हत्या नहीं होने दूंगा। सत्य हमेशा जीतेगा। इसलिए आपको मैं इतना आश्वास्त करना चाहूंगा कि भारत के अभ्युत्थान का समय निकट है। इससे पहले घना अंधकार छाएगा। निराशा पराकाष्ठा पर होगी। लेकिन सुबह तो सुहानी आनी ही है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। अगला लीडर देश का कौन होगा? कौन तारणहार होगा? अभी देखते जाओ। प्रकृति अपने रूप बदल रही है। आपके प्रिय नेता अप्रिय हो जाएंगे। अप्रिय नेता प्रिय हो जाएंगे। यह समय संधी काल का है। जो जितनी राजनीति करेगा, राजनीति उसे अपनी आगोश में ले लेगी। जो तोड़ने की राजनीति करेगा, वह खुद टूट जाएगा। इसलिए इस भारत भूमि में सत्य एक नई परिभाषा लेकर सामने आएगा। भारत का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है। वह दुनिया की ताकत बनेगा। लेकिन इससे पहले दुनिया में संकट के बादल छाएंगे। हर ओर अंधकार, हिंसा का तांडव नृत्य होगा। भारत की भूमिका बढ़ने वाली है। भारत ही अब दुनिया का नेतृत्व करेगा। विकास जब अपनी पराकाष्ठा पर होता है तो विनाश अपनी गठरी चुपके से खोल देता है। यही इस समय होने वाला है। दुनिया ने तरक्की और तकनीक तो खूब अर्जित कर ली मगर नैतिक पतन हो गया है। जब तक नैतिकता का विकास नहीं होगा, सारा विकास क्षण भर में नष्ट हो जाएगा।
आपसे बातें तो बहुत करना चाहता हूं। मगर अब मेरे विदा लेने का वक्त आ गया है। अब आपसे फिर कब संवाद होगा। मैं खुद नहीं जानता। हो सकता है जल्द आपसे संवाद हो। यह भी संभव है कि साल दो साल भर फिर आपसे संवाद ना हो पाए। मगर इतना आश्वस्त करता हूं कि जब जब भारत भूमि पर संकट आएगा। मैं आपसे संवाद अवश्य करूंगा। क्योंकि भारत भूमि ही मेरी भूमि है। मैं भारत का पुत्र हूं। तुम मुझे ढूंढ़ने की कोशिश मत करना। मुझे जब भी तुमसे संवाद करना होगा। मैं खुद ही कर लूंगा। अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।