-पहली बार जैसलमेर से कांग्रेस के रूपाराम को सालेह मोहम्मद से मिल सकता है धोखा, राजपूत-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो पोकरण से महंत प्रतापपुरी की राह हो सकती है मुश्किल
-सालेह मोहम्मद की राह भी आसान नहीं, रूपाराम अगर जीतेंगे तो अपने कार्यों की बदौलत, सालेह मोहम्मद का नाराजगी फैक्टर अभी दूर नहीं हुआ, दोनों के बीच दूरियां दोनों के लिए घातक
डीके पुरोहित की जैसलमेर-पोकरण से विशेष रिपोर्ट
इस बार वोटर्स उलझन में है। कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा। सर्दी के साथ चुनाव प्रचार भी ठंडा है। ना ही चारों तरफ जोश है और ना ही उल्लास। बड़ी उलझन है। जनता की थाह लेना इस बार मुश्किल है। किसी की लहर भी नहीं है। जैसलमेर और पोकरण विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो इस बार हार जीत का मार्जन काफी कम रहेगा। दोनों ही सीटों में कोई भी प्रत्याशी जीते सैकड़ों वोटों का ही अंतर रहेगा। इस रिपोर्टर ने चुनाव से चार दिन पहले जैसलमेर पोकरण के वोटर्स की थाह ली। मगर ऊंट किस करवट बैठेगा अभी कहने की स्थिति में नहीं है।
अभी हम पोकरण की धरती पर कदम रख चुके हैं। चौराहों पर सालेह मोहम्मद और महंत प्रतापुरी दोनों के पोस्टर नजर आ रहे हैं। सालेह मोहम्मद का प्रचार साइलेंट है तो लोग महंत प्रतापपुरी के पक्ष में कुछ हद तक मुखर हैं। मगर ऐसे लोगों की संख्या कम ही है। इस बार के चुनाव में राजपूत वोटर्स निर्णायक होंगे। अगर यह मानकर चलें कि जैसलमेर और पोकरण दोनों सीट भाजपा जीतेगी तो कहना गलत होगा। और अगर यह कहें कि जैसलमेर और पोकरण दोनों सीट कांग्रेस जीतेगी तो यह कहना तो और भी गलत होगा। क्योंकि जैसलमेर में कांग्रेस के रूपाराम की स्थिति तो पहले दिन से ही मजबूत रही है मगर पोकरण में सालेह मोहम्मद का रिपोर्ट कार्ड और लोगों की नाराजगी पहले दिन से ही सामने आ गई थी। सालेह मोहम्मद ने अशोक गहलोत से अपनी नजदीकी के चलते टिकट भलेही ही लेने में कामयाब रहे लेकिन लोगों के मन में आज भी उनके प्रति नाराजगी है। दूसरा सालेह मोहम्मद के मन की पूरी हुई नहीं। सालेह मोहम्मद चाहते थे कि कांग्रेस जैसलमेर से मानवेंद्रसिंह को टिकट दे और पोकरण से वे खुद चुनाव लड़ना चाहते थे। मगर हरीश चौधरी की नजदीकी और खुद रूपाराम की मजबूत दावेदारी के चलते जैसलमेर से कांग्रेस की टिकट लाने में रूपाराम कामयाब हो गए। ये टीस अब भी सालेह मोहम्मद के मन में है। सालेह मोहम्मद इस बार खुलकर रूपाराम के पक्ष में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। रूपाराम भी सालेह मोहम्मद का खुलकर साथ नहीं दे रहे हैं। ऐसे में फकीर परिवार की नाराजगी के चलते मुस्लिम वोट रूपाराम को और दलित वोट सालेह मोहम्मद को पड़ते नजर नहीं आ रहे। ये स्थिति दोनों के लिए घातक है। मगर रूपाराम ने यह चुनाव व्यवस्थित ढंग से लड़ा है। उन्होंने पहले से जमीनी तैयारी कर ली थी। बाकायदा उन्होंने अपने पांच साल का रिपोर्ट कार्ड बुक छपवा कर जनता के सामने रखा है जबकि सालेह मोहम्मद अपने गणित पर भरोसा करते आए हैं। इस चुनाव में राजपूत वोटर्स निर्णायक साबित होंगे। अगर सालेह मोहम्मद और राजपूत वोटों का ध्रुवीकरण हुआ तो पोकरण से महंत प्रतापपुरी की राह मुश्किल नजर आ रही है और जैसलमेर से छोटूसिंह निकलते नजर आ रहे हैं। लेकिन इतना तय है कि दोनों सीटें किसी एक पार्टी को इस बार नहीं मिलेगी।
पोकरण में जब हमने रामेश्वर से पूछा तो उनका कहना था कि महंत प्रतापपुरी का जोर है। लेकिन वोटर्स को बूथ तक लाने की चुनौती है। दूसरा सालेह मोहम्मद पूरा जोर लगा रहे हैं। इस बार राजपूत कैंडिडेंट को टिकट नहीं दिया गया। पिछली बार भी नहीं दिया गया। ऐसे में राजपूत वोटर्स की नाराजगी है। यह महंत प्रतापपुरी के लिए घातक हो सकता है। पोकरण में विशाल का कहना था कि अभी किसी की लहर नहीं है। मौसम की तरह जनता का मिजाज भी ठंडा है। 25 को ही दोनों प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला लिखा जाएगा। अभी कहना जल्दबाजी होगा। रूपसिंह का कहना है कि हमारे कैंडिडेंट शैतानसिंह राठौड़ थे। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं देकर उनके साथ अन्याय किया है। इसका पार्टी को नुकसान होना तय है। माले खां का कहना है कि सालेह मोहम्मद जीतेंगे तो अंतर ज्यादा नहीं रहेगा। इधर अल्पसंख्यक वर्ग में भी सालेह मोहम्मद को लेकर नाराजगी है। ऊजर खां साफ कहते हैं कि सालेह मोहम्मद ने आम आदमी के काम नहीं किए। पोकरण में कुल मिलाकर अभी स्थिति अस्पष्ट है। अभी वोटर्स खुलकर नहीं बोल रहे हैं। वोट कितने पड़ते हैं। कौन दल अपने समर्थकों से कितने वोट डलवा पाते हैं। सब उस पर खेल निर्भर रहेगा।
अब हम जैसलमेर की धरती पर है। जैसलमेर में सर्दी बढ़ गई है। तापमान गिर रहा है और चुनावी तापमान भी बढ़ नहीं रहा है। जैसलमेर का गोपा चौक जो राजनीति का प्रमुख केंद्र है। गोपा चौक के बारे में कहा जाता है कि यहां जिसकी हवा बनती है वही जीतता है। खासकर ब्राह्मण वोट हवा बनाते हैं। मगर इस बार वोटर्स खामोश है। गोपा चौक भी सुस्त है। कोई खुलकर नहीं बोल रहा है। हाल ही में जेपी नड्डा भी जैसलमेर से भाजपा प्रत्याशी छोटूसिंह के पक्ष में सभा कर गए हैं। मगर यह सभा भी कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाई। सारे लोग भाजपा के समर्थित और परंपरागत वोटर्स ही थे। जबकि रूपाराम धनदे की बात करें तो उनके प्रति लोगों में नाराजगी नहीं है। रूपाराम और छोटूसिंह गले मिलकर हसंते हुए साथ नजर आए। जैसलमेर में वैसे भी माहौल सौहार्दपूर्ण रहता है। इस बार राजपूत समुदाय एक होता नजर आ रहा है। लेकिन सांगसिंह भाटी को टिकट नहीं मिलने से वे ऊपर से भलेही छोटूसिंह का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन उनके भीतर भी किसी न किसी तरह की टीस है तो छोटूसिंह के लिए घातक हो सकती है। विमल गोपा ने जो विश्व हिंदू परिषद के कट्टर कार्यकर्ता हैं, खुलेआम घोषणा की है कि वे और उनका परिवार रूपाराम को वोट देंगे। क्योंकि आजादी के 70 साल बाद रूपाराम ने ही किले के लोगों को बिजली-पानी कनेक्शन के लिए एनओसी दिलाई। उनका कहना है कि रूपाराम के प्रति साइलेंट लहर है। देखना यह है कि रूपाराम अपने मकसद में किस हद तक कामयाब हो पाते हैं। क्योंकि इस बार मुस्लिम वोटर्स जैसलमेर में निर्णायक होंगे। सालेह मोहम्मद जैसलमेर से मानवेंद्रसिंह को टिकट दिलाना चाहते थे और उन्होंने घोषणा की थी कि मानवेंद्रसिंह को टिकट नहीं मिली तो वे भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन हाथी के दांत खाने के और होते हैं और दिखाने के और। सालेह मोहम्मद मानवेंद्रसिंह को टिकट नहीं मिलने के बाद भी चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन इस बार रूपाराम और सालेह मोहम्मद के मन में खटास आ चुकी है। दोनों अपने-अपने दम पर चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों ही उम्मीदवार पूरा जोर लगा रहे हैं। और साम, दाम, दंड और भेद की नीति अपना रहे हैं।
गोपा चौक में भांग के पकौड़े खा रहे उमेश ने बताया कि हमें तो कांग्रेस का नशा है। इसलिए इस नशे को वोटों में जरूर बदलेंगे। उनके साथ खड़े देवाराम हसंते हुए कहते हैं कि वोट तो छोटूसिंह को ही देंगे। फिर दोनों कहते हैं कि वोटों की बात छोड़ो आप भी पकोड़े खाओ। आगे चलते हैं तो निरंजन से मुलाकात होती है। निरंजन का कहना है कि इस साल 18 पूरे किए हैं और पहली बार वोट देंगे। चूंकि राजीव गांधी ने हमें यह अधिकार दिया है तो वोट तो कांग्रेस का ही बनता है। गृहिणी मंगती का कहना है कि अशोक गहलोत ने पांच सौ रुपए में सिलेंडर दिया। मोदी ने तो हमें आपस में लड़ाने का काम किया। वोट तो अशोक गहलोत को ही देंगे। सरकारी कर्मचारी मंगलसिंह का कहना है कि कांग्रेस ने हमारी पेंशन जारी रखी सारे कर्मचारी इस बार अशोक गहलोत के साथ हैं। उनका कहना है कि कर्मचारी फैक्टर इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और राजस्थान में कांग्रेस सरकार ही रिपीट होगी। हमने कुछ गांवों के लोगों से बस स्टैंड पर बात की। शाम का समय है। लोग घर जाने की जल्दी में है। बस में बैठने से पहले वे इतना ही कहते हैं कि जिण रै भाग में होसी वोट दे देसां साब…चुनाव तो है पण म्हानै तो जिको म्हारा काम करसी उनणै ही वोट देसां..।
खामोशी की चादर में लिपटा चुनाव प्रचार
इस बार जैसलमेर और पोकरण में चुनाव प्रचार खामोशी की चादर में लिपटा है। ना मुद्दे हैं ना ही लहर। कोई भी दल जीत का दावा दावे के साथ नहीं कर सकता। क्योंकि वोटर खुद कन्फ्यूज है। यह ऐसा चुनाव है जब अभी से कोई भी प्रत्याशी अपनी हार जीत का गणित दावे के साथ नहीं लगा सकता। कांग्रेस और भाजपा को दोनों सीटें एक साथ नहीं मिलेगी। अगर जैसलमेर से कांग्रेस जीतेगी तो पोकरण से भाजपा और अगर जैसलमेर में भाजपा जीतेगी तो पोकरण में कांग्रेस। इतना तो करीब करीब तय हो चुका है। इसका प्रमुख कारण जैसलमेर के कांग्रेस प्रत्याशी रूपाराम और पोकरण से कांग्रेस प्रत्याशी रूपाराम का आपस में नाराजगी फैक्टर है।
