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श्री जागृति संस्थान के “मधुर स्वर लहरियां” कार्यक्रम में गीतों-गजलों ने तन्हाई दूर की, बांसुरी ने संगीत का झरना बहाया

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पंकज जांगिड़. जोधपुर

श्री जागृति संस्थान की ओर से नेहरू पार्क स्थित डॉ. मदन सावित्री डागा भवन में “मधुर स्वर लहरियां” कार्यक्रम आयोजित हुआ।संस्थान के सचिव हर्षद सिंह भाटी ने बताया कि कार्यक्रम संस्थान के अध्यक्ष राजेश भेरवानी की अध्यक्षता और वरिष्ठ लोक कलाकार व भजन गायक एवं गीतकार कालूराम प्रजापति तथा संस्थान के वरिष्ठ सदस्य व संरक्षक ओमप्रकाश वर्मा की मेजबानी में आयोजित हुआ। जिसमें वरिष्ठ लेखक व कवयित्री वीणा अचतानी, आशा पराशर, नीलम व्यास, राजेंद्र खींवसरा व उत्तम जांगिड़ मंचासीन रहे।

कार्यक्रम में गीतों-गजलों ने तन्हाई दूर की। वहीं राजेंद्र शाह के बांसुरी वादन ने संगीत का झरना प्रवाहित किया। 30 से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। मंच संचालन राजन वैष्णव ने किया। संस्थान के संस्थापक दिलीप कुमार पुरोहित ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान का संक्षेप परिचय दिया।

राखी पुरोहित ने आओ मिलो मेरे गीतों से… गीत सुनाया और सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। ओमप्रकाश वर्मा ने हास्य की कई रचनाएं सुनाकर वाह-वाही लूटी। आशा पाराशर ने नारी सशक्तिकरण को शब्द दिए। वीना अचतानी ने जीवन का सार चंद शब्दों में अभिव्यक्त किया। उत्तम जांगिड़ ने पिता-पुत्र के रिश्तों पर आज के संदर्भ में कविता सुनाई। राजेंद्र खींवसरा की रचना ने कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की। वरिष्ठ भजन गायक एवं गीतकार कालूराम प्रजापति ने कई हिंदी व राजस्थानी रचनाएं सुनाकर दाद लूटी। नीलम व्यास ‘स्वयंसिद्धा’ की मां पर आधारित कविता खूब पसंद की गई। हर्षद सिंह भाटी ने श्राद्ध पक्ष पर पितरों पर आधारित कविता सुनाई। रजनी अग्रवाल ने कुछ दोहे सुनाए। श्याम गुप्ता शांत ने बोतल बयालिसा कविता के माध्यम से बोतल की व्याख्या दार्शनिक अंदाज में की। संदीप चौधरी की रचना खूब पसंद की गई। अशफाक अहमद फौजदार ने अपनी रचना के माध्यम से जीवन के झंझावतों से संघर्ष को शब्द दिए। भीमराज सैन की राजस्थानी कविता सराही गई। लीला दीवान ने अपनी रचना के माध्यम से समय के सच को रेखांकित किया। एडवोकेट एनडी निंबावत ने राजस्थानी गीत के माध्यम से समां बांध दिया। जेके माहेश्वरी ने कहानी सुनाई। दीपा परिहार की हिंदी व राजस्थानी गजल को सराहना मिली। महेश कुमार पंवार ने शब्दों के माध्यम से कविता की गरिमा को अभिव्यक्त किया। संजीदा खानम ने नारी की विडंबना पर कविता सुनाई। यशोदा माहेश्वरी ने मैली चादर ओढ़ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊं..और पंकज जांगिड़ ने आराम के क्या क्या साथी, जब वक्त पड़ा तो कोई नहीं…. भजन प्रस्तुत कर सभी को भावविभोर कर दिया। हंसराज हंसा, स्नेहलता जांगिड़, अनिता जांगिड़ ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। संस्थान के अध्यक्ष राजेश भैरवानी ने सभी का आभार जताया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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