लाख तूफान आया किये राह में,
बन के कोहे गरां वो खड़ा ही रहा।
क़ैदे-हस्ती भी उसको गवारा न थी,
हो के आज़ाद मुल्के-अदम को गया।
-रम्ज़ी इटावी, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर،चिंतक व दबिस्ताने-आज़ाद राजस्थान के संस्थापक।

लाख तूफान आया किये राह में,
बन के कोहे गरां वो खड़ा ही रहा।
क़ैदे-हस्ती भी उसको गवारा न थी,
हो के आज़ाद मुल्के-अदम को गया।
-रम्ज़ी इटावी, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर،चिंतक व दबिस्ताने-आज़ाद राजस्थान के संस्थापक।
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