एक जाति, एक बस्ती, एक समाज ठान ले तो बदलाव मुश्किल नहीं, पढ़िए ये विशेष रिपोर्ट
सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
जोधपुर ग्रामीण के पीपाड़ तहसील में कापरड़ा के पास स्थित गांव सांसियों की ढाणी बोयल सांसी समाज की एक बस्ती है, जिसमें लगभग 50 घर हैं। यह गांव पहले अत्यंत पिछड़ा हुआ था, जहां अधिकांश लोग चमड़े का काम करते थे। सामान्य धारणा में सांसी समुदाय की एक धूमिल छवि रही है। इस जाति को कचरा बीनने के कार्य में लगा मानते हुए सामाजिक उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता था। विशेष कर गांव क्षेत्र में इन सभी समस्याओं का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। स्थिति यह रहती है कि व्यवसाय व व्यापार स्थापित करने में भी बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
समाज सुधारक एवं समाज के प्रमुख अजय सांसी ने बताया कि इस स्थिति से भी समाज निराश नहीं हुआ। धीरे-धीरे बदलाव आया। गांव के लोगों ने अपने जीवन को बेहतर और समृद्ध बनाने के लिए शिक्षा की ओर ध्यान देना शुरू किया। आज यह गांव शिक्षा और सरकारी सेवाओं में अद्वितीय प्रगति कर रहा है।
इस बदलाव की कहानी लगभग 20 वर्ष पूर्व तब शुरू हुई, जब गांव के दो युवकों ने कठिन संघर्ष के बाद शिक्षा प्राप्त कर सरकारी सेवाओं में प्रवेश किया। एक युवक भारतीय वायुसेना में और दूसरा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) में उच्च पद पर कार्यरत हुआ। इनकी सफलता ने पूरे गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा की और धीरे-धीरे शिक्षा को लेकर गांव में प्रतिस्पर्धा का माहौल बनने लगा।
इसके बाद, गांव की एक बेटी का चयन राजस्थान पुलिस में हुआ। इस सफलता से पूरे गांव में हर्ष की लहर दौड़ गई और शिक्षा का महत्व हर घर में गूंजने लगा। धीरे-धीरे गांव के लोग सरकारी सेवाओं में शामिल होने लगे, जिनमें सीआरपीएफ., बी.एस.एफ. और शिक्षक शामिल हैं। एक ही घर के दो भाइयों का चयन जे.ई.एन. के पद पर हुआ, और एक भाई ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आर.ए.एस.) की परीक्षा भी पास की।
अब, शिक्षा गांव के हर परिवार का मुख्य विषय बन गई है और सांसी समाज के इस गांव को समाज में शिक्षा का आदर्श उदाहरण माना जाने लगा है। वर्तमान में गांव के युवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। गांव में 7 से अधिक युवा स्नातक हैं, कुछ लड़कियां ए.एन.एम. और जी.एन.एम. की पढ़ाई कर रही हैं और 5 लड़कियां बी.एस.सी. कर रही हैं। 10 लड़के और लड़कियां 10वीं और 12वीं कक्षा में अध्ययनरत हैं। 2 बहुएं भी गांव में रहते हुए स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं।
हालांकि गांव का कुछ हिस्सा अभी भी शिक्षा में पीछे है, लेकिन ‘सांसी समाज युवा विकास समिति’ के नेतृत्व में ऐसे लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। इस समिति का नेतृत्व गांव के युवा कर रहे हैं जो समाज के बुजुर्गों और महिलाओं को संगठित कर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का प्रयास कर रहे हैं।
सामाजिक और राजनीतिक प्रगति की ओर भी गांव निरंतर आगे बढ़ रहा है। ग्राम पंचायत में एक महिला वार्ड पंच के रूप में गांव का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और पंचायत स्तर पर क्षेत्र के हित में प्राथमिकता से कार्य कर रही हैं। गांव के युवा खेलों में भी सक्रिय हैं। यहां खो-खो की टीम है, जो विभिन्न स्तरों पर खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर विजयी हो चुकी है।
गांव में समय-समय पर सामाजिक सुधार अभियानों का भी आयोजन किया गया है, जिनमें नशा मुक्ति, सामाजिक कुरीतियों का त्याग और शिक्षा को प्रोत्साहित करने के प्रयास शामिल हैं। राजस्थान सरकार की ‘नवजीवन योजना’ के तहत गांव की महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया है। कई महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं और स्वरोजगार सहायता समूह के रूप में कार्य कर रही हैं। बिलाड़ा सेवा भारती के सहयोग से गांव में बाल संस्कार केंद्र और सिलाई केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहां बच्चों को शिक्षा और संस्कार दिए जाते हैं। बड़ी बालिकाओं को स्वावलंबन के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
गांव के बुजुर्ग और युवा मिलकर समय-समय पर गांव की समस्याओं का समाधान करते हैं और सर्वसम्मति से निर्णय लेते हैं। बोयल गांव की यह कहानी हमें सिखाती है कि शिक्षा और संगठित प्रयास से किसी भी समाज की तस्वीर बदली जा सकती है।
अजय सांसी
समाजसेवी, घुमंतू शोधकर्ता, इतिहासकार और समाज के प्रमुख।
यह गांव हमारे संपूर्ण समुदाय के लिए एक आदर्श के रूप में स्थापित है। इस गांव में हुए बदलाव की गाथा से प्रेरणा लेकर आज हम अपने समुदाय के सभी गांवों और शहरों में कार्य कर रहे हैं। बदलाव संभव है बस भावना में बदलाव होना चाहिए, न कि बदले की भावना। समस्याएं हर जगह होती हैं, परंतु समाधान सामाजिक एकता और सामूहिक प्रयासों से ही आता है। इस गांव के आदर्शों को सामने रखकर हमने अन्य क्षेत्रों में भी कार्य प्रारंभ कर दिया है और धीरे-धीरे इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। आज समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है और शिक्षा से समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। हाँ, शुरुआत छोटी रही, परंतु परिणाम अत्यधिक प्रभावी हो रहे हैं। हम धार्मिक, सामाजिक, व्यावसायिक और राजनीतिक क्षेत्रों में व्यापक रूप से कार्य कर रहे हैं और सफलताओं के नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। यह बदलाव हमें समाज को और भी ऊँचाइयों पर ले जाने में मदद करेगा।
श्रीमती राधा देवी सांसी,
वार्ड पंच, ग्राम पंचायत बोयल
हमारे गाँव की प्रगति का आधार शिक्षा है। हमारे बुजुर्ग और युवा, मातृशक्ति के साथ मिलकर इस गाँव की विकास यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। वर्तमान में, मैं जनप्रतिनिधि के नाते गाँव की शिक्षा और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दे रही हूँ। सबसे बड़ी बात यह है कि इस गाँव की महिलाएँ भी पुरुषों के साथ कदम मिलाकर चल रही हैं और विकास के नए आयाम रच रही हैं।
सुश्री सीमा पोपावत,
शिक्षिका, संस्कार केंद्र, सेवा भारती
मेरा सौभाग्य है कि मैं इस गाँव की बेटी हूँ। मैं स्वयं अध्ययनरत हूँ और गाँव के बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार देने का कार्य कर रही हूँ। हमारा ध्यान खेलकूद पर भी है, ताकि आने वाली पीढ़ी और बेहतरीन कार्य कर सके।
अनिल कमल सांसी,
अध्यक्ष, सांसी समाज युवा विकास समिति, बोयल
शिक्षा ही सभी समस्याओं का समाधान है। हमारे बुजुर्गों के प्रयास को हम आज के समय में आगे बढ़ा रहे हैं। हम शैक्षिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से गाँव की प्रगति के लिए कार्यरत हैं और भविष्य में और भी उत्कृष्ट कार्य करेंगे।
चतराराम पोपावत
“हम पूरे गाँव की बागडोर संयुक्त रूप से संभालते हैं और हर मसले को परिवारिक सलाह-मशवरे से हल करते हैं। गाँव की एकता और आपसी सहयोग से ही हम हर चुनौती का सामना कर पाते हैं। शिक्षा पर हमारा विशेष जोर है, क्योंकि यही वह माध्यम है जिससे हम अपने गाँव और परिवारों को सशक्त बना सकते हैं। हर पीढ़ी को शिक्षित करना हमारा प्रमुख उद्देश्य है, ताकि आने वाले कल में वे बेहतर निर्णय ले सकें और गाँव की उन्नति में योगदान दे सकें।”
तेजाराम पोपावत
“हमारे गाँव ने संघर्ष और सामाजिक कटुता का लंबा सफर तय किया है। कई बार हमारे समाज को उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ा, लेकिन हमने बदले की भावना न रखते हुए हमेशा बदलाव की भावना को अपनाया। शिक्षा को ही हमने सबसे बड़ा साधन माना, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। आज हम शिक्षा के इस कारवां को आगे बढ़ा रहे हैं और हर घर में इसकी महत्ता को समझा रहे हैं, ताकि हमारा गांव और समाज नई ऊँचाइयों को छू सके।”
सुखाराम पोपावत
“महिला शिक्षा हमारे समाज की प्रगति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। जब एक महिला शिक्षित होती है, तो पूरा परिवार और अगली पीढ़ी भी बेहतर दिशा में बढ़ती है। इसके साथ ही धार्मिक गतिविधियों का भी अपना महत्व है, जो हमारे जीवन में संस्कार और आस्था की जड़ें मजबूत करती हैं। परिवार को संयुक्त रूप से रखना और सभी निर्णयों को सामूहिक रूप से लेना हमारी पारिवारिक परंपरा रही है, जो हमें हर मुश्किल घड़ी में एकजुट रखती है और हमें हर कदम पर सही मार्ग दिखाती है।”
बाबूलाल पोपावत
“शिक्षा वह दीपक है, जो अज्ञानता के अंधकार को मिटाता है। हमारे गाँव में आज जो परिवर्तन हुआ है, वह शिक्षा की रोशनी से संभव हुआ है। हमने अपने जीवन में जो कठिनाइयाँ देखी हैं, वह हमारी नई पीढ़ी को न देखनी पड़े, इसलिए हमने शिक्षा को प्राथमिकता दी है।”
शिवकरण पोपावत
“शिक्षा की शुरुआत हम सबसे पहले खुद से करते हैं, फिर धीरे-धीरे इसे अपने परिवार में अपनाते हैं और अंत में पूरे समाज तक इसका प्रसार करते हैं। जब हम खुद जागरूक होते हैं, तो हमारा परिवार भी जागरूक होता है, और यह सकारात्मक बदलाव पूरे गाँव और समाज में फैलता है। शिक्षा ही वह आधार है जो न सिर्फ व्यक्तियों को बल्कि पूरे समुदाय को प्रगति की ओर ले जाती है। हमें इसे हर स्तर पर अपनाना चाहिए, ताकि हम सब मिलकर समाज का कल्याण कर सकें।”