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Saturday, September 13, 2025, 7:42 am

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मीडिया को हथियार बनाकर मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं डॉ. किशन गोयल, समाज के शोषित, पीड़ित और जरूरतमंद की बने आवाज

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केजी मानवाधिकार न्याय सुरक्षा परिषद के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. किशन गोयल का कहना है कि वे ग्रामीण परिवेश से आते हैं और गांवों में मानवाधिकारों का उल्लंघन होते देखा तो वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिली। मानवाधिकारों की आवाज उठाने के लिए उन्होंने मनीजय इंडिया नाम का समाचार पत्र और वेब न्यूज पॉडकास्ट चैनल शुरू किया ताकि शब्दों का साथ लेकर समाज को न्याय और समानता के पथ पर अग्रसर किया जा सके…। 

दिलीप कुमार पुरोहित. जोधपुर

9783414079 diliprakhai@gmail.com

मानवाधिकार। आज के समय का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा। हम लोकतंत्र की दुहाई देते हैं, मगर हमारे समाज में आए दिन मानवाधिकारों का हनन होता है। समाज के शोषित, पीड़ित, वंचित और जरूरतमंद लोग इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। कई मामले तो मीडिया तक पहुंच ही नहीं पाते और पहुंच भी पाते हैं तो उसे दबा दिया जाता है। ऐसे में केजी मानवाधिकार न्याय सुरक्षा परिषद के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. किशन गोयल जो कि मनीजय इंडिया नाम से हिंदी समाचार पत्र एवं वेब न्यूज पॉडकास्ट चैनल भी चलाते हैं, से राइजिंग भास्कर ने आज के सुलगते सवालों पर बातचीत की। यहां डॉ. गोयल से लिया साक्षात्कार हूबहू प्रस्तुत है:-

प्र.1: सबसे पहले, केजी मानवाधिकार न्याय सुरक्षा परिषद की स्थापना का मूल उद्देश्य क्या था?

➡ उत्तर: परिषद की स्थापना का उद्देश्य था – हर नागरिक को संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार दिलाना, समाज के कमजोर वर्गों को न्याय की गारंटी देना और आम जनता व प्रशासन के बीच सेतु का काम करना।

प्र.2: इस परिषद की सबसे बड़ी उपलब्धि अब तक आप किसे मानते हैं?

➡ उत्तर: हमने हजारों पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद की है, कई मामलों में सीधे हस्तक्षेप कर FIR दर्ज करवाई। सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि लोग हम पर भरोसा करते हैं और न्याय की उम्मीद से हमारे पास आते हैं।

प्र.3: आपने “समान जीवन जीने के अधिकार” पर जो फोकस रखा है, उसे ज़मीन पर लागू करने में कौन-सी चुनौतियां आती हैं?

➡ उत्तर: सबसे बड़ी चुनौती है जागरूकता की कमी, प्रशासनिक प्रक्रियाओं की जटिलता और समाज में व्याप्त असमानता। कई बार पीड़ित वर्ग डर और संसाधनों की कमी के कारण आगे नहीं आ पाता।

प्र.4: आम जनता और पुलिस प्रशासन के बीच तालमेल बैठाने में आपकी परिषद किस तरह काम करती है?

➡ उत्तर: हम शिकायतों को सुनकर प्रशासन तक पहुंचाते हैं, पुलिस से समन्वय कर पीड़ित की बात को ताक़त देते हैं। कई जगह हमने संवाद बैठकें आयोजित कर जनता और पुलिस को साथ लाने का काम किया है।

प्र.5: समाज के कमजोर वर्गों जैसे महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और मजदूर—इनकी सुरक्षा के लिए परिषद की क्या पहल है?

➡ उत्तर: महिला प्रकोष्ठ, श्रमिक सहायता प्रकोष्ठ और बाल अधिकार समिति बनाकर सीधे कार्रवाई करते हैं। इसके साथ ही कानूनी सहायता, हेल्पलाइन और काउंसलिंग की व्यवस्था भी करते हैं।

प्र.6: आप मानते हैं कि संविधान के मूल अधिकार और कर्तव्यों को लेकर लोगों में कितनी जागरूकता है?

➡ उत्तर: शहरों में कुछ जागरूकता है, लेकिन गांवों में बहुत कमी है। लोग अपने अधिकार तो जानते हैं, लेकिन कर्तव्यों को लेकर अभी भी उदासीन हैं।—

प्र.7: क्या आपको लगता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मानवाधिकारों को लेकर स्थिति शहरी क्षेत्रों से अलग है?

➡ उत्तर: बिल्कुल। गांवों में शिक्षा और कानूनी जानकारी का अभाव है, जिसके कारण वहां मानवाधिकार उल्लंघन ज्यादा होता है।

प्र.8: परिषद द्वारा स्थापित विभिन्न प्रकोष्ठ (महिला, मीडिया, चिकित्सा आदि) वास्तव में कैसे कार्य करते हैं?

➡ उत्तर: हर प्रकोष्ठ विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं के साथ काम करता है। जैसे महिला प्रकोष्ठ घरेलू हिंसा और सुरक्षा से जुड़े मामलों को देखता है, मीडिया प्रकोष्ठ जनजागरूकता फैलाता है और चिकित्सा प्रकोष्ठ पीड़ितों की स्वास्थ्य संबंधी मदद करता है।

प्र.9: समाज में अपराध और असमानता को कम करने के लिए आपकी परिषद पुलिस प्रशासन से किस तरह तालमेल करती है?

➡ उत्तर: हम पुलिस को सहयोगी मानते हैं। अपराध के मामलों में तुरंत रिपोर्ट कराते हैं, जांच की निगरानी करते हैं और पीड़ित को सुरक्षा दिलाने का प्रयास करते हैं।

प्र.10: अभी तक कितने मामलों में आपने सीधे हस्तक्षेप कर लोगों को न्याय दिलाने का काम किया है?

➡ उत्तर: सैकड़ों मामले हैं, जिनमें हमने हस्तक्षेप कर FIR दर्ज करवाई, कानूनी सहायता दिलाई और पीड़ितों को न्याय दिलाने तक साथ दिया।

प्र.11: आपकी संस्था FIR दर्ज कराने से लेकर पीड़ितों को कानूनी सहयोग दिलाने तक कैसे मदद करती है?

➡ उत्तर: सबसे पहले पीड़ित की शिकायत दर्ज की जाती है, फिर पुलिस प्रशासन से संपर्क किया जाता है। जरूरत पड़ने पर वकील उपलब्ध कराए जाते हैं और केस की निगरानी परिषद करती है।

प्र.12: आज के युवाओं को आप मानवाधिकार और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में किस तरह योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं?

➡ उत्तर: युवाओं से अपील करता हूं कि वे सोशल वॉलंटियर के रूप में जुड़ें, समाज की समस्याओं को आवाज दें और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जागरूकता फैलाएं।

प्र.13: महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के क्षेत्र में आपके द्वारा चलाए जा रहे प्रमुख अभियान कौन-कौन से हैं?

➡ उत्तर: “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” के समर्थन में हमने कई अभियान चलाए। साथ ही महिला हेल्पलाइन और लीगल काउंसलिंग की सुविधा भी दी।

प्र.14: सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता के लिए परिषद ने कौन-से ठोस कदम उठाए हैं?

➡ उत्तर: विभिन्न जातियों, धर्मों और वर्गों के बीच संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए। सम्मान समारोहों के माध्यम से समाजसेवियों को जोड़ा।

प्र.15: आपके अनुसार मानवाधिकार और न्याय सुरक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या क्या है?

➡ उत्तर: सबसे बड़ी समस्या है – अन्याय सहने की आदत और सिस्टम पर भरोसा न होना।

प्र.16: परिषद द्वारा आयोजित “सम्मान समारोहों” का उद्देश्य सिर्फ सम्मान देना है या इसके पीछे कोई बड़ी सामाजिक सोच भी है?

➡ उत्तर: उद्देश्य सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि समाज को प्रेरित करना है। हम उन लोगों को सामने लाते हैं जिन्होंने समाज के लिए काम किया है, ताकि बाकी लोग भी प्रेरणा लें।

प्र.17: भविष्य में परिषद किन नई योजनाओं पर काम करने जा रही है?

➡ उत्तर: हम राष्ट्रीय स्तर पर लीगल एड सेंटर, हेल्पलाइन और डिजिटल अधिकार जागरूकता अभियान शुरू करने जा रहे हैं।

प्र.18: आपको व्यक्तिगत रूप से इस मिशन को चलाने की प्रेरणा कहां से मिली?

➡ उत्तर: बचपन से ही अन्याय और शोषण देखा। गांव से निकला, संघर्ष किया और ठाना कि समाज में बदलाव लाना है। यही प्रेरणा मेरी ताकत बनी।

प्र.19: क्या आपको लगता है कि सरकार और समाज दोनों के बीच सेतु बनने में परिषद की भूमिका अहम है?

➡ उत्तर: हां, हम सेतु हैं। एक तरफ जनता की आवाज़ सरकार तक पहुंचाते हैं और दूसरी तरफ सरकारी योजनाओं और कानूनों की जानकारी जनता को देते हैं।

प्र.20: आप देशवासियों और युवाओं को मानवाधिकार संरक्षण के संदेश में क्या अपील करना चाहेंगे?

➡ उत्तर: मैं कहूंगा – अपने हक की आवाज़ उठाइए, अन्याय सहन मत कीजिए और समाज में कमजोरों की रक्षा कीजिए। यही असली देशभक्ति है।

प्र.21: आप मनीजय इंडिया नाम से हिंदी समाचार पत्र एवं वेब न्यूज पॉडकास्ट चैनल भी चलाते हैं। आपके संघर्षों के सफरनामे पर प्रकाश डालें।

➡ उत्तर: मेरी यात्रा ग्रामीण परिवेश से शुरू हुई। बहुत संघर्ष किया, लेकिन पत्रकारिता को हथियार बनाया। मनीजय इंडिया के माध्यम से गरीबों, पीड़ितों और शोषितों की आवाज़ उठाई।

प्र.22: मनीजय इंडिया और परिषद दोनों मोर्चों पर आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

➡ उत्तर: सबसे बड़ी चुनौती है – सत्य और न्याय की राह पर चलते हुए दबावों का सामना करना। पत्रकारिता और मानवाधिकार दोनों क्षेत्रों में ताक़तवर लॉबीज़ बाधा डालती हैं, लेकिन हम डटे रहते हैं।

प्र.23: आपके साथ सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रूमा पाठक भी जुड़ी हैं। उनका सहयोग आपको किस तरह मिलता है?

➡ उत्तर: रूमा पाठक जी हमारी महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। उनका कानूनी अनुभव हमें ताक़त देता है।

प्र.24: आप समाज और देश में मानवाधिकारों की लड़ाई के लिए समाचार पत्र और मीडिया को कितना महत्वपूर्ण मानते हैं?

➡ उत्तर: मीडिया सबसे बड़ा हथियार है। यदि मीडिया जनता की आवाज़ उठाए तो किसी भी अन्याय को रोका जा सकता है।

प्र.25: अंत में आपका देश और समाज को क्या संदेश है?

➡ उत्तर: मेरा संदेश है – अपने अधिकारों को जानिए, जागिए और आवाज़ उठाइए। जब हर नागरिक न्याय के लिए खड़ा होगा तभी भारत सशक्त और समरस बनेगा।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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