Explore

Search

Saturday, September 13, 2025, 5:27 am

Saturday, September 13, 2025, 5:27 am

LATEST NEWS
Lifestyle

इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म आज की जरूरत, फेक न्यूज खत्म हो : पूर्व नरेश गजसिंह

Share This Post

वरिष्ठ पत्रकार आयशा खानम ने पत्रकारिता की चुनौतियां, ग्रामीण पत्रकारों के महत्व, फेक न्यूज, लोकतंत्र में पत्रकार की जिम्मेदारी, ग्रामीण पत्रकारों को प्रशिक्षण की जरूरत और ज्वलंत मुद्दों पर अपने प्रखर विचार व्यक्त किए…उन्होंने कहा कि डर के आगे जीत है यह जर्नलिज्म का मूल मंत्र है…।

दिलीप कुमार पुरोहित. शिव वर्मा. जोधपुर

9783414079 diliprakhai@gmail.com

जोधपुर के पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म आज की जरूरत है। फेक न्यूज खत्म करना होगा। वे गुरुवार को रातानाडा ओल्प कैंपस स्थित माहेश्वरी भवन में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की ओर से आयोजित 131वें राष्ट्रीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया आज हावी हो रहा है। सोशल मीडिया की अनदेखी नहीं की जा सकती, मगर फर्जी न्यूज को रोकना हमारी जिम्मेदारी है। एआई जनित खबरें और स्टोरी से पता ही नहीं चलता कि क्या सच है और क्या झूठ। पत्रकार होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि समाज के सामने हम सच लाएं।

पूर्व नरेश गजसिंह ने चुटकी लेते हुए कहा कि मैंने पत्रकारों से पूछा कि भला आप वर्किंग जर्नलिस्ट हैं तो दूसरे वर्क नहीं करते? फिर गजसिंह ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया और कहा कि आप लोग फील्ड में रहते हैं और आपके दूसरे साथी और संपादक आदि ऑफिस में रहते हैं। आप फील्ड में समस्याएं फेस करते हो, इसलिए आप वाकई वर्किंग जर्नलिस्ट है। श्रमजीवी पत्रकार हो। उन्होंने कहा कि आपकी बदौलत ही देश-दुनिया की ताजा खबरें हम तक पहुंचती है। आप पर बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए न्यूज को आमजन तक पहुंचाने में सावधानी बरतें।

क्या हो रहा है? क्या नहीं हो रहा? दोनों को लेकर पत्रकार जागरूक करता है

पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि समाज और देश-दुनिया में क्या हो रहा है और क्या नहीं हो रहा है? इन दोनों ही बातों को लेकर एक सच्चा और निर्भिक पत्रकार कलम चलाता है और नेता हो या अभिनेता सबकी बातों को आईने की तरह दिखाता है और जागरूक करता है। पॉलिटिशियन को जागरूक एक सच्चा पत्रकार ही करता है। पत्रकार का काम इतना भर नहीं है कि देश और समाज में क्या हो रहा है बल्कि क्या नहीं हो रहा है और क्यों नहीं हो रहा है? इसे भी पत्रकार उजागर करता है। इसलिए जर्नलिज्म को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा गया है।

पत्रकारों को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए, उनके लिए कायदे-कानून होने चाहिए

पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि पत्रकारों को सुरक्षा मिलनी ही चाहिए। जो कायदे-कानून उनके हित में हो उस पर मंथन होना चाहिए। उन्होंने आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय अधिवेशन की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि आप दो दिन इस सम्मेलन में मंथन करें और कोई निष्कर्ष निकले। आपका सम्मेलन सफल हो, मेरी यही शुभकामना है।

अंग्रेजी में पढ़ा, परिवार में मारवाड़ी बोली, पर हिंदी में बात रख रहा हूं, गलती हो तो क्षमा करें 

पूर्व नरेश गजसिंह ने कहा कि मेरी पढ़ाई अंग्रेजी में हुई। परिवार में हम राजस्थानी में बात करते हैं। मेरी हिंदी अच्छी नहीं है। फिर भी मैं हिंदी में अपनी बात कहता हूं। अगर मुझसे कोई गलती हो तो क्षमा करें। उन्होंने कहा कि जोधपुर संस्कृतिधर्मी शहर है। मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। मुझे खुशी है कि विभिन्न राज्यों से आए पत्रकारों के दलों ने मुझे उपहार दिए और मेरा भाव-भरा स्वागत किया, इससे मैं अभिभूत हूं। यह पहला राष्ट्रीय अधिवेशन है जिसमें एक साथ इतनी बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी मौजूद हैं और सभी अनुशासित हैं। खचाखच भरा हॉल देखकर मुझे खुशी हो रही है और सारा कार्यक्रम व्यवस्थित है। इसके लिए मैं आयोजकों को बधाई देता हूं।

साधु और शिष्य की कहानी को समझना जरूरी, पत्रकार के हाथ में लोकतंत्र की कमान : आयशा खानम

वरिष्ठ पत्रकार और कर्नाटक मीडिया एकेडमी की चेयरपर्सन आयशा खानम ने एक कहानी सुनाई। एक साधु था। वह काफी ज्ञानी था। उसके एक युवा शिष्य ने सोचा आज मैं इस साधु को हरा कर रहूंगा। वह साधु के पास पहुंचा। उसने साधु को कहा कि बताओ मैं हाथ में क्या है? साधु ने कहा कि बेटा- तुम्हारे हाथ में चिड़िया है। तब शिष्य ने सोचा मैं तो इसे हरा कर ही रहूंगा। उसने अगला सवाल पूछा कि अच्छा बताओ चिड़िया किस रंग की है? तो साधु ने कहा कि सफेद रंग की। शिष्य गुस्सा हो गया। फिर उसने अपने पर कंट्रोल किया और सोचा कि ऐसा कौनसा सवाल करूं कि साधु को हरा दूं। उसने काफी सोच कर सवाल किया- अच्छा बताओ कि चिड़िया जिंदा है या मरी हुई? अब साधु सोच में पड़ गया। साधु ने सोचा कि अगर मैं कहता हूं कि चिड़िया मरी हुई है तो वह हाथ से चिड़िया उड़ा कर मुझे गलत साबित कर देगा और अगर मैं कहता हूं चिड़िया जिंदा है तो वह हाथ से दबाकर चिड़िया को मार देगा। दोनों ही सूरत में मैं गलत हो जाऊंगा। तब उसने सोच-विचार कर उत्तर दिया- कि बेटा इस सवाल का जवाब तेरे पास ही है। आयशा खानम ने कहा कि यही बात आज के पत्रकारों पर लागू होती है। आज के पत्रकार के हाथ में ही लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी है और पत्रकार के पास ही लोकतंत्र को बचाने का उत्तर है।

ग्रामीण पत्रकारों को हर राज्य सरकार प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करें :

वरिष्ठ पत्रकार आयशा खानम ने कहा कि वह एक्टीव जर्नलिज्म में अब नहीं है और वह एडमिनिस्ट्रेटर की भूमिका में है। वह सोचती रहती है कि पत्रकारों के कल्याण के लिए क्या किया जाए? अभी पत्रकारों के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। ग्रामीण पत्रकारों के लिए स्किल डेवलपमेंट, उन्हें तकनीक की जानकारी देना और उन्हें आज के दौर के जर्नलिज्म से रूबरू करवाना जरूरी है। फेक न्यूज, डिजिटिल टेक्नोलॉजी आदि क्षेत्रों में ग्रामीण पत्रकारों को जागरूक करने की जरूरत है। आयशा खानम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बैठे पत्रकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती। शहरों में और मीडिया के दफ्तरों में बैठे शहरी जर्नलिस्ट तो केवल हैडिंग देने का काम करते हैं और काॅपी सुधारते हैं। जबकि असली पत्रकारिता तो ग्रामीण पत्रकार कर रहे हैं। इसलिए हमें ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों को सिखाना होगा। उन्हें पत्रकारों के बैसिक गुण बताने होंगे। उन्होंने कहा कि हमने बैंगलुरु में पहल की है और हम ग्रामीण पत्रकारों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। यह पहल हर राज्यों की सरकारों को करना चाहिए और ग्रामीण पत्रकारों को प्रशिक्षित करने की दिशा में काम करना होगा।

जर्नलिज्म तलवार की ढाल से भी ज्यादा मुश्किल, डर के आगे जीत है हमारा ध्येय वाक्य हो : 

आयशा खानम ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह मारवाड़ की धरती पर हैं। राजपूताना की धरती पर आना गौरव की अनुभूति करवाता है। यह वह धरती है जो त्याग और शौर्य की धरती है। यहां पर राजपूत राजाओं ने तलवार से अपने दुश्मनों के दांत खट्‌टे किए थे। लेकिन आज की पत्रकारिता तलवार की ढाल से भी ज्यादा मुश्किल है। तलवार पर चलना जितना दुश्कर है, उतना ही दुश्कर आज की पत्रकारिता है। अन्याय के खिलाफ पत्रकार लड़ता है। एक कोल्ड ड्रिंक्स की पंच लाइन है- डर के आगे जीत है…। दरअसल ये पंक्तियां आज के पत्रकार के लिए बनी है। पत्रकारों के सामने जो चुनौतियां हैं उन्हें देखते हुए कह सकते हैं कि डर को पार करके ही पत्रकार अपने प्रतिमान गढ़ सकता है। डर के आगे जीत है, यही आज के जर्नलिज्म का मंत्र होना चाहिए। पत्रकार को अपने आन-बान-शान के लिए सत्ता और शिखर पर बैठी ताकतों से भिड़ जाना चाहिए।

पत्रकारिता को कोई गाली दे तो गुस्सा आना चाहिए : 

आयशा खानम ने कहा कि आज के दौर में कोई भी व्यक्ति पत्रकारिता को गाली दे जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि पत्रकार इस गाली को सुनकर भी चुपचाप निकल जाता है। उसे गुस्सा नहीं आता। उसे गुस्सा आना चाहिए। पत्रकारिता की आन-बान-शान के लिए पत्रकार को हर गाली देने वाले को जवाब देना होगा। हमें अपने उसूलों से समझौता नहीं करना है। अपनी पत्रकारिता में वे गुण लाने है जिससे हमें सम्मान मिले। समाज में पत्रकारिता का सम्मान हमें वापस स्थापित करना होगा। इसके लिए हमें अपनी पत्रकारिता की धार को तेज करना होगा और गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता पर जोर देना होगा।

सवाल पूछना बंद मत करो, कठिन से कठिन सवाले पूछो, निर्भिक होकर सवाल पूछो : 

आयशा खानम ने कहा कि आज के पत्रकार सवाल नहीं पूछते। हमें सवाल पूछना चाहिए। अधिकारपूर्वक सवाल पूछने चाहिए। सवाल पूछना बंद मत करो। कठिन से कठिन सवाल पूछो। उत्तर ना मिले तो फिर से सवाल पूछो और तब तक सवाल पूछते रहो जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। निर्भिक होकर सवाल पूछना होगा। सवाल पूछेंगे तभी व्यवस्था में बदलाव होगा, नहीं तो पत्रकारिता को कोई नहीं पूछेगा। सवाल आधारित पत्रकारिता आज की जरूरत है।

15 राज्यों से अधिक पत्रकार पहुंचे 

सम्मेलन में 15 राज्यों से अधिक के विभिन्न मीडिया के पत्रकार पहुंचे। तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, कर्नाटक, बंगाल, बिहार, दिल्ली, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों के पत्रकार इस सम्मेलन में पहुंच चुके हैं या शाम को पहुंचेंगे। कई अन्य राज्यों के पत्रकार भी पहुंचेंगे। इस मौके पर आयोजकों ने पूर्व नरेश गजसिंह से आग्रह किया कि वे प्रधानमंत्री से बात करके जोधपुर से विभिन्न राज्यों के लिए रेलवे और एयर कनेक्टिविटी की सुविधा के लिए बात करें और हमारी ओर से प्रस्ताव भिजवाएं। कार्यक्रम के आरंभ में सरस्वती पूजन किया गया और मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की गई। पूर्व नरेश के स्वागत में धूंसो बाजे रे लोक गीत पर कलाकारों ने नृत्य किया। पूरे आयोजन मेले जैसा रहा और पूरे शहर में पत्रकारों के इस महाकुंभ की चर्चा रही। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन वरिष्ठ पत्रकार राजीव गौड़ ने किया।

उद्घाटन सत्र के बाद पत्रकारों की समस्याओं पर मंथन, 600 पत्रकार हुए शामिल :

15 राज्यों के पत्रकार जोधपुर पहुंचे। राष्ट्रीय अधिवेशन में 600 से अधिक पत्रकार शामिल हुए। इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स के राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र के बाद प्रदेश इकाई की बैठक में संगठन के अलावा पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं के समाधान पर मंथन हुआ। भविष्य की योजनाएं बनाने के साथ 28 अक्टूबर को आयोजित होने वाले स्थापना दिवस की तैयारियों पर भी हुआ मंथन। फेडरेशन के जोधपुर संभाग प्रभारी विक्रम सिंह करनौत और जिला महासचिव अश्विनी व्यास ने बताया कि पत्रकारों के हितों के लिए वर्ष 1950 से समर्पित राष्ट्रीय संगठन इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स का राष्ट्रीय अधिवेशन इंडियन फेडरेशन वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह के नेतृत्व में आयोजित किया गया।जिला अध्यक्ष प्रदीप जोशी और मुख्य संयोजक नंदकिशोर शाह के संयोजन में मां सरस्वती की पूजा आराधना के साथ इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट का 131वां राष्ट्रीय अधिवेशन जोधपुर में आरंभ हुआ। कार्यक्रम में माहेश्वरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप काबरा, महापौर कुंती देवड़ा भी मौजूद थे। आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय महासचिव विपिन धूलिया, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोहन कुमार, रजत मिश्रा,
राष्ट्रीय सचिव विश्वदेव राव भी मौजूद रहे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने अधिवेशन की आवश्यकता और इसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर विचार रखते हुए कहा कि बदलते मीडिया परिवेश में पत्रकारों को एकजुट होकर अपनी भूमिका को और अधिक सशक्त बनाना होगा। आईएफडब्ल्यूजे के महासचिव मनवीर सिंह ने स्वागत उद्बोधन देते हुए देशभर से आए पत्रकार साथियों का अभिनंदन किया और अधिवेशन की महत्वता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अधिवेशन न केवल संवाद का मंच है, बल्कि पत्रकारिता की चुनौतियों और संभावनाओं पर मंथन का अवसर भी है। जिला अध्यक्ष प्रदीप जोशी ने अधिवेशन का आयोजन जोधपुर में होने पर हर्ष जताया और जोधपुरवासियों की ओर से सभी आगंतुकों का स्वागत किया। कार्यक्रम में सहयोग देने वाले विशिष्ट जनों को भी मंच से सम्मानित किया गया। जिनमें हनुमान सिंह खांगटा, सुखराम जगदीश बिश्नोई, राजेंद्र पालीवाल, हुसैन सिकंदर खान, और राजेश पंवार शामिल रहे।अधिवेशन के शुभारंभ समारोह में पत्रकारिता जगत से जुड़े देशभर के प्रतिनिधियों सहित समाजसेवा, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस राष्ट्रीय अधिवेशन में 15 राज्यों के 618 पत्रकारों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया और उपस्थित रहे।अलग अलग राज्यों से आए पत्रकार साथियों का राजस्थानी परंपरा अनुसार ‘साफा’ पहनाकर आयोजन स्थल माहेश्वरी भवन के प्रवेश द्वार पर स्वागत व अभिनंदन किया गया, जिसमें राजस्थान की संस्कृति की अनूठी तस्वीर देखने को मिली। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव गौड़ ने किया, मुख्य संयोजक नंदकिशोर शाह ने अंत में आभार व्यक्त किया। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए आयोजन समिति में शामिल विक्रम सिंह करनोत, प्रवीण बोथरा, अश्वनी व्यास, डॉ रंजन दवे, मनोज जैन , डॉ लक्ष्मण मोतीवाल, योगेश दवे, अफरोज पठान, शेखर व्यास, समीर खान, भूपेंद्र बिश्नोई, महेश शर्मा ईश्वर सिंह, सुमेर सिंह चूंड़ावत, डॉ पाबूराम, भवानी सिंह भाटी, रमेश सारस्वत, शिव सिंह सिसोदिया, राजेश पुरोहित, सूर्याश मूथा, प्रदीप दवे, दीपक पुरोहित, लक्षित दवे, पवन जोशी, नरेंद्र ओझा, हर्षित जोशी, प्रवीण बोथरा, मनोज जैन, पवन प्रजापत, संवितेश्वर पुरोहित, जितेंद्र डूडी, पुनीत माथुर, मुकेश श्रीमाली, श्रेयांश भंसाली, मनोज शर्मा, राजेश मेहता, राजेश जैन, राजकुमारी और अनीता चौधरी का भरपूर सहयोग रहा।

समापन समारोह कल शाम 4:30 बजे 

जिलाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने बताया कि शुक्रवार को सांय 4:30 बजे समापन समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसके मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति व पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत होंगे। समापन समारोह में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत, पोकरण विधायक महंत प्रताप पुरी, जोधपुर महापौर वनिता सेठ भाजपा जोधपुर ग्रामीण अध्यक्ष त्रिभुवन सिंह भाटी, भाजपा शहर अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल,
पुलिस कमिश्नर ओमप्रकाश पासवान, जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल, सीईओ जिला परिषद आशीष मिश्रा, साध्वी प्रीति प्रियवंदा सहित कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहेंगे।

 

 

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment

advertisement
TECHNOLOGY
Voting Poll
[democracy id="1"]