(हुक्का बार फाइल फोटो)
पुलिस कमिश्नर साहब जनता जवाब मांग रही-
हुक्का बार संचालकों को चेतावनी दे क्यों छोड़ा, बंद क्यों नहीं किए, संचालकों पर जुर्माना लगा जेल क्यों नहीं भेजा
डीके पुरोहित. जोधपुर
पुलिस कमिश्नर राजेंद्रसिंह ने जोधपुर में पदभार संभालने के बाद एक के बाद एक दर्जनों हुक्का बार पर दबिश दी। लेकिन पुलिस के आला अधिकारी भूल गए कि राजस्थान में हुक्का बार पर 2019 में ही पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिर ये हुक्का बार कैसे चल रहे हैँ? पुलिस केवल हुक्का बार तक ही सीमित रही। जबकि अपराधी खुले घूम रहे हैं और बदमाश निरंकुश हो गए हैँ। खुद मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि जोधपुर में बदमाश निरंकुश हो गए हैँ। जबकि पुलिस स्पॉ और हुक्का बार पर ही गुस्सा निकालती रही। जब राइजिंग भास्कर ने दो दिन पहले लिखा कि पुलिस केवल स्पॉ-हुक्का बार के पीछे पड़ी है तो पुलिस कमिश्नर ने फिर अखबारबाजी की और तर्क दिया कि हुक्का बार पर गांजा और स्मैक सप्लाई हो रहा है। अगर ऐसा है तो वाकई यह चिंता की बात है। मगर पुलिस अब तक हुक्का बार को बंद क्यों नहीं करवा पाई, जबकि हुक्का बार पर पूरी तरह से राजस्थान में प्रतिबंध लगाया जा चुका है। 2019 में सरकार ने राजस्थान में हुक्का बार पर कानूनन पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। पहले पढिए यह खबर-
जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) में हुक्का बार (Hookah Bar) पूरी तरह से प्रतिबंध (Ban) कर दिये गये हैं। पहले भी हुक्का बार बंद किये गये थे, लेकिन हाईकोर्ट (High Court) की राहत के बाद कुछ नियमों की पालना का हवाला देते हुए हुक्का बार चलाये जा रहे थे. लेकिन अब राजस्थान में हुक्का बार नहीं चल सकेंगे। राजस्थान में कोटपा एक्ट (Kotpa Act) के तहत नये नियम बनाये गये हैं। इनमें हुक्का बार शब्द को भी अलग से परिभाषित (Defined) किया गया है। इन नये नियमों का हवाला देते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नरेट (Jaipur Police Commissionerate) ने साफ कर दिया कि राजधानी जयपुर में अब एक भी हुक्का बार संचालित नहीं होने दिया जायेगा।
अब हुक्का बार का संचालन संज्ञेय व दण्डनीय अपराध होगा
वर्ष 2003 में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद को लेकर कोटपा एक्ट बनाया गया था। राजस्थान विधानसभा ने 2019 में वर्तमान समय की आवश्यकताओं को देखते हुए इसमे संशोधन किया गया था। उसके बाद इसी साल 21 जनवरी को इस अधिनियम का राजपत्र जारी कर दिया गया। इस अधिनियम के लागू होने के साथ ही जयपुर पुलिस कमिश्नरेट ने भी राजपत्र के नियमों का हवाला देते हए नई गाइड लाइन जारी कर दी है। अब हुक्का बार का संचालन संज्ञेय व दण्डनीय अपराध होगा।
कोटपा एक्ट में नयी धारा 4-ए जोड़ी
एडिशनल डीसीपी अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि संसोधित कोटपा अधिनियम में कई महत्वपूर्ण संशोधन किये गये हैं। कोटपा एक्ट में पहली बार ‘हुक्का बार’ शब्द को परिभाषित करते हुए बताया गया है कि यह एक ऐसा स्थान है जहां पर लोग हुक्के या नारगिल से तंबाकू का धूम्रपान करने के लिए एकत्रित होते हैं। कोटपा एक्ट में नयी धारा 4-ए जोड़ते हुए लिखा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान या भोजनालय पर हुक्का बार नहीं खोल सकता। इसके अलावा किसी भी रेस्टोरेंट में भी तंबाकू उत्पाद का सेवन करने पर रोक लगा दी गयी है।
एक साल से 3 साल तक की जेल भी होगी
कोटपा एक्ट के तहत बनाये नियमों को तोड़ने पर पहले मात्र 200 रुपये का जुर्माना होता था, लेकिन अब इसे ढाई सौ गुना बढ़ा दिया गया है। अब अगर कोई कोटपा एक्ट का उल्लंघन करता है तो उसे 50 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा। इतना ही नहीं अब नियम तोड़ने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। इसमें एक साल से 3 साल तक की जेल भी होगी।
सभी थाने नये नियमों के तहत ही कार्रवाई करेंगे
इन नियमों को लेकर जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की ओर से सभी थानों को निर्देशित किया जा चुका है। इसकी मॉनिटरिंग कमिश्नरेट स्तर पर की जा रही है। अब से सभी थाने नये नियमों के तहत ही कार्रवाई करेंगे। कमिश्नरेट की ओर से सीएसटी टीम को भी जयपुर में चल रहे हुक्का बारों को चिह्नित करने के निर्देश दिये गये हैं।
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पुलिस हुक्का बार से कर रही हफ्ता वसूली, अगर नशे के अड्डे हैं तो बंद क्यों नहीं हो रहे?
ये थी हुक्का बार से संबंधित खबर… अब मुद्दे पर आते हैं। दरअसल हुक्का बार कानूनन अब चलाए नहीं जा सकते। लेकिन जोधपुर में दर्जनों हुक्का बार चल रहे हैं। पुलिस को भी इसकी न केवल जानकारी है, वरन उसकी नाक नीचे हुक्का बार चल रहे हैं। पुलिस इन हुक्का बार से हफ्ता वसूली कर उन्हें चलने की इजाजत दे रही है। कानूनन हुक्का बार चल ही नहीं सकते। न तो उन्हें लाइसेंस मिल सकते और न ही कोई हुक्का बार चला सकता है। पुलिस हुक्का बार से सामग्री और फ्लेवर जब्त करने तक कार्रवाई करती है, जबकि शहर में संगठित अपराध बढ़ गए हैं। अब जबकि पुलिस मान रही है कि हुक्का बार में गांजा और स्मैक सप्लाई होता है तो पुलिस इन हुक्का बार के मालिकों को को जेल क्यों नहीं भेजती। लाखों रुपए का जुर्माना क्यों नहीं लगाती। हमेशा हमेशा के लिए इन हुक्का बार को बंद करवाने की बजाय उनके मालिकों को चेतावनी देकर क्यों छोड़ रही है? आखिर इन हुक्का बार से पुलिस का क्या रिश्ता है? क्यों पुलिस हुक्का बार मालिकों पर रहम खा रही है? क्यों गैर कानूनी रूप से चल रहे हुक्का बार को बंद नहीं किया जाता? पुलिस का कहना है कि हुक्का बार में गांजा-स्मैक सप्लाई होता है। अगर वाकई ऐसा हो रहा है तो पुलिस अब तक लापरवाह क्यों बनी रही? क्यों नहीं हुक्का बार के संचालकों पर मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया? आखिर इन हुक्का बार में गांजा-स्मैक सप्लाई होता है तो पुलिस ने अब तक इन हुक्का बार से कितना स्मैक गांजा पकड़ा? कितने संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया? कितनों को सजा हुई? दरअसल पुलिस अपनी विफलता छुपा रही है। शहर में एमडी ड्रग्स जैसा खतरनाक नशा करोड़ों रुपयों की तादाद में बिकता रहा और पुलिस कमिश्नर हुक्का बार पर दबिश देकर अपनी वाह-वाही लूटते रहे। अखबार भी पुलिस कमिश्नर को बढ़ा चढ़ाकर छापते रहे। यही नहीं कई अखबार तो पुलिस कमिश्नर की गोद में बैठकर खबरें लिखते रहे। कहीं कोई सवाल नहीं, कहीं कोई उत्तर नहीं। जो पुलिस कमिश्नर बताते हैं वही अखबारों में छपता है।
शहर में होटलों, क्लबों, रेस्टोरेंटों में चल रहे सैकड़ों गैर कानूनी बीयर और शराब बार
अभी तक हम बात अवैध रूप से चल रहे हुक्का बार की कर रहे थे। अब होटलों, क्लबों व रेस्टोरेंटों में चल रहे सैकड़ों गैर कानूनी बीयर और शराब के बार पर आते हैं। जोधपुर ही नहीं पूरे राजस्थान में गैर कानूनी बार चल रहे हैं। कई संचालकों के पास न लाइसेंस है, न ही वे नियमानुसार फीस चुकाते हैं और न ही उनके पास एनओसी है और न ही अग्निशमन यत्र हैं। बिना सक्षम अनुमति के ये बार चल रहे हैं, जबकि पुलिस की इन सबसे हफ्ता वसूली होती है और खुद पुलिस के आला अफसर इन बार में जाकर मजे करते हैं।
राजस्थान में शराब और बीयर बार खोलने के ये हैं नियम
नियमानुसार बार के लिए लाइसेंस जरूरी है। यह एक कानूनी प्राधिकरण या परमिट है जो संबंधित सरकारी अधिकारियों द्वारा दिया जाता है, जो किसी व्यक्ति या संस्था को किसी विशिष्ट स्थान पर बार व्यवसाय संचालित करने की अनुमति देता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बार कानून के अनुपालन में संचालित होता है और निर्धारित नियमों और मानकों को पूरा करता है, यह लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।
क्या कहता है राजस्थान आबकारी अधिनयम
राजस्थान आबकारी अधिनियम के प्रावधानों के तहत राजस्थान बार लाइसेंस अनिवार्य है। यह अधिनियम शराब के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को नियंत्रित करता है जिसमें स्पिरिट, लिकर, तरी, पचावर, बीयर, आईएमएफ और अल्कोहल से बने सभी तरल पदार्थ शामिल हैं। बीयर में एले, स्टाउट, पोर्टर और माल्ट से बने सभी अन्य किण्वित शराब शामिल हैं। आईएमएफएल का मतलब है भारत में बनी विदेशी शराब, यानी भारत में बनी विदेशी शराब।
बार लाइसेंस का महत्व
राजस्थान में बार लाइसेंस प्राप्त करने के कुछ महत्व यहां बता रहे हैं-
- बार लाइसेंस का उपयोग शराब की अनावश्यक बिक्री को कम करने के लिए किया जाता है तथा ड्रग लाइसेंस व्यवस्था की निगरानी के लिए प्रदान किए जाते हैं।
- किसी भी व्यक्ति द्वारा राजस्थान सरकार द्वारा जारी औषधि लाइसेंस के बिना मादक मदिरा का निर्माण, वितरण या विक्रय करना गैर कानूनी है।
- शराब की बिक्री को विनियमित करने तथा राज्य में स्वास्थ्य और शांति बनाए रखने के लिए शराब की बिक्री पर निगरानी रखने की आवश्यकता है, इसलिए ड्रग लाइसेंस आवश्यक है।
बार लाइसेंस का वर्गीकरण
राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1973 के अनुसार, राजस्थान औषधि लाइसेंस को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- रेस्तरां बार लाइसेंस
- क्लब बार लाइसेंस
- होटल बार लाइसेंस
रेस्टोरेंट बार लाइसेंस – रेस्टोरेंट लाइसेंस का मतलब है बीयर, वाइन और रेडी टू ड्रिंक शराब की बिक्री के लिए रिटेल लाइसेंस जो रेस्टोरेंट को दिया जाता है, जो रेस्टोरेंट परिसर में ग्राहकों को पीने के लिए बेचता है। रेस्टोरेंट बार लाइसेंस राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1973 के तहत जारी किया जाता है।
क्लब बार लाइसेंस– क्लब बार लाइसेंस का मतलब है क्लब को उसके वास्तविक सदस्यों को क्लब परिसर में पीने के लिए विदेशी शराब की खुदरा बिक्री के लिए दिया गया लाइसेंस। क्लब बार लाइसेंस और होटल बार लाइसेंस राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के तहत जारी किया जाता है।
होटल बार लाइसेंस– होटल बार लाइसेंस से अभिप्राय विदेशी मदिरा की बिक्री के लिए परमिट पर खुदरा बिक्री से है, जो किसी होटल को दी जाती है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तथा भारतीय पर्यटकों और आगंतुकों को मदिरा परोसने के लिए निर्धारित कमरे में या होटल के ऐसे अन्य भाग में, जैसा कि राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित हो, मदिरा की बिक्री करती है।
बुनियादी आवश्यकताएं
मानक रेस्तरां बार की आवश्यकता
रेस्तरां का मतलब है कोई भी जगह जहां आम जनता को खाने-पीने की चीज़ों के सेवन के लिए प्रवेश दिया जाता है। बेहतरीन क्वालिटी वाले रेस्तरां में बीयर, वाइन और रेडी टू ड्रिंक शराब बेची जा सकती है:
- रेस्तरां बार का न्यूनतम वार्षिक टर्नओवर 10 लाख रुपये कर योग्य होना चाहिए और टर्नओवर आय 5 लाख रुपये होनी चाहिए
- बार में एसी सुविधा होनी चाहिए
- बार का न्यूनतम स्थान 800 वर्ग फीट होना चाहिए और इसमें लगभग 40 लोगों के बैठने की क्षमता होनी चाहिए
- बार में पुरुष और महिला के लिए उचित शौचालय की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए
- रेस्तरां बार में केवल बीयर ही बिकेगी
- रेस्तरां बार 18 वर्ष से कम आयु के लोगों को बीयर/वाइन/रेडी टू ड्रिंक नहीं बेचेगा
होटल बार के लिए आवश्यकता
होटल से तात्पर्य राजस्थान सरकार एवं भारत सरकार के पर्यटन विभाग एवं होटल कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित समस्त पर्यटक बंगले एवं होटल से है।
कम से कम बीस शयन कक्षों वाले ऐसे होटल, जिन्हें भारत सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा कम से कम दो सितारा होटल घोषित किया गया हो, को भी बार लाइसेंस लेना होगा।
हेरिटेज होटल
होटल बार लाइसेंस रखने वाले हेरिटेज होटल, राजस्थान राज्य गंगानगर शुगर मिल्स लिमिटेड द्वारा उत्पादित हेरिटेज शराब की खुदरा बिक्री कर सकते हैं। इसके लिए राजस्थान राज्य आबकारी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन किया जा सकता है।
क्लब बार के लिए आवश्यकता
क्लब बार को आगे सिविल क्लब और वाणिज्यिक क्लब के रूप में वर्गीकृत किया गया है
सिविल क्लब बार
सिविल क्लब का अर्थ है सामाजिक, मनोरंजक उद्देश्यों के लिए या लाभ कमाने की मंशा के बिना संयुक्त खर्च पर किसी सामान्य उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम सौ व्यक्तियों का संगठन और राजस्थान सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1958 के तहत विधिवत पंजीकृत होना। सिविल क्लब में निम्नलिखित सुविधाएं होनी चाहिए:
- स्विमिंग पूल
- शारीरिक व्यायाम उपकरण युक्त व्यायामशाला
- बैडमिंटन हॉल/स्क्वैश कोर्ट
- बिलियर्ड्स/पूल टेबल
- कार्ड रूम
- लॉन टेनिस कोर्ट
कमर्शियल क्लब बार
कमर्शियल क्लब बार का मतलब है एक विधिवत पंजीकृत कंपनी या फर्म, व्यवसाय और मनोरंजन के उद्देश्य से व्यक्तियों का कोई संगठन या संघ जिसमें कम से कम सौ सदस्य हों। कमर्शियल बार को संचालित करने के लिए, इसमें निम्नलिखित सुविधाएं होनी चाहिए:
- स्विमिंग पूल
- शारीरिक व्यायाम उपकरण युक्त व्यायामशाला
- बैडमिंटन हॉल/स्क्वैश कोर्ट
- बिलियर्ड्स/पूल टेबल
- कार्ड रूम
- लॉन टेनिस कोर्ट
पात्रता मापदंड
कोई भी व्यक्ति जो ऊपर परिभाषित अनुसार क्लब/होटल/रेस्तरां का मालिक है और चलाता है, राजस्थान बार लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकता है।
निम्नलिखित व्यक्तियों को बार लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा
- राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 या अफीम अधिनियम, 1878 के तहत किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया व्यक्ति बार लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए पात्र नहीं है।
- यदि किसी व्यक्ति को किसी आपराधिक न्यायालय द्वारा किसी गैर-जमानती अपराध के लिए दोषी पाया जाता है तो उसे राजस्थान बार लाइसेंस प्रदान नहीं किया जाएगा।
- यदि किसी ऐसे व्यक्ति पर उत्पाद शुल्क का कोई बकाया है जो होटल/क्लब/रेस्तरां का मालिक है और उसे चलाता है तो वह बार लाइसेंस पाने के लिए पात्र नहीं है।
- राजस्थान बार लाइसेंस 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को जारी नहीं किया जाएगा।
विहित प्राधिकारी
राजस्थान राज्य आबकारी विभाग के आबकारी आयुक्त राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950 के प्रावधानों के अनुसार बार लाइसेंस प्रदान करते हैं।
वैधता
उड़ीसा राजस्थान आबकारी अधिनियम, 1950/1975 के तहत प्रदान किया गया राजस्थान बार लाइसेंस उस वर्ष की 31 मार्च को वैध होगा, जिसमें बार लाइसेंस जारी किया गया है।
लागू शुल्क
होटल बार/क्लब बार/रेस्तरां बार लाइसेंस के लिए आवेदन करने हेतु आवेदक को निर्धारित प्रारंभिक लाइसेंस राशि का भुगतान करना होगा। रेस्तरां बार लाइसेंस के लिए जोधपुर और जयपुर में नगरपालिका या शहरी सीमा के भीतर रेस्तरां के लिए 1 लाख रुपए लाइसेंस शुल्क है। होटल बार लाइसेंस के लिए तीन से पांच सितारा होटल व लग्जरी ट्रेन के लिए 1 लाख रुपए लाइसेंस शुल्क है। हेरिटेज होटल के लिए ए से सी श्रेणी के लिए 2 लाख रुपए लाइसेंस शुल्क है। अन्य होटल के लिए 3 लाख रुपए शुल्क निर्धारित है। सिविल क्लब लाइसेंस के लिए 1 लाख रुपए शुल्क निर्धारित है। कमर्शियल क्लब बार के लिए 2 लाख रुपए शुल्क निर्धारित है।
राजस्थान में बार लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज
राजस्थान में बार लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आमतौर पर निम्नलिखित दस्तावेज प्रदान करने होंगे:
- आवेदन फार्म
- सबूत की पहचान
- पते का प्रमाण
- निगमन दस्तावेज़ (यदि लागू हो)
- परिस्थिति योजना
- अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी)
- स्वास्थ्य और अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र
- उपक्रम
- शपथ पत्र
- पासपोर्ट आकार के फोटो
- स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार कोई भी अतिरिक्त दस्तावेज़ (जैसे, पुलिस सत्यापन प्रमाणपत्र, आयकर रिटर्न, बैंक स्टेटमेंट)।
राजस्थान में बार और लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया
चरण 1: राजस्थान में बार शुरू करने के इच्छुक व्यक्ति को बार लाइसेंस जारी करने के लिए उस जिला आबकारी अधिकारी को निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसके अधिकार क्षेत्र में बार संचालित करने का प्रस्ताव है।
डीईओ द्वारा सत्यापन
चरण 2: संबंधित जिला आबकारी अधिकारी आवेदन पर हस्ताक्षर करेगा तथा आवेदन प्राप्ति की तिथि और कारण को निर्धारित प्रारूप में रजिस्टर में दर्ज करेगा। जिला आबकारी अधिकारी आवेदक को आवेदन के बारे में सूचित करेगा।
भुगतान करें
चरण 3: यदि जिला आबकारी अधिकारी आवेदन स्वीकार कर लेता है, तो आवेदक को अधिसूचना की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर भुगतान करना होगा।
चरण 4: प्रारंभिक शुल्क और प्रक्रिया शुल्क राजस्थान राज्य कोषागार में जमा करना होगा, और कोषागार द्वारा उपलब्ध कराई गई चालान प्रति आवेदन के साथ संलग्न करनी होगी।
साइट सत्यापन
चरण 5: आवेदन प्राप्त होने पर, जिला द्वारा नियुक्त राजस्थान राज्य आबकारी विभाग के अधिकारियों की एक टीम द्वारा दस्तावेज़ सत्यापन और साइट निरीक्षण किया जाएगा। चरण 6: आबकारी अधिकारी। टीम उस परिसर के स्थान का निरीक्षण करेगी जहाँ विदेशी शराब संग्रहीत की जाएगी और उन काउंटरों का जहाँ इसे बेचा जाएगा।
चरण 7: जिला आबकारी अधिकारी अपनी अनुशंसा के साथ आवेदन को आबकारी आयुक्त को अग्रेषित करेगा।
नोट: जिला निर्वाचन अधिकारी यह भी नोट करेंगे कि आवेदक राजस्थान औषधि लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किसी विकलांगता से ग्रस्त है या नहीं।
आबकारी आयुक्त द्वारा सत्यापन
चरण 8: आबकारी आयुक्त पुनः जिला आबकारी अधिकारी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों एवं अनुशंसा का सत्यापन करेंगे। संतोषजनक परिणाम मिलने पर राजस्थान बार लाइसेंस जारी किया जा सकेगा।
नोट: आवेदन अस्वीकार होने की स्थिति में, आवेदक को ऊपर वर्णित प्रक्रिया के अनुसार आवश्यकताओं का विधिवत अनुपालन करते हुए नया आवेदन करना होगा।
राजस्थान ड्रग लाइसेंस प्राप्त करें
चरण 9: राजस्थान ड्रग लाइसेंस संबंधित व्यायाम विभाग कार्यालय से प्राप्त किया जा सकता है। आवेदन संख्या प्रदान करें और अपना राजस्थान ड्रग लाइसेंस प्राप्त करें।
राजस्थान बार लाइसेंस
शादी, जन्मदिन और नए साल जैसे अवसरों पर आईएमएफएल या बीयर की कभी-कभार बिक्री या कब्जे (अनुमेय सीमा से परे) के लिए भी बार लाइसेंस दिए जा सकते हैं। इस तरह के लाइसेंस की दो श्रेणियां हैं:
- उपभोग के लिए लाइसेंस
- बिक्री के लिए लाइसेंस
जोधपुर में पुलिस की मिलीभगत से शराब माफिया हावी, क्लबों, होटलों और रेस्तरां में गैर कानूनी रूप से बिक रही शराब-बीयर
जोधपुर में शराब माफिया हावी है। इनका कोई कुछ नहीं कर रहा। पुलिस केवल हफ्ता वसूली में जुटी हुई है। शहर में कई क्लबों, होटलों और रेस्तरां में नियम विरुद्ध बार चल रहे हैं। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। ऊपर हमने बार को लेकर विस्तार से नियम, प्रक्रिया और कानूनी पहलू बताए हैं। मगर इनका पालन नहीं हो रहा। खुद पुलिस के आला अफसर इन क्लबों, होटलों और रेस्तरां में मजे करते हैं।
शहर और शहर के आसपास शराब माफिया का आतंक है। रात आठ बजे के बाद भी शराब बिक रही है। होटलों, क्लबों और रेस्तरां मे में भी एक निश्चित समय तक शराब और बीयर पिलाई जा सकती है, मगर पुलिस की मिलीभगत से ऐसा कोई नियम नहीं चल रहा। सब जगह नियमों की अनदेखी की जा रही है। जहां तक दुकानों की बात है खुल्लेआम रात 8 बजे के बाद शराब बिकती है। खुद पुलिस की नाक नीचे ऐसा हो रहा है, छोटे मोटे सभी शराब माफिया खुले में रात आठ बजे के बाद शराब बेच रहे हैं। कई होटल मालिकों, रेस्तरां मालिकों और क्लब संचालकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं फिर भी उन्हें लाइसेंस दिया गया है। यही नहीं कई जगह तो बगैर लाइसेंस ही शराब बीयर परोसी जा रही है। कई जगह लाइसेंस को रिन्यू ही नहीं करवाया गया। पुलिस के पास न तो ऐसे क्लबों, होटलों और रेस्तरां का कोई रिकॉर्ड है और न ही आबकारी विभाग कोई कार्रवाई करता। पुलिस और आबकारी विभाग दोनों मिलकर हफ्ता वसूली में जुटे हैं और शराब और नशे का कारोबार फलफूल रहा है।
