हीटवेव से 40 साल के युवक की महात्मा गांधी अस्पताल में मौत
हीटवेव के कहर के बीच जोधपुर में रविवार को 40 साल के युवक की मौत…प्रशासन और सरकार शायद इसे भी नहीं मानेगा…बेशक ना माने, लेकिन सच्चाई सौ तालों में भी नहीं छुप सकती, आग उगलती गर्मी में जब प्रशासन और सरकार का कोई रिश्तेदार दम तोड़ेगा तब भी यही रवैया रहेगा?…
डीके पुरोहित. जोधपुर
दस दिन से ज्यादा हो गया मारवाड़ तप रहा है। भट्ठी की तरह। बात जोधपुर की करें। पारा 46 से 47 और उसके भी पार चला गया।अभी नौतपा चल रहा है। ये पंक्तियां लिखी जा रही है तब सुबह के 11:48 बजे ही ऐसी गर्मी है जैसे दोपहर के एक दो बज गए हो। राज्य सरकार, प्रशासन भीषण गर्मी के कहर को तो स्वीकार कर रहा है, मगर गर्मी से होने वाली मौतों को स्वीकार नहीं करते? कैसी विड़ंबना है इस प्राकृतिक आपदा में जान जाने को अपनी प्रशासनिक विफलता कहीं मान ना लिया जाए इस डर से सच को सच ना स्वीकारना क्या मजबूरी हो सकती है? सरकारी तंत्र ऐसा ही होता है। उसे प्राकृतिक आपदा में भी अपना सफलता-असफलता का गुमान और गरिमा सताती है।
प्रशासनिक अमला तो होता ही पूंछ हिलाऊ है इसलिए उससे संवेदना, सच्चाई की उम्मीद बेमानी है। आज एक समाचार पत्र ने गर्मी से आठ लोगों की मौत का कच्चा चिट्ठा खोल कर प्रशासन और राज्य सरकार के सामने रख दिया। इन आठ लोगों में से अधिकतर का इलाज घर पर देसी तरीके से किया गया और कुछ की अस्पताल से घर लाने के बाद मौत हो गई। अभी ये मामला थमा ही नहीं था कि रविवार को 40 साल के कमठा मजदूर घेवरराम पुत्र चौथाराम सिंगरवाल की गर्मी से मौत हाे गई। मृतक के परिजन सुखदेव प्रजापत सिंगरवाल ने बताया कि बायपास रोड झालामंड निवासी घेवरराम की शनिवार की रात तबीयत अचानक बिगड़ गई। लू लगने, शरीर ज्यादा गर्म होने और हीटवेव के चलते उसे महात्मा गांधी अस्पताल ले जाया गया। जहां पर उसका दो से तीन घंटे इलाज चला। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। राइजिंग भास्कर ने सुखदेव सिंगरवाल से बात करनी चाही तो उन्होंने बताया कि अभी दाह संस्कार चल रहा है फ्री होकर बात करते हैं। अब बात करके भी क्या हो जाएगा? प्रशासन और सरकार के पास अपनी दलीलें कम थोड़े ही है। हीटवेव के कहर के बीच जोधपुर में रविवार को 40 साल के युवक की मौत…प्रशासन और सरकार शायद इसे भी नहीं मानेगा…बेशक ना माने, लेकिन सच्चाई सौ तालों में भी नहीं छुप सकती, आग उगलती गर्मी में जब प्रशासन और सरकार का कोई रिश्तेदार दम तोड़ेगा तब भी यही रवैया रहेगा?…इन्हीं के परिवार में पुखराज सिंगरवाल पुत्र भंवरलाल सिंगरवाल, निवासी सिंगर वालों की ढाणी, बायपास रोड झालामंड की मृत्यु भी 23 मई को गर्मी से होना बताया जा रहा है।
गर्मी तो सरकार और प्रशासन को चढ़ी हुई है…
प्रकृति तो आग बरसा ही रही है। मगर लगता है गर्मी सरकार और प्रशासन को चढ़ी हुई है। यही वजह है कि गर्म दिमाग का प्रशासन और सरकार आमजन को राहत के छीटें नहीं दे पा रहे हैं। बिजली कटौती कम होने का नाम नहीं ले रही। हार्ट पैंशेंट के लिए कुछ पल गर्मी में बिताना कितना मुश्किल हो सकता है, इसकी कल्पना ही की जा सकती है, मगर एसी रूम में बैठने वाले अफसर और नेता कब आम जनता की तकलीफ समझेंगे। एक अखबार के फलोदी संस्करण में आज ही एक खबर छपी है जिसमें लिखा है कि 45 गांवों में 30 किलोमीटर तक पानी नहीं मिल रहा। इस भीषण गर्मी में इससे बड़ी कोई खबर क्या होगी? आजादी के 75-80 सालों में हम गांवों को पानी नहीं पिला पा रहे, इससे बड़ी हमारी विफलता क्या होगी? किस युग के विकास के दावे किए जा रहे हैं? किस आधुनिकता और टेक्नोलॉजी का हम दम भर रहे हैं? संवेदनाओं की नौटंकी करना अलग बात है और नौतपे में लोगों का दर्द समझना अलग बात। यहां तो सीएम से लेकर मंत्री अपने चातुर्य से संवेदना का ऐसे प्रदर्शन कर रहे हैं जैसे सारा दर्द वे ही बांट रहे हैं। अगर ऐसा है तो प्राकृतिक आपदा में हीटवेव से होने वाली मौतों के सच को स्वीकारने में शर्म क्यों आ रही है? आम पब्लिक तो अपने परिजनों को वैसे ही खो रही है, फिर कौनसा हीटवेव के बदले वो अपने परिजनों की मौत का करोड़ों रुपयों का मुआवजा मांग रही है। मगर सरकार और प्रशासन तो मौतों को पहले से बीमारी का जामा पहनाकर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसे क्रूर और गैर जिम्मेदाराना प्रशासन और सरकार को क्यों इतना सिर चढ़ाया जाए। मीडिया को जहां बोलना चाहिए वहां इनका महिमा मंडन किया जाता है। अब समय आ गया है कि पूंछ हिलाऊ प्रशासन को उसका आइना दिखाया जाए। आईएएस और आरएएस अफसर नेताओं की बनी लकीरों से अपनी भाग्य लकीरें बनना मान रहे हैं। जबकि वे दिन रात मेहनत और पढ़ लिखकर इस मुकाम को हासिल करते हैं। उन्हें अपनी प्रतिभा से ज्यादा अपने आकाओं पर भरोसा क्यों होता है? क्यों डर लगता है नेताओं से? ट्रासंफर ही तो कर देंगे। प्रमोशन ही तो रोक देंगे। मलाईदार पोस्ट ही तो नहीं देंगे। लेकिन जो जिम्मेदारी अफसरों आपको मिली है कम से कम उससे तो मुंह मत मोड़ो। लगता है प्रकृति की गर्मी सारी आपके दिमाग पर चढ़ गई है। यही वजह है कि आपको गर्मी से होने वाली मौतें भी नहीं दिख रही।
