12 अक्टूबर 2024 को स्थापित गज शुश्रुषा ट्रस्ट ने अल्प समय में सेवा का बड़ा रास्ता तय किया, यह यात्रा अनवरत जारी है और संस्था बड़ा लक्ष्य लेकर चल रही है, ऊर्जावान कार्यकर्ता ही इसकी ताकत है…।
शिक्षा, संस्कार, पर्यावरण संरक्षण और जीव-दया ये इस ट्रस्ट के आधार हैं, खासकर स्लम बस्तियों में परिवार का नशा छुड़ा प्रतिभाओं को तराशने में संस्था ने उल्लेखनीय कार्य किया है…।
दिलीप कुमार पुरोहित. राखी पुरोहित. जोधपुर
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राजस्थान के जोधपुर और मेड़ता सिटी की बस्तियों में गज शुश्रुषा ट्रस्ट ने जो काम किया है, वह आज पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुका है। यह ट्रस्ट न केवल वंचित और नशे की गिरफ्त में जकड़े परिवारों को नया जीवन दे रहा है, बल्कि बच्चों की शिक्षा, संस्कार, पर्यावरण संरक्षण और पशु-पक्षियों की सेवा जैसी बहुआयामी गतिविधियों से समाज में मानवीय संवेदनाओं का संचार कर रहा है।
गज शुश्रुषा ट्रस्ट आज शिक्षा, व्यसन मुक्ति, गौ संवर्धन, प्राकृतिक खेती, जंगल विकास, पक्षी चिकित्सा, योग-ध्यान और महिला सशक्तिकरण जैसे कार्यों में सक्रिय है। इसकी गतिविधियां केवल सेवा का रूप नहीं हैं, बल्कि उन्होंने बस्तियों और समाज की सोच को भी सकारात्मक रूप से बदल डाला है।
12 संस्कार केंद्र और 380 बच्चों की शिक्षा
ट्रस्ट वर्तमान में जोधपुर और मेड़ता सिटी में कुल 12 संस्कार केंद्र संचालित कर रहा है। इन केंद्रों में 380 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह बच्चे ऐसे परिवारों से आते हैं जिनकी मासिक आय लगभग 25,000 रुपये है, मगर नशे की लत के कारण यह आय सही दिशा में खर्च नहीं हो पाती थी।
परिवारों में लगभग 10,000 रुपये शराब, गुटखा, बीड़ी-सिगरेट में ही खर्च हो जाते थे, जिससे बच्चों की पढ़ाई और परिवार का जीवन गरीबी के जाल में फंसा रहता था। गज शुश्रुषा ट्रस्ट ने इस स्थिति को बदलने का बीड़ा उठाया।
व्यसन मुक्ति अभियान – 100 परिवारों ने छोड़ा नशा
ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने घर-घर जाकर संवाद किया। हर घर में 15 मिनट सामूहिक प्रार्थना कराई गई और परिवारों को प्रेरित किया गया कि वे दिन में एक वक्त का भोजन पूरा परिवार साथ बैठकर करें। यह सरल-सा प्रयास परिवारों में प्रेम और एकता का कारण बना।
परिणामस्वरूप 100 परिवारों ने पूरी तरह से व्यसन छोड़ दिया। इससे न केवल उनकी आर्थिक बचत बढ़ी (लगभग 6000 रुपये प्रति माह), बल्कि परिवारों का जीवन भी खुशहाल होने लगा। बच्चों की शिक्षा और बेहतर जीवन की राह आसान हुई।
जातिगत भेदभाव तोड़ने वाला रंगोत्सव
ट्रस्ट के स्वयंसेवक हर त्यौहार बस्तियों में धूमधाम से मनाते हैं। पिछले होली पर्व पर 6 वर्षीय बच्चे ने जब कहा – “भैया जी, मने घणो चौखो लाग्यो, थे म्हानै रंग्यो एवं म्हानै भी रंगने दियो”, तो उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। यह एक मासूम वाक्य बस्ती में जातिगत भेदभाव मिटाकर एकता और भाईचारे का संदेश फैलाने वाला बन गया।
संवाद और विश्वास की नई डोर
ट्रस्ट समय-समय पर माता-पिता सम्मेलन आयोजित करता है। इससे बच्चों के अभिभावकों से संवाद स्थापित हुआ और शिक्षा के महत्व को समझाने में सफलता मिली। स्वयंसेवकों ने कई परिवारों में जाकर सहर्ष भोजन किया, जिससे जात-पात की दूरियां कम हुईं।
आज बस्ती के लोग अपने सुख-दुख की बातें ट्रस्ट के स्वयंसेवकों के साथ साझा करते हैं। धीरे-धीरे ट्रस्ट पर गहरा विश्वास कायम हो गया है और लोग हर गतिविधि से जुड़ने लगे हैं।
शिक्षा से आत्मविश्वास – पांचवीं से भी आगे 10 वर्षीय बच्चे
ट्रस्ट ने अनुभव किया कि कई ऐसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा पाते थे, वे संस्कार केंद्रों में पढ़ाई कर दस साल की उम्र में ही पांचवीं कक्षा के बच्चों से आगे निकल जाते हैं। यह उपलब्धि बच्चों और उनके माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान लाती है और स्वयंसेवकों के लिए संतोष का कारण बनती है।
गज पक्षी चिकित्सालय – घायल पंखों को फिर उड़ान
गज शुश्रुषा ट्रस्ट न केवल मनुष्यों की सेवा कर रहा है, बल्कि पशु-पक्षियों की देखभाल में भी अग्रणी है। ट्रस्ट जोधपुर में गज पक्षी चिकित्सालय संचालित करता है, जिसका संचालन स्वयंसेवक आशा पटवा करती हैं।
अब तक इस चिकित्सालय ने 270 पक्षियों को रेस्क्यू किया है। इनमें से 150 पक्षी पूरी तरह स्वस्थ होकर वापस आसमान में उड़ान भर चुके हैं। वर्तमान में 120 घायल पक्षी (अंधे, पंख कटे, पैर कटे या करंट लगे) यहां उपचाररत हैं।
ट्रस्ट ने आमजन से अपील की है कि किसी भी घायल पक्षी को देखकर तुरंत चिकित्सालय तक पहुंचाएं।
पर्यावरण और गौ सेवा के लिए सक्रियता
ट्रस्ट पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण में भी अग्रणी है। इसके प्रमुख कार्य हैं –
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गौ संवर्धन एवं गौ रक्षण
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प्राकृतिक खेती और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना
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जंगल विकास और सघन पौधरोपण
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चारागृह विकास
एक संस्था को ट्रस्ट ने मुफ्त ऑर्गेनिक फार्मिंग सेवाएं प्रदान कीं, जिससे वह संस्था सब्जी के खर्च में आत्मनिर्भर हो गई और हर माह लगभग 5000 रुपये की बचत करने लगी।
प्राकृतिक चिकित्सा, योग और ध्यान शिविर
मानसिक शांति और स्वस्थ जीवन के लिए ट्रस्ट समय-समय पर योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा शिविर आयोजित करता है। इन शिविरों से कई लोग डिप्रेशन से मुक्त हुए हैं और गंभीर बीमारियों से राहत पाई है।
महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता
ट्रस्ट महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी सक्रिय है। स्वयंसेविकाएं बस्तियों में जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास कर रही हैं। इससे महिलाएं परिवार के निर्णयों में भागीदारी करने लगी हैं और सामाजिक स्तर पर भी उनकी भूमिका मजबूत हुई है।
कार्यकारिणी और स्वयंसेवक
ट्रस्ट की कार्यकारिणी में अध्यक्ष नरेंद्र सुराणा, सचिव पायल चोपड़ा, सहसचिव ज्योति तातेड़ और कोषाध्यक्ष विवेक लुंकड़ हैं।
स्वयंसेवकों की लंबी सूची है – पायल, ज्योति, मिताली, आशा, रितु, कोमल, सुचिता, अंकिता, नरेंद्र, विवेक, हेमंत, प्रदीप, सौरभ, पारस, नमन, हैप्पी, राकेश, टीकम, निरमा, अंजलि, मीनाक्षी, प्रिया, माया, कंचन, सोनाली, लक्ष्मी, आरती, पूजा, दुर्गाराम, संजू।
इन स्वयंसेवकों की मेहनत और समर्पण ही ट्रस्ट की सबसे बड़ी ताकत है।
आने वाले समय की योजनाएं
गज शुश्रुषा ट्रस्ट की भविष्य की योजनाएं भी समाज सेवा की नई दिशा तय करती हैं –
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असहाय बालकों के लिए गुरुकुल की स्थापना
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पर्यावरण संरक्षण के लिए वृहद जंगल विकास और पौधरोपण
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किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्राकृतिक खेती और पौधे वितरण
संवेदनाओं से भरा मानवीय प्रयास
गज शुश्रुषा ट्रस्ट का काम केवल सेवा-कार्य नहीं है, बल्कि यह संवेदनाओं और मानवीयता का जीवंत उदाहरण है। बस्तियों के बच्चे शिक्षा पा रहे हैं, परिवार व्यसन मुक्त होकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं, जात-पात की दीवारें टूट रही हैं, घायल पक्षी फिर से उड़ान भर रहे हैं और समाज प्रकृति के प्रति जागरूक हो रहा है।
यह सब संभव हुआ है ट्रस्ट के समर्पित कार्यकर्ताओं, उनकी ईमानदार नीयत और समाज को बदलने की इच्छा शक्ति से।
गज शुश्रुषा ट्रस्ट की गतिविधियों और अपडेट्स के लिए आप इंस्टाग्राम पर GSM Trust और यूट्यूब पर Gajtrust को फॉलो कर सकते हैं।
यह कहानी एक ऐसे ट्रस्ट की है जिसने समाज की बुनियाद को छुआ और वहां बदलाव लाया जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। गज शुश्रुषा ट्रस्ट ने यह साबित कर दिया है कि यदि संकल्प और सेवा भाव हो, तो न केवल इंसान, बल्कि पक्षी भी नए जीवन की उड़ान भर सकते हैं।
