गर्भसंस्कार से होगा भावी पीढ़ी का निर्माण : माधुरी दीदी
गजेन्द्र सिंह राजपुरोहित. जोधपुर ग्रामीण
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के स्त्री रोग एवं प्रसूति तंत्र विभाग द्वारा “गर्भोपक्रम–2025” नामक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित हुई। यह कार्यशाला सम्वर्धिनी न्यास नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित की गई। इसका उद्देश्य “गर्भसंस्कार के माध्यम से गर्भस्थ शिशु के शरीर, मन और आत्मा का समग्र पोषण” है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रोफेसर वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति ने कार्यशाला की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गर्भकाल के दौरान किया गया सही संस्कार ही भावी पीढ़ी के चरित्र, बुद्धि और स्वास्थ्य का आधार बनता है। उन्होंने पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के समन्वय पर बल दिया। सम्वर्धिनी न्यास, नई दिल्ली की माधुरी दीदी ने कहा कि “गर्भसंस्कार के माध्यम से गर्भस्थ शिशु के शरीर, मन और आत्मा का समग्र पोषण” होता है। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।आयोजन अध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. ए. नीलिमा रेड्डी के स्वागत भाषण एवं उद्देश्य-विवेचन से हुआ। उन्होंने गर्भसंस्कार की प्राचीन अवधारणा को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करते हुए इसके शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभों की चर्चा की।
पहले दिन के कार्यक्रम में दो ज्ञानवर्धक सत्र आयोजित किए गए, जिसमें प्रसिद्ध विशेषज्ञ डॉ. श्वेता डांगरे एवं डॉ. गौरांग जोशी ने विषय विशेषज्ञ के रूप में अपने विचार प्रस्तुत किए। उनके व्याख्यानों के प्रमुख विषय रहे“सचेत गर्भाधान एवं तनाव प्रबंधन”, “गर्भावस्था में सूक्ष्म ऊर्जा विज्ञान, योग और आहार”, एवं “गर्भ में ही शिशु को बुद्धिमान कैसे बनाएं” इन सत्रों के उपरांत प्रतिभागियों के लिए प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें भारी उत्साह देखने को मिला।
इस अवसर पर कुल सचिव अखिलेश कुमार पीपल, पूर्व कुल सचिव प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ल, प्राचार्य प्रोफेसर महेंद्र कुमार शर्मा सहित कार्यशाला में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए लगभग 480 प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं, जिनमें शिक्षकगण, स्नातकोत्तर शोधार्थी एवं विद्यार्थी सम्मिलित हैं। आयोजन सचिव के रूप में डॉ. रश्मि शर्मा एवं डॉ. आशा के. पी. की सक्रिय भूमिका रही।
कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर दो महत्वपूर्ण सहयोग समझौते (एमओयू) संपन्न हुए। पहला, अथर्व आयुर्वेद, राजकोट (गुजरात) एवं विश्वविद्यालय के मध्य, जिसमें डॉ. गौरांग जोशी एवं कुलसचिव अखिलेश पीपल ने हस्ताक्षर किए। दूसरा, सम्वर्धिनी न्यास, नई दिल्ली के साथ, जिसमें मधुरी सदाशिव मराठे एवं कुलसचिव द्वारा हस्ताक्षर किए गए। साथ ही डॉ दिनेश कुमार राय की पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी की हेल्प डेस्क बनाई गई जिसमें 400 से अधिक प्रतिभागियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया। साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा सामूहिक ध्यान के अभ्यास के विश्व कीर्तिमान का प्रशस्ति पत्र कुलपति प्रोफेसर प्रजापति को प्रदान किया गया। प्राचार्य प्रोफेसर महेंद्र कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. संजय श्रीवास्तव एवं डॉ. आशा के. पी. द्वारा किया गया।
