डीके पुरोहित का एक गीत
गीतों को पहनाएंगे कफन अपने हाथों से गीतों को पहना कर कफन मेहंदी को माटी में सौ बार करेंगे दफन तब कोई कुर्सी रास्ता छोड़ेगी शेखर-सुभाष की जमीं पर भागांवाला राजगुरु बनेंगे वतन को बचाना है फिर से तो कसम से हम फिर तनेंगे अपनी ही मौत को खुद भेजेंगे हम समन खुदगर्ज माली के … Read more